रविवार, 29 अगस्त 2021

महाराष्ट्र की हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले AGM की ताकत को नजरअंदाज मत करें


अगर आप महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं तो आपको अपनी हाउसिंग सोसयाटी की हर वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद होने वाली सालाना आम बैठक यानी AGM: Annual General Meeting को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।  


जैसे संसद सत्र के दौरान देश हित के लिए, नागरिकों को बेहतर सुविधा के लिए सत्ता-विपक्ष के बीच सवाल-जवाब होते हैं, तीखी नोंकझोंक होती है, जैसे विधान सभा या विधान परिषद में उस राज्य के हित और उस राज्य के निवासियों के लिए सत्ता-विपक्ष के बीच तकरार होती है, उसी तरह से किसी भी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की एजीएम में मैनेजिग कमिटी के सदस्यों और उस सोसायटी के सदस्यों के बीच सोसायटी हित और सोसायटी के लोगों को बेहतर सुविधा देने को लेकर सवाल-जवाब होते हैं, कई बार तीखी नोंकझोंक भी होती है, लेकिन ये सब हाउसिंग सोसायटी और उसके सदस्यों की बेहतरी के लिए होनी चाहिए। 

किसी भी हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी भी एक तरह से सरकार ही होती है। को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी कानून के जरिये मैनेजिंग कमिटी को उस हाउसिंग सोसायटी की सीमा में कई अधिकार और जिम्मेदारियां मिली होती है। मैनेजिंग कमिटी को अपनी हाउसिंग सोसायटी के कल्याण के लिए काम करना होता है। सोसायटी के सदस्यों के साथ चर्चा करके सोसायटी के लिए स्वनियमन तैयार करना होता है। 

जब सरकार काम नहीं करती है, तो हम उसे गाली देते हैं, उसकी शिकायत करते हैं। मतलब सरकार का काम है काम करना। उसे कानून से असीमित अधिकार मिले हैं तो बहुत सारी जिम्मेदारियां भी निभानी होती है। सरकार कई स्तर पर काम करती है। जैसे-केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय सरकार (ग्राम पंचायत, जिला परिषद, नगरनिगम-नगरपालिका)। किसी भी लोकतंत्र में सरकार का मुख्य काम होता है जनता के कल्याण के लिए काम करना। 

लेकिन, हाउसिंग सोसायटी के मामले में अक्सर देखने को मिलता है कि वहां की मैनेजिंग कमिटी के सदस्यों को अपने अधिकार और अपनी जिम्मेदारी की जानकारी नहीं रहती है। जो परंपरा चली आ रही होती है उसी ढर्रे पर सभी कमिटी चलती रहती है। अगर जानकारी रहती भी है तो य तो अपने घमंड की वजह से या फिर लापरवाही की वजह से सोसायटी के लिए काम नहीं करते हैं।  इसलिए को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के हर सदस्य को मैनेजिंग कमिटी पर दबाव बनाकर उससे काम करवाते रहना चाहिए और साथ ही एजीएम में कमिटी से सवाल-जवाब भी करते रहना चाहिए। एजीएम में मैनेजिंग कमिटी अपना एजेंडा रखती है, जिसपर चर्चा होती है। 

आपको बता दूं कि महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की सालाना आम बैठक (AGM: Annual General Meeting) किसी भी वित्त वर्ष के लिए उसके अगले वित्त वर्ष के 30 सितंबर तक कराना जरूरी है। महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी एक्ट 1960 (  MCS Act 1960) इसे हर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए हर साल कानूनन अनिवार्य बनाता है। 

AGM को लेकर क्या कहता है कानून:

-महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी एक्ट 1960 (  MCS Act 1960) के सेक्शन 75(1) में कहा गया है कि हर साल 30 सितंबर को या उससे पहले एजीएम करवा लेना चाहिए। इस अवधि को बढ़ाने का कोई प्रावधान कानून में नहीं है। 

