गुरुवार, 7 अक्तूबर 2021

महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी:AGM की डेडलाइन बढ़ाने के संबंध में अध्यादेश जारी

 


अगर आप महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं और उसकी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए होने वाली सालाना आम बैठक यानी AGM की डेडलाइन को लेकर किसी उलझन में थे तो अब आपकी उलझन सुलझ गई है। दरअसल, मौजूदा कानून के मुताबिक, हर हाउसिंग सोसायटी को यह एजीएम 30 सितंबर 2021 तक आयोजित करना अनिवार्य था, लेकिन अब 31 मार्च 2022 तक आयोजित करवा सकते हैं।  साथ ही इसके लिए ऑडिट पूरे करने की डेडलाइन भी बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दी गई है। महाराष्ट्र कैबिनेट में 22 सितंबर 2021 को इस बारे में फैसला लिया गया।  


कुछ लोग इस बढ़ी हुई डेडलाइन को लेकर सरकार के अध्यादेश का इंतजार कर रहे थे। तो, आपको बता दूं कि सरकार ने इस संबंध में  1 अक्टूबर 2021 को अध्यादेश भी जारी कर दिया है। 


हालांकि, हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी को एजीएम आयोजित करने के लिए आजोन तारीख से 14 दिन पहले नोटिस देनी होती है। इस हिसाब से 30 सितंबर को आखिरी तारीख के मद्देनजर 16 सितंबर तक AGM आयोजित कराने वाली सभी मैनेजिंग कमिटी अपने सोसायटी मेंबर्स को नोटिस भेज चुकी होगी, लेकिन AGM की डेडलाइन बढ़ाने का फैसला 22 सितंबर को किया गया। ये बड़ा अजीबोगरीब है। सरकार को समय से पहले फैसला लेना चाहिए। 


लॉकडाउन, सख्त कोरोना गाइलाइंस बगैरह को देखते हुए बहुत सारे हाउसिंग सोसायटी मेंबर्स और उसके अकाउंटेंट एजीएम डेडलाइन बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जिसे सरकार ने मान लिया है। लेकिन, इस बड़ी डेडलाइन को तभी कानूनी माना जाएगा, जब सरकार इस बारे में अध्यादेश लाएगी या कानून बनाएगी। तो, अध्यादेश का इंतजार करना चाहिए। 

>जिन सोसायटी ने 30 सितंबर तक AGM की तारीख तय की है उन्हें क्या करना चाहिए :
जानकारों का कहना है कि जिन हाउसिंग सोसायटी ने 30 सितंबर तक AGM की तारीख तय की है, उन्हें एजीएम रद्द नहीं करना चाहिए, तय तारीख पर करवा लेना चाहिए। 

आपको बता दूं कि महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की सालाना आम बैठक (AGM: Annual General Meeting) किसी भी वित्त वर्ष के लिए उसके अगले वित्त वर्ष के 30 सितंबर तक कराना जरूरी है। महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी एक्ट 1960 (  MCS Act 1960) इसे हर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए हर साल कानूनन अनिवार्य बनाता है। 

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एजीएम आयोजन की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2020 थी, लेकिन कोरोना लॉकडाउन गाइडलाइंस की सख्ती की वजह से (जिसमें उचित दूरी, पांच से ज्यादा लोगों के एक साथ सशरीर उपस्थित होने पर रोक, पैदल या निजी सवारी या सार्वजनिक सवारी से यात्रा पर सख्ती, मास्क जरूरी) एजीएम की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक की गई थी। यानी 31 मार्च 2020 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एजीएम आयोजित करने के लिए 31 मार्च 2021 तक का समय मिला था। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB ) 


 


हाउसिंग सोसायटी और उसकी कमिटी के लोगों का 'Confusing Character'!

