गुरुवार, 22 जुलाई 2021

किसी भी हाउसिंग सोसायटी की सरकार होती है उसकी मैनेजिंग कमिटी

             'हाउसिंग सोसायटी के हित में काम करना ही मैनेजिंग कमिटी की जिम्मेदारी होती है'


जब सरकार काम नहीं करती है, तो हम उसे गाली देते हैं, उसकी शिकायत करते हैं। मतलब सरकार का काम है काम करना। उसे कानून से असीमित अधिकार मिले हैं तो बहुत सारी जिम्मेदारियां भी निभानी होती है। सरकार कई स्तर पर काम करती है। जैसे-केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय सरकार (ग्राम पंचायत, जिला परिषद, नगरनिगम-नगरपालिका)। किसी भी लोकतंत्र में सरकार का मुख्य काम होता है जनता के कल्याण के लिए काम करना। 

किसी भी हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी भी एक तरह से सरकार ही होती है। को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी कानून के जरिये मैनेजिंग कमिटी को उस हाउसिंग सोसायटी की सीमा में कई अधिकार और जिम्मेदारियां मिली होती है। मैनेजिंग कमिटी को अपनी हाउसिंग सोसायटी के कल्याण के लिए काम करना होता है। सोसायटी के सदस्यों के साथ चर्चा करके सोसायटी के लिए स्वनियमन तैयार करना होता है। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB )

लेकिन, हाउसिंग सोसायटी के मामले में अक्सर देखने को मिलता है कि वहां की मैनेजिंग कमिटी के सदस्यों को अपने अधिकार और अपनी जिम्मेदारी की जानकारी नहीं रहती है। जो परंपरा चली आ रही होती है उसी ढर्रे पर सभी कमिटी चलती रहती है। अगर जानकारी रहती भी है तो य तो अपने घमंड की वजह से या फिर लापरवाही की वजह से सोसायटी के लिए काम नहीं करते हैं।  

आप ज्यादातर हाउसिंग सोसायटी में दो काम बहुत शिद्दत के साथ होते हुए देखेंगे। पहला,  समय पर सोसायटी के मेंबर्स से मेनटेनेंस वसूलना और दूसरा, सेलेब्रेशन जैसे कि सत्यनारायण पूजा, गणपति, नवरात्रि बगैरह। लेकिन, मेंबर्स से जो मेनटेनेंस वसूला जा रहा है, उस किस काम में खर्च करना है, कब खर्त करना है, खर्च करना भी है या नहीं करना, इन सबकी जानकारी नहीं रहती है, जानकारी रहती भी है तो जरूरत होने पर भी जानबुझकर खर्च नहीं करते हैं। 

इसको उदाहरण से समझिये। किसी हाउसिंग सोसायटी की बिल्डिंग में काई जम चुका है, दरारें आ गई हैं, सोसायटी के कई फ्लैट में लीकेज, सीपेज है यानी बिल्डिंग में रिपेयर, क्रैक फिलिंग, कलर के साथ साथ छत पर पतरा लगाने की जरूरत है, लेकिन मैनेजिंग कमिटी यह काम सालोंसाल लटकाए रहती है। इससे हाउसिंग सोसायटी की बिल्डिंग और उसके मेंबर्स की जान खतरे में रहती है। बारिश में कई बार 10-15 साल पुरानी बिल्डिंगों को भी धराशायी होने की खबर आप पढ़ते-देखते होंगे। ऐसा क्यों होता है। 

बिल्डिंग का सही से रख-रखाव नहीं करने की वजह से। हद तो तब हो जाती है जब  हाउसिंग सोसायटी के पास काम करवाने के लिए काफी पैसा बैंक अकाउंट में बेकार पड़ा रहता है फिर मैनेजिंग कमिटी के लोग काम नहीं करवाते हैं। चुंकि मैनेजिंग कमिटी किसी भी हाउसिंग सोसायटी की सरकार होती है, इसलिए जरूरत पड़ने पर बिल्डिंग का काम करवाना चाहिए। अगर सोसायटी के पास पैसे नहीं भी है तो सोसायटी सदस्यों को भरोसा में लेकर उनसे पैसा इकट्ठा करके रिपेयर का काम जरूर करवाना चाहिए। मैनेजिंग कमिटी को सोचना चाहिए कि पैसा जरूरी है या फिर लोगों की जान। इसलिए रिपेयर का काम करवाने में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। 

