बुधवार, 21 जुलाई 2021

अपनी हाउसिंग सोसायटी की समस्या सुलझाकर हंसिये, बेवजह विवाद बढ़ाने से बचिये


हमारी हाउसिंग सोसायटी यानी हमारा घर, हमारी खुशियां, हमारी दुनिया। हाउसिंग सोसायटी में कोई समस्या होना मतलब हमारे घर के लिए मुश्किल होना, हमारी खुशियों पर आफत आना। लेकिन, हाउसिंग सोसायटी में कुछ ऐसे सदस्य होते हैं, जो अपने फायदे के लिए, अपना दबदबा बनाए रखने के लिए, अपने अहं की संतुष्टि के लिए समस्या नहीं होने पर भी बेवजह विवाद पैदा करते हैं। ऐसे सदस्यों को समस्या का समाधान से कुछ लेना-देना नहीं होता है। हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी में रहते हुए भी चेयरमैन, सेक्रेटरी, ट्रेजरार जैसे महत्वपूर्ण पोस्ट को सुशोभित करते हुए भी कभी किसी समस्या का समाधान नहीं निकालते हैं। और जब नई कमिटी बनती है, तो हाउसिंग सोसायटी में ऐसे सदस्य बेवजह का विवाद पैदा करवाने में लगे रहते हैं। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB )

यहां हम एक हाउसिंग सोसायटी के कुछ सदस्यों द्वारा किए गए सोसायटीविरोधी गतिविधियों के बारे में बता रहे हैं। उस हाउसिंग सोसायटी का एक अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप है। उस ग्रुप को उन लोगों ने बनाया है, जो पहले मैनेजिंग कमिटी में थे और हो सकता है कि आने वाले दिनों में भी मैनेजिंग कमिटी में रहें। सोसायटी के उस अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कि उस हाउसिंग सोसायटी को छोड़कर जा चुके हैं। यानी ये अब बाहरी लोग हैं, जिन्हें खुद से इस ग्रुप से निकल जाना चाहिए या फिर उस अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप का जो एडमिन है उसे बाहर निकाल देना चाहिए। 

बात उन दिनों की है, जब उस हाउसिंग सोसायटी में नई कमिटी ने कमान संभाली। इसमें इससे पहले वाली कमिटी के एक भी लोग शामिल नहीं थे। पहले वाली कमिटी के लोग अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में उन बातों की चर्चा करने लगे, जो कि हाउसिंग सोसायटी की निजता, सुरक्षा के लिए संवेदनशील थी और उस ग्रुप पहले कभी भी उन बातों को लेकर चर्चा नहीं हुई थी। सोसायटी से जुड़े संवेदनशील बातों की चर्चा करने वाले कोई और सदस्य नहीं था, बल्कि पहले वाली कमिटी के ही लोग शामिल थे। 

नई कमिटी जब बनी तो उसने जर्जर जैसी बन चुकी हाउसिंग सोसायटी की बिल्डिंग का रिपेयर, कलर, क्रैक फिलिंग का काम करवाने की योजना बनाई। इसके लिए सिविल कॉन्ट्रैक्टर से संपर्क किया गया। सिविल कॉन्ट्रैक्टर का बिल्डिंग में आना-जाना शुरू हुआ। बिल्डिंग का जायजा लेने के लिए छत पर भी  जाना होता था। सिविल कॉन्ट्रैक्टर के इस काम में कई बार मैनेजिंग कमिटी के मेंबर होते थे, कई बार वॉचमैन होता था, कई बार कमिटी के सदस्य या वॉचमैन सिविल कॉन्ट्रैक्टर को एक खास जगह पर छोड़कर अपने दूसरे कामों में लग जाते थे। यानी बिल्डिंग का जायजा लेने वाले सिविल कॉन्ट्रैक्टर पर सबकी नजर बनी हुई रहती थी। लेकिन, इसे पहले वाली कमिटी के सदस्यों ने बेवजह विवाद का मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में एक ने सिविल कॉन्ट्रैक्टर की तरफ इशारा करते हुए और नई कमिटी पर कटाक्ष करते हुए शेयर किया कि - छत पर कोई अनजान व्यक्ति वॉचमैन या कमिटी के सदस्य की गैर-मौजूदगी में घूम रहा है, ऐसा कैसे हो रहा है। उस एक व्यक्ति द्वारा मैसेज शेयर करते ही पहले वाली कमिटी के सारे सदस्यों ने एक स्वर से लिखना शुरू किया-हां, ये गलत है, कमिटी के लोग क्या कर रहे हैं..बगैरह बगैरह। लेकिन, कॉन्ट्रैक्टर के साथ वॉचमैन वहां मौजूद था। इसलिए बखेड़ा करने की कोई जरूरत ही नहीं थी। 

