शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले-क्या आप कानून जानते हैं?

                                हाउसिंग सोसायटी के कानून जानने के हैं बहुत सारे फायदे

            

महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले एक बात जान लें कि यहां हाउसिंग सोसायटी को चलाने के लिए, यहां की हाउसिंग सोसायटी में रहने वालों के लिए राज्य सरकार द्वारा कानून, नियम और उप-कानून बनाए गए हैं। समय समय पर जरूरत के हिसाब से उनमें बदलाव किए जाते हैं। 

जिन कानून के जरिये को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी चलाई जाती है उनके नाम हैं- महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट 1960 (MCS Act 1960-Maharashtra Cooperative Society Act 1960), महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी रूल्स 1961 (MCS Rules 1961-Maharashtra Cooperative Society Rules 1961),  को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी बायलॉज(Cooperative Housing Society Model bye-laws revised in 2014), MCS Amendment Act 2019। 

इसके अलावा राज्य सरकार समय समय पर मौजूदा कानून में बदलाव करती रहती है, उस पर हाउसिंग सोसायटी में रहने वालों को नजर रखनी चाहिए। 



((In respect of applying Co-operative Housing Societies Manual 

https://sahakarayukta.maharashtra.gov.in/site/upload/documents/Housing%20Manual%202012%20English.pdf
(Commissioner and Registrar of Co-operative Societies, State of Maharashtra, Pune
https://sahakarayukta.maharashtra.gov.in/1058/Introduction 

एक उदाहरण से आपको बताता हूं कि को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लोगों के लिए कानून जानना क्यों जरूरी है। सोसायटी की नई कमिटी ने बिल्डिंग के रिपेयर, कलर, क्रैक फिलिंग काम के साथ साथ छत पर पतरा लगाने की अनुमति लेने के लिए सोसायटी में स्पेशल जेनरल मीटिग (SGM- विशेष आम बैठक) बुलाया। इसकी जरूरत इसलिए महसूस की गई कि पुरानी कमिटी ने एनुअल जनरल मीटिंग (AGM-सालाना आम बैठक) में रिपेयर काम के लिए जिस कॉन्ट्रेक्टर को मंजूरी दिलाई थी, उस कोटेशन में कुछ अस्पष्टता थी। नई कमिटी में ज्यादातर लोग नए थे, उन्हें को-ऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े नियम, कानून, मॉडल बायलॉज की जानकारी नहीं थी। नई कमिटी के चेयरमैन काफी अनुभवी थे, लेकिन उनका फोकस सोसायटी के काम पर था, कानून वो भी नहीं जानते थे। अक्सर सोसायटी में सीए को रखा जाता है जो कि सोसायटी से जुड़े कानून की बारीकियों के बारे में सोसायटी की कमिटी को बताता है, मार्गदर्शन करता है।   

तो, जब एसजीएम शुरू भी नहीं हुई थी कि पुरानी कमिटी के सेक्रेटरी ने नई कमिटी के लोगों से पूछना शुरू किया कि -क्या आप कानून जानते हैं-। ये ऐसा सवाल था कि नई कमिटी के सब लोग हक्के-बक्के रह गए। क्योंकि वो काम को लेकर एसजीए बुलाए थे, ऐसे सवाल की उम्मीद उनको नहीं थीष और होती भी कैसे आज तक इस तरह के सवाल कभी किए ही नहीं गए हैं। जिस पूर्व सेक्रेटरी ने ये सवाल किया, वह दस साल से कमिटी में किसी ना किसी रूप में मौजूद था, लेकिन इसने साल में उसने कोई काम नहीं किया था। 

तो, कानून जानना इसलिए जरूरी है कि कोई आप से इस तरह का सवाल पूछकर आपको शर्मिन्दा ना करें, आपके काम करने के मनोबल को ना तोड़े। 



(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB )

दरअसल, हाउसिंग सोसायटी को चलाने के लिए मैनेजिंग कमिटी होती है, जिसके सदस्य उसी सोसायटी के होते हैं और उन्हें चुनते भी हैं उसी सोसायटी के लोग। मैनेजिंग कमिटी के सदस्य बनने के लिए बहुत कम लोग रुचि दिखाते हैं, क्योंकि कमिटी में रहने पर सोसायटी के लिए बिना मेहनताना लिए काम करना होता है यानि सोसायटी
पर समय देना होता है, सोसायटी में किसी भी गड़बड़ी के लिए कमिटी जिम्मेदार होती है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। 