किसी भी हाउसिंग सोसायटी की सरकार होती है उसकी मैनेजिंग कमिटी

-हाउसिंग सोसायटी के कानून जानने के हैं बहुत सारे फायदे

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रविवार, 3 अक्तूबर 2021

महाराष्ट्र की करीब 30 हजार को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए जरूरी खबर, नई कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ, जानें चुनाव की पूरी प्रक्रिया


महाराष्ट्र में करीब एक लाख को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी हैं, उनमें से करीब 30 हजार ऐसी हाउसिंग सोसायटी है जहां सदस्यों की संख्या 250 या उससे कम है। महाराष्ट्र सरकार ने  250 या उससे कम सदस्यों वाली को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए नई मैनेजिंग कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है। जो लोग को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं, उनको पता है कि सोसायटी को चलाने के लिए मैनेजिंग कमिटी होती है। यह कमिटी सोसायटी की एजीएम या एसजीएम में पास किये गए कामों और रिजोल्युशन के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी कानून में दी गई जिम्मेदारी और अधिकार के आधार पर साथ ही सोसायटी और उसके सदस्यों की जरूरत के हिसाब सारे फैसले लेती है, सारा काम करवाती है, वॉचमैन-स्वीपर या दूसरे स्टाफ को सैलरी देती है। आपको बता दूं कि 250 या उससे कम सदस्यों वाली हाउसिंग सोसायटी को ई-क्लास हाउसिंग सोसायटी कहा जाता है। 



महाराष्ट्र में कोरोना महामारी को देखते हुए को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी कानून 1960 में किए गए संशोधन की वजह से पिछले साल मार्च (18 मार्च 2020 ) से लेकर इस साल 31 अगस्त (31 अगस्त 2021) तक मैनेजिंग कमिटी के चुनाव पर रोक लगी हुई थी। ऐसे में जिन हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी का संपूर्ण कार्यकाल समाप्त हो गया था और नई कमिटी का चुनाव किया जाना था, नई कमिटी के चुनाव पर ही रोक लग गई। इस कारण ऐसी हाउसिंग सोसायटी में सामान्य नियमित काम होते रहे, लेकिन जहां बड़े और जरूरी काम जैसे कि बिल्डिंग के रिडेवलपमेंट, बिल्डिंग का कलर, क्रैक फिलिंग, रि-प्लास्टर कराने से जैसे महत्वपूर्ण काम कराने थे, वो समय पर नहीं हो पा रहे थे। इससे बिल्डिंग और बिल्डिंग में रहने वाले सदस्यों को परेशानी हो रही थी। 

अब महाराष्ट्र ने 250 या उससे कम सदस्यों वाली को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में नई मैनेजिंग कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है तो ऐसी सोसायटी में जरूरी और महत्वपूर्ण काम निपट सकेंगे। अब सवाल है कि नई कमिटी का चुनाव कैसे होगा। अप्रैल 2021 में सरकार चुनावी नियमों को अधिसूचित किया था। इसके अनुसार सितंबर 2021 से चुनावी प्रक्रिया शुरू कर देना है। 

>नई कमिटी के चुनाव की प्रक्रिया:

हाउसिंग सोसायटी की नई कमिटी की चुनावी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति करना जरूरी है।  यानी  रिटर्निंग ऑफिसर के जरिये ही पूरी चुनावी प्रक्रिया को अंजाम देना है।  अब सवाल है कि रिटर्निंग ऑफिसर कौन होगा। चुनाव कराने वाली हाउसिंग सोसायटी की मौजूदा कमिटी  दो तरीके से रिटर्निंग ऑफिसर का चुनाव कर सकती है। पहला, हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों में से ही किसी को चुन सकती है। लेकिन, ध्यान रहे चुना हुआ सदस्य ना तो मौजूदा मैनेजिंग कमिटी का सदस्य हो और ना ही नई कमिटी में सदस्य बनने के लिए उसने आवेदन दिया हो। रिटर्निंग ऑफिसर बनाए गए सदस्य को को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचित संस्थान या हाउसिंग फेडरेशन में एक या दो दिनों की ट्रेनिंग लेनी होगी। 

रिटर्निंग ऑफिसर चुनने का दूसरा तरीका भी है। इसके अनुसार चुनाव वाली हाउसिंग सोसायटी की मौजूदा मैनेजिंग कमिटी को को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचित किए गए पैनल में से किसी को चुनना होगा। 

 https://drive.google.com/file/d/1buecMWoCBahrMnKFLR5wH2ueSRSYiZ8U/view?usp=drivesdk

https://drive.google.com/file/d/1CJOIYDuo-fOhbUGCIFDQOv_tNuMeRbNz/view?usp=drivesdk

https://drive.google.com/file/d/1E-93uPpkskwvwJAcwt9WVpHEyp2evyQ3/view?usp=drivesdk

https://sahakarayukta.maharashtra.gov.in/site/upload/documents/Section%2073_English.pdf


