को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहना आज की जरूरत है और मजबूरी भी। एक तरह से कह सकते हैं कि हाउसिंग सोसायटी ही उसमें रहने वाले लोगों का घर है। इसलिए उसमें रहने वाले लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वो जिस तरह से घर को सजा-संवारकर रखते हैं, उसी तरह सोसायटी को भी संवारकर रखें। लेकिन, अक्सर ऐसा होता नहीं है। जैसे यहां हम एक हाउसिंग सोसायटी की अलग अलग तस्वीर आपको दिखा रहे हैं। इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सोसायटी के लोग किस तरह से अपनी हाउसिंग सोसायटी के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं।
आप इन तस्वीरों में देख सकते हैं सीढ़ियों पर थूका हुआ है। पान, गुटखा खाकर कोई अपने घर में यहां वहां थूकता है क्या, लेकिन जिस हाउसिंग सोसायटी में घर है, उस सोसायटी की सीढ़ियों पर, सोसायटी परिसर में यहां वहां थूकना क्या सही है। आप गंभीरता के साथ सोचिएगा।
दूसरी तस्वीरों में देखिये, लोग किस तरह से घर के दरवाजे में लगे इलेक्ट्रिक बोर्ड में अगरबत्ती घुसेड़कर लगा देते हैं। इससे कभी भी सोसायटी में बड़ा हादसा हो सकता है। अगरबत्ती ही लगानी हो तो कई दूसरे तरीके भी हैं, उसका इस्तेमाल करें, तो अच्छा रहेगा। आप भी देखिये इन तस्वीरों को।
अब बात कर लेते हैं हाउसिंग सोसायटी के मुख्य प्रवेश द्वार की। कोई शख्स अपने घर के मुख्य दरवाजे को गंदा रखता है क्या, लेकिन सोसायटी का मुख्य द्वार गंदा रहे तो चलेगा। जैसे इन तस्वीर में एक सोसायटी के मुख्य द्वार को आप देख सकते हैं, इसी रास्ते से लाखों के फ्लैट में रहने वाले लोग खुद भी जाते हैं, अपनी लाखों की गाड़ियों को भी लाते-ले जाते हैं, भगवान और देवी-देवताओं को भी इसी गंदे रास्ते से लाते-ले जाते हैं। जरा सोचिये, ये सही है, क्या...
अपनी हाउसिंग सोसायटी को अपना घर समझिए, तभी अच्छा रहेगा। क्योंकि हाउसिंग सोसायटी में आपकी दुनिया बसती है।
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