सोसायटी में बहुत तरह के काम होते हैं, जैसे एक सरकार के पास काम होता है। सोसायटी को साफ-सफाई,रखना, बिजली, पानी और सीसीटीवी कैमरा का इंतजाम, बिल्डिंग के लिए इंश्योरेंस लेना, सोसायटी परिसर की सड़क को दुरुस्त रखना,   सदस्यों से सोसायटी चलाने के लिए मेनटेनेंस लेना, वॉचमैन, स्वीपर रखना और उन्हें सैलरी देना, पार्किंग की व्यवस्था करना, बिल्डिंग की रिपेयरिंग करना,बिल्डिंग और सदस्यों की सेफ्टी का पूरा ख्याल रखना, शेयर सर्टिफिकेट जारी करना, नॉमिनेशन फॉर्म स्वीकार करके उसका रसीद देना, सदस्यों को एनओसी देना, सेलेब्रेशन बगैरह का आयोजन करना बगैरह बगैरह। इस तरह से कमिटी को बहुत काम करने होते हैं, लेकिन बिना सैलरी के। ऐसे में कमिटी में आने से ज्यादातर लोग हिचकते हैं। 

इससे बहुत सारी हाउसिंग सोसायटी में कुछ ही लोग काफी लंबे समय तक कमिटी में रहते हैं, जिससे उनमें एक तरह का घमंड आ जाता है, अहं आ जाता है और अगर कोई नहीं कमिटी आती है, वो लोग नई कमिटी वाले को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। जैसा कि ऊपर के एक उदाहरण में आपने देखा।

एक बात और, महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी कानून के मुताबिक, सोसायटी के सदस्यों से मेनटेनेंस में  एजुकेशन एवं ट्रेनिंग फंड के नाम पर हर महीने प्रति फ्लैट 10 रुपए लिया जाता है। एजुकेशन एवं ट्रेनिंग के दौरान सदस्यों को को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी से जुड़े नियम, कानून, मॉडल बायलॉज की जानकारी दी जाती है। सहकार भारती महाराष्ट्र प्रदेश को एजुकेशन एवं ट्रेनिंग दिलाने की जिम्मेदारी दी गई। कानून तौर पर सोसायटी के सदस्यों को एजुकेशन एवं ट्रेनिंग लेनी जरूरी है। सहकार भारती महाराष्ट्र प्रदेश समय समय पर एजुकेशन एवं ट्रेनिंग की तारीखों की जानकारी देता है। ट्रेनिंग लेने के लिए सोसायटी की कमिटी को एजुकेशन एवं ट्रेनिंग फंड से सहकार भारती को भुगतान करना होता है। सहकार भारती ट्रेनिंग लेने वालों को सर्टिफिकेट देता है जो कि सोसायटी की संपत्ति होती है। इसलिए आप जरूर ट्रेनिंग लें।  




अगर आप को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं, तो उससे जुड़े कानून, नियम, उप-नियम जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। कानून, नियम कहीं के भी हो, उससे लोगों को उनकी जिम्मेदारियां, उनके अधिकार तय किये जाते हैं। जैसे देश के स्तर पर बात करें तो संविधान है, कई तरह के कानून हैं, जिसे हमें मानना पड़ता है। उसी प्रकार राज्य स्तर की बात करें तो यहां भी हमें बहुत सारे कानून , नियम का पालन करना होता है, स्थानीय सरकार स्तर जैसे कि जिला परिषद, पंचायत, नगरपालिका, नगरनिगम स्तर की बात करें तो यहां भी हमें बहुत सारे नियम, कानून मानने होते हैं। समाज को देश को राज्य को शहर को सुचारू तरीके से चलाने के लिए कानून और नियम होने जरूरी हैं। साथ ही वहां के लोगों के लिए भी कानून और नियम का पालन करना जरूरी है। 