अधिसूचना के मुताबिक, हाउसिंग सोसायटी को इस अधिसूचना के जारी किए जाने के 6 माह के भीतर नई कमिटी चुनने का काम पूरा करना होगा। एक बात और ध्यान रखें कि पूरी चुनावी प्रक्रिया को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट की देखरेख में की जाएगी। 

रिटर्न ऑफिसर के चयन के अलावा, निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) भी तैयार करना होगा। नई कमिटी के लिए चुनाव लड़ने वालों की भी लिस्ट बनानी होगी। इतना सबकुछ करने के बाद हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों सलाह और आपत्ति भी मंगवानी होगी और उसके प्रकाशित करना होगा। 

आपको बता दूं कि महाराष्ट्र में हाउसिंग सोसायटी के अलावा कई दूसरी तरह की भी को-ऑपरेटिव सोसायटी हैं जैसे कि डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, प्राइमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटीज, सुगर फैक्ट्रीज, स्पिनिंग मिल्स, मार्केट कमीटी, मिल्क फेडरेशंस, क्रेडिट सोसायटीज, एम्प्लॉयी क्रेडिट सोसायटीज, कंज्युमर सोसायटीज और लेबर एसोसिएशन। सारे को-ऑपरेटिव्स में पिछले साल मार्च से लेकर इस साल 31 अगस्त तक नई कमिटी के चुनाव पर रोक लगी हुई थी। महाराष्ट्र सरकार ने सबसे पहले 18 मार्च 2020 की घोषणा द्वारा 17 जून 2020 तक नई कमिटी के चुनाव पर रोक लगाई थी, उसके बाद इस तिथि में कई बारे संशोधन की गई। नई कमिटी के चुनाव पर रोक 17 जून 2020 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 की गई फिर 16 जनवरी 2021 की गई, फिर 31 मार्च 2021 की गई और फिर 31 अगस्त 2021 तक चुनाव पर रोक लगाई गई। लेकिन अब चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। 

तो. अगर आपकी भी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की नई कमिटी का चुनाव करना है तो जल्दी से ये प्रक्रिया पूरी कर दें, और अपनी हाउसिंग सोसायटी की सभी पेंडिंग जरूरी कामों को पूरा करवाएं। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!   

 



सोसायटी और उसकी कमिटी के लोगों का 'Confusing Character'!

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शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

हाउसिंग सोसायटी की जमीन अगर सरकारी गटर से नीचे हो जाए तो जलजमाव से कैसे बचें


देश के किसी भी शहर में चले जाएं जलजमाव एक बड़ी समस्या है। बरसात में तो रास्ते नरक बन ही जाते  हैं, आम दिनों में भी ड्रेनेज व्यवस्था सही नहीं होने की वजह से लोगों को जलजमाव का सामना करना पड़ता है। बड़े बड़े शहरों में हाउसिंग सोसायटी लोगों की जरूरत बन गई है। सरकारी उपेक्षा की वजह से हाउसिंग सोसायटी के लोगों को जलजमाव से दिक्कत तो होती ही है, लेकिन कई बार हाउसिंग सोसायटी के लोग अपनी लापरवाही से जलजमाव का सामना करने को मजबूर होते हैं। आप सोच रहे होंगे कि भला, हाउसिंग सोसायटी की लापरवाही से सोसायटी में जलजमाव कैसे हो सकता है। तो, चलिये इस मुद्दे पर आज बात करते हैं। 

सरकारी की लापरवाही से होने वाले जलजमाव से तो हम नहीं निपट सकते हैं, लेकिन अपनी हाउसिंग सोसायटी में अगर किसी कारणवश से जलजमाव होता है तो उससे निपटने के उपाय तो कर ही सकते हैं। 

हाउसिंग सोसायटी में जलजमाव की समस्या और समाधान: 

