महाराष्ट्र में करीब एक लाख को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी हैं, उनमें से करीब 30 हजार ऐसी हाउसिंग सोसायटी है जहां सदस्यों की संख्या 250 या उससे कम है। महाराष्ट्र सरकार ने 250 या उससे कम सदस्यों वाली को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए नई मैनेजिंग कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है। जो लोग को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं, उनको पता है कि सोसायटी को चलाने के लिए मैनेजिंग कमिटी होती है। यह कमिटी सोसायटी की एजीएम या एसजीएम में पास किये गए कामों और रिजोल्युशन के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी कानून में दी गई जिम्मेदारी और अधिकार के आधार पर साथ ही सोसायटी और उसके सदस्यों की जरूरत के हिसाब सारे फैसले लेती है, सारा काम करवाती है, वॉचमैन-स्वीपर या दूसरे स्टाफ को सैलरी देती है। आपको बता दूं कि 250 या उससे कम सदस्यों वाली हाउसिंग सोसायटी को ई-क्लास हाउसिंग सोसायटी कहा जाता है।

महाराष्ट्र में कोरोना महामारी को देखते हुए को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी कानून 1960 में किए गए संशोधन की वजह से पिछले साल मार्च (18 मार्च 2020 ) से लेकर इस साल 31 अगस्त (31 अगस्त 2021) तक मैनेजिंग कमिटी के चुनाव पर रोक लगी हुई थी। ऐसे में जिन हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी का संपूर्ण कार्यकाल समाप्त हो गया था और नई कमिटी का चुनाव किया जाना था, नई कमिटी के चुनाव पर ही रोक लग गई। इस कारण ऐसी हाउसिंग सोसायटी में सामान्य नियमित काम होते रहे, लेकिन जहां बड़े और जरूरी काम जैसे कि बिल्डिंग के रिडेवलपमेंट, बिल्डिंग का कलर, क्रैक फिलिंग, रि-प्लास्टर कराने से जैसे महत्वपूर्ण काम कराने थे, वो समय पर नहीं हो पा रहे थे। इससे बिल्डिंग और बिल्डिंग में रहने वाले सदस्यों को परेशानी हो रही थी।
अब महाराष्ट्र ने 250 या उससे कम सदस्यों वाली को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में नई मैनेजिंग कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है तो ऐसी सोसायटी में जरूरी और महत्वपूर्ण काम निपट सकेंगे। अब सवाल है कि नई कमिटी का चुनाव कैसे होगा। अप्रैल 2021 में सरकार चुनावी नियमों को अधिसूचित किया था। इसके अनुसार सितंबर 2021 से चुनावी प्रक्रिया शुरू कर देना है।
>नई कमिटी के चुनाव की प्रक्रिया:
हाउसिंग सोसायटी की नई कमिटी की चुनावी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति करना जरूरी है। यानी रिटर्निंग ऑफिसर के जरिये ही पूरी चुनावी प्रक्रिया को अंजाम देना है। अब सवाल है कि रिटर्निंग ऑफिसर कौन होगा। चुनाव कराने वाली हाउसिंग सोसायटी की मौजूदा कमिटी दो तरीके से रिटर्निंग ऑफिसर का चुनाव कर सकती है। पहला, हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों में से ही किसी को चुन सकती है। लेकिन, ध्यान रहे चुना हुआ सदस्य ना तो मौजूदा मैनेजिंग कमिटी का सदस्य हो और ना ही नई कमिटी में सदस्य बनने के लिए उसने आवेदन दिया हो। रिटर्निंग ऑफिसर बनाए गए सदस्य को को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचित संस्थान या हाउसिंग फेडरेशन में एक या दो दिनों की ट्रेनिंग लेनी होगी।
रिटर्निंग ऑफिसर चुनने का दूसरा तरीका भी है। इसके अनुसार चुनाव वाली हाउसिंग सोसायटी की मौजूदा मैनेजिंग कमिटी को को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचित किए गए पैनल में से किसी को चुनना होगा।
https://drive.google.com/file/d/1buecMWoCBahrMnKFLR5wH2ueSRSYiZ8U/view?usp=drivesdk
https://drive.google.com/file/d/1CJOIYDuo-fOhbUGCIFDQOv_tNuMeRbNz/view?usp=drivesdk
रिटर्न ऑफिसर के चयन के अलावा, निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) भी तैयार करना होगा। नई कमिटी के लिए चुनाव लड़ने वालों की भी लिस्ट बनानी होगी। इतना सबकुछ करने के बाद हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों सलाह और आपत्ति भी मंगवानी होगी और उसके प्रकाशित करना होगा।
आपको बता दूं कि महाराष्ट्र में हाउसिंग सोसायटी के अलावा कई दूसरी तरह की भी को-ऑपरेटिव सोसायटी हैं जैसे कि डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, प्राइमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटीज, सुगर फैक्ट्रीज, स्पिनिंग मिल्स, मार्केट कमीटी, मिल्क फेडरेशंस, क्रेडिट सोसायटीज, एम्प्लॉयी क्रेडिट सोसायटीज, कंज्युमर सोसायटीज और लेबर एसोसिएशन। सारे को-ऑपरेटिव्स में पिछले साल मार्च से लेकर इस साल 31 अगस्त तक नई कमिटी के चुनाव पर रोक लगी हुई थी। महाराष्ट्र सरकार ने सबसे पहले 18 मार्च 2020 की घोषणा द्वारा 17 जून 2020 तक नई कमिटी के चुनाव पर रोक लगाई थी, उसके बाद इस तिथि में कई बारे संशोधन की गई। नई कमिटी के चुनाव पर रोक 17 जून 2020 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 की गई फिर 16 जनवरी 2021 की गई, फिर 31 मार्च 2021 की गई और फिर 31 अगस्त 2021 तक चुनाव पर रोक लगाई गई। लेकिन अब चुनाव का रास्ता साफ हो गया है।
तो. अगर आपकी भी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की नई कमिटी का चुनाव करना है तो जल्दी से ये प्रक्रिया पूरी कर दें, और अपनी हाउसिंग सोसायटी की सभी पेंडिंग जरूरी कामों को पूरा करवाएं।
(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत; जान पर आफत! 
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