>THE MAHARASHTRA CO-OPERATIVE SOCIETIES ACT, 1960 में शामिल विषय वस्तु: 
PREAMBLE
Chapter: I - PRELIMINARY (Section 1 and 2)
Chapter: II - REGISTRATION (Section 3 to 21A)
Chapter: III - MEMBERS AND THEIR RIGHTS AND LIABILITIES (Section 22 to 35)
Chapter: IV - INCORPORATION DUTIES AND PRIVILEGES OF SOCIETIES (Section 36 to 49)
Chapter: V - STATE AID TO SOCIETIES (Section 50 to 63)
Chapter: VI - PROPERTY AND FUNDS OF SOCIETIES (Section 64 to 71A)
Chapter: VII - MANAGEMENT OF SOCIETIES (Section 72 to 80)
Chapter: VIII - AUDIT, INQUIRY, INSPECTION AND SUPERVISION (Section 81 to 90)
Chapter: IX - SETTLEMENT OP DISPUTES (Section 91 to 101)
Chapter: X - LIQUIDATION - Section 102 to 110
Chapter XA - INSURED CO-OPERATIVE BANK - Section 110A
Chapter: XI - AGRICULTURE AND RURAL DEVELOPMENT BANKS - Section 111 to 144-IB
Chapter: XIA - ELECTIONS OF COMMITTEES AND OFFICERS OF CERTAIN SOCIETIES - Section 144A to 144Y
Chapter: XII - OFFENCES AND PENALTIES - Section 145 to 148A
Chapter: XIII - APPEALS, REVIEW AND REVISION - Section 149 to 154
Chapter: XIII-A - MAHARASHTRA STATE CO-OPERATIVE COUNCIL - Section 154A
Chapter: XIV - MISCELLANEOUS - Section 155 to 167

>MAHARASHTRA CO-OPERATIVE SOCIETIES RULES, 1961 के विषय वस्तु:
Chapter I - Preliminary (Rule No 1 and 2)
Chapter II - Registration (Rule No 3 to 18C)
Chapter III - Members and their rights and liabilities (Rule No 19 to 30)
Chapter IV - Incorporation, duties and privileges of societies (Rule No 31 to 48)
Chapter V - Property and funds of societies (Rule No 49 to 56)
Chapter VA - Election to Notified Societies, Etc. (Rule No 56A to 56A-35)
Chapter VI - Management of Societies (Rule No 57 to 68)
Chapter VII - Audit, Inquiry, Inspection and Supervision (Rule No 69 to 74)
Chapter VII - Disputes and Co-operative Courts (Rule No 75 to 86)
Chapter IX - Liquidation (Rule No 87 to 92)
Chapter X - Land Development Banks (Rule No 93 to 103)
Chapter XI - Appeals, Review and Revision (Rule No 104 to 106)
Chapter XII - Miscellaneous (Rule No 107 to 110)

>MODEL BYE–LAWS OF COOPERATIVE HOUSING SOCIETY (Tenant Co‐Partnership Housing Society) के विषय वस्तु

I. PRELIMINARY
1 (a) Name of the Society
(b) Procedure of changing the name
(c) Classification
2 (a) Address of the Society
(b) Intimation of change in the address of the Society
(c) Procedure for changing the address of the Society
(d) Exhibition of the name Board

II. INTERPRETATIONS
III. AREA OF OPERATION
IV. OBJECTS
V. AFFILIATION
VI. FUNDS, THEIR UTILISATION AND INVESTMENT
(A) Raising of Funds
(B) Share Capital
(C) Limit of Laibilities
(D) Constitution of the Reserve Fund
(E) Creation of Other Funds
(F) Utilisation of Funds by the Society
(G) Investment of Funds

VII. MEMBERS, THEIR RIGHTS, RESPONSIBILITY AND LIABILITIES
VIII. RESPONSIBILITY AND LIABILITIES OF MEMBERS
IX. LEVY OF CHARGES OF THE SOCIETY
X. INCORPORATION OF DUTIES AND POWER OF THE SOCIETY
XI. GENERAL MEETINGS
XII. MANAGEMENT OF THE AFFAIRS OF THE SOCIETY
XIII. MAINTENANCE OF BOOKS OF ACCOUNT AND REGISTERS
XIV. APPROPRIATION OF PROFITS
(a) Contribution to the Statutory Reserve Fund of the Society
(b) Distribution of the remaining profit of the society
XV. TO WRITE OFf IRRECOVERABLE DUES
XVI. AUDIT OF ACCOUNTS OF THE SOCIETY
XVII. CONVEYANCE OF THE PROPERTY AND REPAIR
 TO AND MAINTENANCE OF THE PROPERTY
XVIII. OTHER MISCELLANEOUS MATTERS
XIX. REDRESSAL OF MEMBERS COMPLAINTS
XX. REGARDING REDEVELOPMENT OF BUILDING 
THE CO-OPERATIVE HOUSING SOCIETIES


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