हर काम में हां हां जी करके पहले कॉन्ट्रैक्ट लो, फिर हाउसिंग सोसायटी से एडवांस लो, फिर बहाने बना बना कर काम टालते रहो, बिना काम के सोसायटी से पैसे मांगो, पैसे नहीं मिलने पर काम नहीं करने की धमकी दे डालो,..हर कॉन्ट्रेक्टर की है यही कहानी .......
क्या आप किसी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं और वहां की कमिटी के सदस्य हैं या फिर किसी पद (चेयरमैन, सेक्रेटरी, ट्रेजरर) पर हैं तो कोई भी काम किसी कॉन्ट्रैक्टर को देने से पहले कई बार सोच लीजिएगा। साथ ही जब कॉन्ट्रेक्टर आपकी सोसायटी का काम करता रहे, तो उसके काम और उसके द्वारा दिए कोटेशन पर भी नजर रखें, सिर्फ कॉन्ट्रेक्टर को एडवांस पैसे देकर सोसायटी के प्रति अपनी जिम्मेदारी को खत्म मत समझें, वरना आप और आपकी सोसायटी के लोग मुश्किल में फंस सकते हैं। अगर आप किसी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के कामकाज से परिचित नहीं है, तो जान लीजिए कि हाउसिंग सोसायटी के रखरखाव के लिए एक मैनेजिंग कमिटी होती है, जिसके सदस्य उसी हाउसिंग सोसायटी के होते हैं और उसी हाउसिंग सोसायटी के लोग उसे चुनते हैं। सोसायटी और सोसायटी के सदस्यों की सुरक्षा, साफ-सफाई, निरोगी माहौल बनाकर रखना कमिटी का काम होता है, इसके लिए सोसायटी के हर सदस्य से हर महीने मेनटेनेंस चार्ज लिया जाता है। सोसायटी से जुड़े काम करवाने की जिम्मेदारी कमिटी की होती है।
तो, जब कमिटी को कोई बड़ा काम करवाना होता है, तो संबंधित कई कॉन्ट्रेक्टर से पहले कोटेशन मंगवाना होता है। उनमें से कई कॉन्ट्रैक्टर काफी चालबाज होते हैं। मीठा मीठा बोलते हैं, हर काम के लिए हां हां जी कर देते हैं, और कॉन्ट्रैक्ट पा जाते हैं। इसके बाद सोसायटी से काम के लिए एडवांस में पैसे भी ले लेते हैं। उसके बाद सोसायटी के साथ खेल शुरू करते हैं। तरह तरह के बहाना बनाकर काम को टालते जाते हैं, या फिर काम की शुरुआत करते उसे लंबे समय तक छोड़ देते हैं। यही नहीं, कोटेशन में जिस तरह से काम लिखा होता है, उसे में नजरअंदाज करते हैं, एक तरह से कह सकते हैं अपनी मनमानी शुरू कर देते हैं। यही नहीं, बिना काम पूरा किए ही बार बार सोसायटी से पैसे मांगते हैं, और पैसे नहीं देने पर काम दोबारा शुरू नहीं करने की धमकी देते हैं।
यहां पर मैं पांच तस्वीर आपके साथ साझा कर रहा हूं,गौर से देखिएगा इसे।
एक हाउसिंग सोसायटी में नई अंडरग्राउंड पानी टंकी का निर्माण चल रहा है। कॉन्ट्रेक्टर ने इसे 20 दिनों में पूरे करने का वादा किया था। लेकिन काम शुरू हुए 20 दिन बीच चुके हैं और अभी इतना ही काम हुआ है। यही नहीं सोसायटी परिसर को कॉन्ट्रेक्टर ने डंपिंग ग्राउंड बना दिया है। कहीं पर पानी ज्यादा दिन तक एक जगह जमा रहता है, तो उससे बीमारी फैलती है, सबको पता है, लेकिन इस टंकी को बनाने वाले कॉन्ट्रैक्टर बहाने पर बहाने बनाकर काम में देरी कर रहा है। ये तस्वीर तो एक हाउसिंग सोसायटी की है। ऐसा नजारा आपको कई हाउसिंग सोसायटी में देखने को मिलेगा। जहां कॉन्ट्रेक्टर ने पैसा तो पूरा ले लिया लेकिन काम आधा-अधूरा छोड़कर भाग गया। या फिर कोटेशन के मुकाबिक, सोसायटी से पैसा तो ले लिया लेकिन आगे काम बढ़ाने के लिए सोसायटी से और पैसे की मांग करते हुए, काम आधा-अधूरा छोड़ दिया। सवाल है कि ऐसे कॉन्ट्रैक्टर से निपटने का इलाज क्या है? जो सबसे सटीक इलाज है वो है उपचार से परहेज बढ़िया यानी काम देने से पहले कॉन्ट्रैक्टर का इतिहास, भूगोल सब पता कर लें। कई बार लोग पर्सनल रिलेशन में किसी को काम देते हैं, जो कि बाद में काफी नुकसान पहुंचाता है।
अगर आप किसी हाउसिंग सोसायटी के कमिटी में है तो किसी कॉन्ट्रेक्टर को काम देने से पहले सिर्फ निजी रिश्ते मत देखिएगा, उसकी पूरी जानकारी भी लीजिएगा।
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