बायलॉ यानी उपनियम संख्या 94 (ए), 94 (बी) और  95) उपविधि संख्या 94(ए) में भी कहा गया है कि 30 सितंबर या उससे पहले की अवधि के भीतर वार्षिक आम सभा की बैठक आयोजित की जानी चाहिए। 

बाय लॉ नंबर 94 (बी) उपरोक्त उप-नियम 94(ए) में निर्धारित तिथि के अनुसार वार्षिक आम सभा की बैठक बुलाने में चूक के मामले में, अधिनियम की धारा 75(5) के प्रावधान के अनुसार जिम्मेदार हाउसिंग सोसायटी को अयोग्यता और कार्रवाई का सामना करना होगा। 

उपविधि संख्या 95. सोसायटी की वार्षिक आम सभा की बैठक के कार्य:

सोसायटी की वार्षिक आम सभा की बैठक में निम्नलिखित कार्य किए जाने चाहिए-

1-सोसायटी की अंतिम वार्षिक आम सभा बैठक और सोसायटी की विशेष आम सभा की बैठक, यदि कोई हो, के कार्यवृत्त (मिनट्स) को पढ़ने और उस पर की गई कार्रवाई को बताना 

2- पिछले को-ऑपरेटिव वर्ष के दौरान का आय-व्यय और बैलैंसशीट बताना, पिछली को-ऑपरेटिव वर्ष की गतिविधियों पर मैनेजिंग कमिटी की रिपोर्ट जारी करना, साथ में नियमों के नियम 62(1) के तहत निर्धारित प्रपत्र 'एन' में खातों के विवरण देना

3-पिछले सहकारी यानी को-ऑपरेटिव वर्ष के लिए अधिनियम की धारा 75(2ए) में प्रावधान के अनुसार  नियुक्त लेखापरीक्षक से प्राप्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट पर विचार करना 

4-समिति से प्राप्त लेखापरीक्षा सुधार रिपोर्ट (Audit Rectification Report, जिसे उस हाउसिंग सोसायटी द्वारा नियुक्त सीए एजीएम के पहले  कमिटी को देता है) और उस पर की गई कार्रवाई (Action taken thereon)की जानकारी देना 

5-अगले वित्तीय वर्ष का वार्षिक बजट विचारार्थ प्रस्तुत करना।

6-राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित पैनल से लेखा परीक्षा के लिए एक लेखा परीक्षक की नियुक्ति करना।

7-समिति से धारा 75(2) और 95 (1बी) में निर्धारित वार्षिक रिटर्न प्राप्त करना 

8-अधिनियम, नियमों और सोसायटी के उप-नियमों के प्रावधानों के आधार पर किसी भी अन्य मामलों पर विचार करने के लिए, विशेष रूप से सोसायटी की आम सभा की बैठक के निर्णय, सहमति या स्वीकृति की आवश्यकता होती है,

9-पंजीकरण प्राधिकारी, सांविधिक लेखा परीक्षक, सरकार, कलेक्टर, स्थानीय प्राधिकरण या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी से प्राप्त किसी भी महत्वपूर्ण विषय पर विचार करना 

10- नियत होने पर (When Due) अपनी समिति के चुनाव की तारीख और संचालन की घोषणा करना

11-नियमित एजेंडा समाप्त होने और अधिनियम, नियमों और उप-नियमों  के प्रावधानों के तहत अनुमति दिए जाने के बाद, उचित नोटिस की आवश्यकता वाले लोगों को छोड़कर, अध्यक्ष की अनुमति से किसी अन्य मामले पर विचार करना 

को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी ही आपका घर है। जैसे घर को साफ-सुथरा और सुरक्षित रखने के लिए मेहनत करते हैं, उसकी देखभाल करते हैं उसी तरह अपनी हाउसिंग सोसायटी की भी देखभाल करें। एजीएम में हिस्सा लें और हाउसिंग सोसायटी को और बेहतर और सुरक्षित कैसे बनाया जाए, उसपर चर्चा करें। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB ) 

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