दूसरी बात, अगर किसी को लग रहा है कि कॉन्ट्रैक्टर के साथ कोई है नहीं तो उसे कमिटी के लोगों से बात करनी चाहिए थी। लेकिन, उन लोगों ने ऐसा नहीं किया। साथ ही, इसके पहले भी बिल्डिंग का काम करने के लिए प्लंबर और कॉन्ट्रैक्टर आए थे, लेकिन कभी किसी ने कोई सवाल खड़े नहीं किए। आपको पहले ही बता चूका हूं कि उस  अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में कई बाहरी लोग भी थे। इस तरह से सोसायटी की संवेदनशील जानकारी उसी सोसायटी के ही सदस्यों द्वारा लीक किया जा रहा था। आप अगर किसी हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं, तो ऐसा कतई मत कीजिएगा, क्योंकि आपकी हाउसिंग सोसायटी आपका घर है। 

ये कोई पहला मामला नहीं था जब उस हाउसिंग सोसायटी की पहली वाली कमिटी के मेंबर्स ने ऐसे बेवजह विवाद खड़ा करने की कोशिश की, बल्कि आगे भी कई बार वो ऐसा काम करते रहे। जैसे कि एक रविवार की बात है। हाउसिंग सोसायटी का ही एक मेंबर (मैनेजिंग कमिटी का मेंबर नहीं) घर में रिपेयर का कुछ काम करवा रहा था। जाहिर सी बात है जब रिपेयर का काम होगा तो आवाज आएगी ही। पहले से भी लोग रविवार को रिपेयर का काम करवाते आ रहे थे। तो विवाद पैदा करने जैसी कोई बात नहीं थी। लेकिन, चुंकि नई कमिटी से पहले वाली कमिटी को खुन्नस थी, इसलिए पहले वाली कमिटी के लोग फिर से वही हरकत करने लगे। 

अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में पहले वाली कमिटी के एक मेंबर ने मैसेज शेयर किया कि- नई कमिटी के लोग को कानून मालूम नहीं है, सोसायटी में क्या हो रहा है उसकी फिक्र नहीं है, क्या रविवार को कोई अपने घर में रिपेयर का काम करवाता है, रविवार को लोगों की छुट्टी रहती है, इसलिए उन्हें आराम करना होता है, बगैरह बगैरह। यानी एक तरह से नई कमिटी पर कटाक्ष किया गया। जरा आप ही सोचिए, किसी हाउसिंग सोसायटी के मेंबर को अपनी हाउसिंग सोसायटी को लेकर इस तरह से अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में विवाद पैदा करना सही है क्या। अगर किसी को किसी घर में किए जा रहे रिपेयर से दिक्कत हो रही हो, तो खुद जाकर उस शख्स से बात कर सकता है या फिर अगर उसकी बात रिपेयर करवाने वाला शख्स नहीं सुनता है तो मैनेजिंग कमिटी में शिकायत करनी चाहिए। लेकिन, सीधे अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में चर्चा करने की क्या जरूरत है इसकी। 