अब अगर मान लीजिए कि आपकी सोसायटी परिसर में हर बारिश में पानी जमा हो जाता है। ऐसा सरकारी गटर की ऊंचाई बढ़ाने से हो सकता है या फिर कुछ और कारण से। मैनेजिंग कमिटी को परिसर से पानी बाहर निकालने के उपायों पर विचार करना चाहिए, अपने सोसायटी मेंबर्स या किसी बाहरी एक्सपर्ट से इस बारे में बातचीत करनी चाहिए। क्योंकि सोसायटी में रहना हमें ही है, मेनटेनेंस भी हमें ही देना है, और मेनटेनेंस से मिले पैसों का खर्च भी हमें ही करना है। यानी समस्या का समाधान निकालने के लिए हमें किसी सरकारी परमिशन की जरूरत नहीं है और साथ ही  अगर समस्या का समाधान नहीं निकाले तो दिक्कत हमें ही होने वाली है। इसलिए मैनेजिंग कमिटी में रहते हुए काम करने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। 

पानी की समस्या काफी गंभीर समस्या होती है। कई बार नगरपालिका पानी की सप्लाई इतना ज्यादा कर देती है कि सोसायटी की अंडरग्राउंड वॉटर टंकी में जगह नहीं होती है और पानी बर्बाद होता रहता है। इसके लिए मैनेजिंग कमिटी को एक्स्ट्रा टंकी बनाने के बारे में सोचना चाहिए। समस्या के समाधान के लिए थोड़ा वर्क आउट करना चाहिए। चुंकि सोसायटी के रख-रखाव की जिम्मेदारी आपने ली है तो आपको सोसायटी के लिए थोड़ा समय निकाल कर काम करना चाहिए। 

सोसायटी के बहुत सारे काम सालों साल पेंडिंग पड़े रहते हैं। उन कामों को देरी किए बिना निपटाने की कोशिश करनी चाहिए। सोसायटी से जुड़े तरह तरह के कागजात जैसे कि सोसायटी का ब्लू प्रिंट,  रजिस्ट्रेशन पेपर, पैन, टैन, सारा बिजली बिल, पानी बिल, सोसायटी मेंबर्स के फ्लैट के कागज, नॉमिनेशन, शेयर सर्टिफिकेट, सोसायटी के सामानों की लिस्ट, सोसायटी का बैंक अकाउंट सबको सुरक्षित और सही जगह पर रखने की आदत डालनी चाहिए। ऐसा ना होने पर भविष्य में सोसायटी को तकलीफ हो सकती है। 

कई सोसायटी में कुछ ही लोग बार बार मैनेजिंग कमिटी के लिए चुने जाते हैं। सोसायटी के दूसरे मेंबर्स द्वारा मैनेजिंग कमिटी में आने की रुचि नहीं दिखाने की वजह से एक ही लोग लंबे समय तक मैनेजिंग कमिटी में बने रहते हैं। कई बार ऐसे लोगों में एक तरह का घमंड आ जाता है, और उनका नेचर दादागिरी किस्म वाला हो जाता है। वो ना तो कई काम करते हैं, ना ही सोसायटी के किसी मेंबर्स की बात या समस्या सुनते हैं, बस अपनी ही मनमानी करते हैं। ऐसा करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार को शोभा नहीं देता है। इसलिए अगर आप किसी हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी में हैं तो उस सोसायटी के हित के लिए काम करें, क्योंकि मैनेजिंग कमिटी मतलब काम के प्रति समर्पण। 

मैनजिंग कमिटी में तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो ना तो काम करना चाहते हैं, ना ही उन्हें काम आता है, केवल काम में अड़ंगा जरूर डालते हैं। कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो कि सोसायटी के पैसे को अपने बाप का माल समझ लेते हैं और उसे ना तो खर्च करते हैं और ना ही खर्च करने देते हैं। उन्हें लगता है कि सोसायटी का पैसा बचाकर वो सोसायटी के लोगों का समर्थन हासिल कर लेंगे। ऐसे लोगों से मैं अपील करता हूं कि सोसायटी का पैसा सोसायटी के कल्याण पर खर्च करने के लिए है, ना कि उसे जमा करने के लिए। हां, कुछ इमरजेंसी फंड के तौर पर पैसे रखा जा सकता है लेकिन,पैसे पर कुंडली मारकर कोई बैठ जाए और कहे कि मैं पैसा खर्च करने ही नहीं दूंगा, ये बिल्कुल गैर-कानूनी है। 

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