कई बार हाउसिंग सोसायटी की गटर जिस सरकारी गटर से जुड़ी होती है, उस सरकारी गटर की सफाई नहीं होना और उसमें कचरा फंसा होना, जिससे पानी की सही निकासी नहीं होती हो पाती है। कई बार हाउसिंगसोसायटी की गटर भी जाम होता है और उसकी भी सफाई लंबे समय से नहीं होती है, तो जलजमाव होना लाजिमी है।  मैं जिस हाउसिंग सोसायटी में रहता हूं। वहां भी जलजमाव हो जाता है। मेरी हाउसिंग सोसायटी में जब नई मैनेजिंग कमिटी बनी, जिसका मैं भी सदस्य था, तो हमलोगों ने अपनी हाउसिंग सोसायटी में जलजमाव की समस्या को दूर करने के लिए दो काम किए। पहला, अपनी हाउसिंग सोसायटी की गटर की सफाई करवाई, जिसकी सफाई कभी हुई ही नहीं था, और दूसरा काम किया -हमलोगों ने सरकारी गटर की सफाई के लिए बार बार अपने स्थानीय नगरसेवक से मुलाकात की सरकारी गटर की सफाई की अपील की। स्थानीय नगरसेवक से हमलोगों ने कई बार मुलाकात की। 

हमलोगों ने अपनी हाउसिंग सोसायटी में जलजमाव की समस्या को दूर करने के लिए एक और काम किया। हमारी सोसायटी की गटर पड़ोस के अस्पताल की गटर से जुड़कर सरकारी गटर से मिलती है। अस्पताल ने हमारी गटर के मुंह को बंद कर दिया था, साथ ही उसने अपनी गटर की ऊंचाई भी हमारी गटर की ऊंचाई से अधिक कर दिया था। 

ऐसी स्थिति में हमलोगों ने सबसे पहले अस्पताल के मैनेजर से मिलकर गटर के मुंह को खोलने को अपील की, ताकि हमारी सोसायटी का पानी ठीक तरीके से सरकारी गटर में चला जाए। अस्पताल के मैनेजर ने हमारी अपील को मानते हुए गटर के मुंह को खोल दिया। लेकिन, अब दिक्कत थी कि अस्पताल की गटर की ऊंचाई हमारी सोसायटी की गटर से अधिक थी, इसलिए जलजमाव की समस्या फिर भी बनी रही। 

आखिर में हमारी हाउसिंग सोसायटी ने अपनी गटर की ऊंचाई बढ़ाने का फैसला किया। हमने गटर की ऊंचाई बढ़वा दी, जिसके बाद गटर की वजह से होने वाले जलजमाव की समस्या से निजात मिला। 

कई बार हाउसिंग सोसायटी की जमीन सरकारी गटर की ऊंचाई से कम हो जाती है, जिससे हाउसिंग सोसायटी का जमा पानी ठीक से सरकारी गटर से बाहर नहीं निकलता है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसे में जलजमाव से निपटने के उपाय क्या हैं। तो, उपाय हैं जनाब। 

इसका पहला, उपाय है कि आप अपनी हाउसिंग सोसायटी की जमीन की भरनी करवा दीजिए यानी कि जमीन को ऊंचा करवा दीजिए। कई हाउसिंग सोसायटी ऐसा ही करती है। हालांकि ध्यान रहे के हाउसिंग सोसायटी के ग्राउंड प्लोर से सोसायटी की जमीन कुछ नीची ही रहे तो अच्छा रहेगा, नहीं तो ग्राउंड फ्लोर के लोगों को दिक्कत हो सकती है। 



इसका दूसरा उपाय भी है। हाउसिंग सोसायटी अस्थायी या स्थायी तौर पर पानी निकालने वाला पाइप और साथ में डीजल या मोटर रख ले। जब भी जलजमाव हो, पाइप से पानी को सरकारी गटर में निकाल दें। कुछ हाउसिंग सोसायटी ऐसा करते हैं। 





देखिये, जो सरकार का काम है, वो तो सरकार को ही करना है, लेकिन हमें अपनी तरफ से अपनी हाउसिंग सोसायटी को जलजमाव से मुक्त करने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!   

 



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