उस हाउसिंग सोसायटी की पहले वाली कमिटी के लोग नई कमिटी को जलील करने की कोशिश यहीं नहीं थमी। 2020 में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा। काफी लोगों की नौकरियां चली गई। कई लोगों की आमदनी घट गई, काम-धंधे बंद हो जाने के कारण लोगों के सामने आर्थिक समस्या पैदा हो गई। ऐसे में उस हाउसिंग सोसायटी के भी कुछ फ्लैटऑनर्स को हर महीने मेनटेनेंस देना मुश्किल होने लगा था। हम सब जानते हैं कि हाउसिंग सोसायटी का सारा खर्च उस सोसायटी के मेंबर्स से वसूल किए जाने वाले मेनेटेनेंस चार्ज से चलता है। जो लोग कमिटी में रहते हैं या रह चुके होते हैं उनको भी ये बात अच्छे से मालूम है। लेकिन, जिस हाउसिंग सोसायटी की पहले वाली कमिटी के मेंबर्स की बात कर रहा हूं, वो लोग इस मुद्दे को भी बेवजह तूल देने लगे। एक बार फिर से वही पहले वाली कमिटी के लोगों का अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में नई कमिटी पर कटाक्ष वाला मैसेज शेयर होना शुरू हो गया। एक ने लिखा कि, जिसकी महीने की लाखों में सैलरी है, लॉकडाउन में लोगों की इनकम नहीं है, इसलिए तीन महीने का मेनटेनेंस माफ कर देना चाहिए। एक के लिखने के बाद पहले वाली कमिटी के सारे सदस्यों ने लिखना शुरू किया, यस, मैं भी सहमत हूं।  अगर किसी को मेनटेनेंस देने में दिक्कत हो, तो उसे सीधे मैनेजिंग कमिटी से बात करनी चाहिए। सोसायटी के चेयरमैन, सेक्रेटरी बगैरह से बात करनी चाहिए। लिखित में अपनी बात कहनी चाहिए। लेकिन, सोसायटी के अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में इस तरह की बात करने का किसी का क्या मकसद हो सकता है। ये तो बेवजह विवाद करने जैसा है। 

उस पहली वाली कमिटी की एक और हरकत जान लीजिए। हाउसिंग सोसायटी की हाल ही में खत्म हुई आम सालाना बैठक (एजीएम) में सोसायटी का ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप बनाने पर सहमति हुई थी। हालांकि उस एजीएम में अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप को ही ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में बदलने की सलाह कुछ लोगों ने दी थी, लेकिन ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप के एडमिन वाले, जो कि एडीएम को संबोधित करने वाली मैनेजिंग कमिटी के ही लोग थे, ने ऐसा करने से मना कर दिया था। उसी एजीएम में नई मैनेजिंग कमिटी के लिए मेंबर्स भी चुने गए थे। इन मेंबर्स में मौजूदा मेंबर्स में से एक भी शामिल नहीं थे। नई कमिटी ने कार्यभार संभालने के बाद सोसायटी का ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप बनाया, लेकिन इसमें मैसेज शेयर करने का अधिकार सिर्फ एडमिन को दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि बिना मतलब का मैसेज का शेयर ना हो, बिना मतलब की बातों पर चर्चा करके समय और ऊर्जा बर्बाद ना हो, केवल सोसायटी के लिए जरूरी सूचनाओं को ही शेयर किया जाए। आप सब जानते हैं बहुत सारे व्हाट्सअप ग्रुप में बिना मतलब का मैसेज शेयर किया जाता है। ऐसे में कई बार जरूरी मैसेज लोग पढ़ ही नहीं पाते हैं। सोसायटी के अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में भी अनाप-शनाप मैसेज को शेयर किया जाता है। जब ऑफिशियल व्हाट्स अप ग्रुप बनाकर मैसेज शेयर का अधिकार केवल एडमिन के लिए सुरक्षित रखा गया तो इस पर भी पहले वाली कमिटी के लोगों ने सोसायटी के अन-ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में आपत्ति जताने लगे। कहने लगे कि क्या हम सब अनपढ़ हैं, कि हमें मैसेज शेयर करने का अधिकार नहीं दिया गया, कुछ ने कहा कि सोसायटी के ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में दोनों तरफ से मैसेज का आदान-प्रदान होना चाहिए। पहले वाली कमिटी के करीब सभी सदस्यों ने सोसायटी के ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप सोसायटी के अन- ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप में बहिष्कार करते हुए ऑफिशियल व्हाट्सअप ग्रुप से खुद को बाहर कर लिया। पहली वाली कमिटी को इस बारे में कमिटी से बात करनी चाहिए थी कि आपने ऐसा फैसला क्यों लिया। लेकिन, उनका इरादा तो बेवजह की समस्या खड़ी करनी थी, सियासत करनी थी। उन्हें दिखाना था कि हाउसिंग सोसायटी को चलाने की काबिलियत सिर्फ उन्हीं में है।  

तो, अगर आप किसी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं, तो ऐसा कोई काम ना करें जिससे आपकी हाउसिंग सोसायटी के लिए समस्या पैदा हो और बेवजह बखेड़ा खड़ा हो, बल्कि अपनी हाउसिंग सोसायटी के लिए कुछ करना ही चाहते हैं तो हाउसिंग सोसायटी की उन समस्याओं का समाधान कीजिए, जिससे उस सोसायटी के लोगों को परेशानी हो रही है। 

 

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