Housing society solutions

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मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

बजट 2022-23: सहकारी समितियां वैकल्पिक न्‍यूनतम कर तथा अधिभार क्रमश: 15 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की निम्‍न दर पर भुगतान करेंगी

 


कर प्रोत्‍साहन पाने के लिए स्‍टार्टअप्‍स तथा नई विनिर्माण कंपनियों के गठन की तिथि एक वर्ष के लिए और बढ़ाई गई  

नये कर प्रोत्‍साहन आईएफएससी को आकर्षक बनाएंगे

व्‍यवसायों को उन लाभों पर टीडीएस की कटौती करने के लिए अधिदेशित किया गया जो  वे एजेंटों को देते हैं अगर एक वर्ष में ऐसे लाभों का सकल मूल्‍य 20,000 रुपये से अधिक होता है

सभी परिसंपत्तियों से उत्‍पन्‍न दीर्घ अवधि पूंजी लाभ पर अधिभार की अधिकतम सीमा 15 प्रतिशत की गई

आय एवं लाभ पर अधिभार एवं उपकर की व्‍यवसाय व्‍यय के रूप में अनुमति नहीं दी गई

तलाशी एवं सर्वे के दौरान पाई गई अप्रकट आय पर कर से बचने के लिए नुकसानों के समंजन की प्रथा की अनुमति नहीं

प्रविष्टि तिथि: 01 FEB 2022 1:05PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्‍द्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों तथा कंपनियों के बीच समान अवसर उपलब्‍ध कराने के लिए सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्‍यूनतम कर दर को वर्तमान 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने ऐसी सहकारी समितियों पर अधिभारजिनकी कुल आय एक करोड़ रुपये से अधिक तथा 10 करोड़ रुपये तक हैवर्तमान में 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत करने का भी प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने कहा कि इससे सहकारी समितियों तथा इसके सदस्‍योंजो अधिकांशत: ग्रामीण तथा कृषक समुदायों से हैंकी आय को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

स्‍टार्टअप्‍स को प्रोत्‍साहन

     मंत्री ने कहा कि स्‍टार्टअप्‍स हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के लिए विकास के प्रेरक के रूप में उभरकर सामने आए हैं और कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी सहायता करने के लिए सरकार ने पात्र स्‍टार्टअप के निगमन की अवधिऔर एक वर्ष यानी 31.03.2023 तक बढ़ाने का प्रस्‍ताव रखा हैजिससे कि उन्‍हें निगमन से 10 वर्षों में से क्रमिक तीन वर्षों के लिए कर प्रोत्‍साहन दिया जा सके। 31.03.2022के लिए स्‍थापित पात्र स्‍टार्टअप्‍स को पहले यह सुविधा उपलब्‍ध थी।

नव-निगमित विनिर्माण कंपनियों को प्रोत्‍साहन

    श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कुछ घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए वैश्विक रूप से प्रतिस्‍पर्धी कारोबारी परिवेश कायम करने के लिए हमारी सरकार द्वारा नवनिर्मित घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर की रियायती कर व्‍यवस्‍था लागू की गई थी। सरकार धारा– 115बीएबी के अंतर्गत विनिर्माण या उत्‍पादन के आरंभ करने की तिथि को एक वर्ष यानी 31 मार्च 2023 से 31 मार्च 2024 तक बढ़ाने का प्रस्‍ताव रखती है।

आईएफएससी को प्रोत्‍साहन

    वित्‍त मंत्री ने कहा कि आईएफएससी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्‍ट्रूमेंटया किसी ऑफशोर बैंकिंग यूनिट द्वारा जारी ओवर द काउंटर डेरिवेटिव से किसी गैर-निवासी की आयरॉयल्‍टी तथा जहाज की लीज पर ब्‍याज से आय तथा आईएफएससी में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाओं से प्राप्‍त आयविशिष्‍ट शर्तों के अधीन कर से मुक्‍त होगी।

टीडीएस प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाना

     यह देखा गया है कि कारोबार को बढ़ावा देने की कार्यनीति के रूप में कारोबारी प्रतिष्‍ठानों में अपने एजेंटों को हित लाभ देने की प्रवृत्ति होती है। ऐसे हित लाभ एजेंटों के हाथों में कर योग्‍य होते हैं। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि ऐसे लेन-देन को ट्रैक करने के लिए सरकार हितलाभ देने वाले व्‍यक्ति द्वारा कर कटौती के लिए उपबंध करने का प्रस्‍ताव करती हूंबशर्त वित्‍त वर्ष के दौरान ऐसे हितलाभों का कुल मूल्‍य 20,000 रुपये से अधिक न हो।

अधिभार का विवेकीकरण

   श्रीमती सीतारमण ने बताया कि वैश्विकृत कारोबारी दुनिया में ऐसी अनेक कार्य संविदाएं होती हैंजिनके निबंधन एवं शर्तों में एक सहायता संघ (कंसोर्टियम) का गठन किया जाना अनिवार्य रूप से अपेक्षित होता है। सहायता संघ के सदस्‍य सामान्‍यतया कंपनियां होती हैं। ऐसे मामलों में इन एओपी की आमदनी पर 37 प्रतिशत तक का श्रेणीबद्ध अधिभार की तुलना में काफी अधिक है। तदनुसारसरकार ने इन एओपी के अधिभार की उच्‍चतम सीमा 15 प्रतिशत निर्धारित करने का प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने बताया कि इसके अतिरिक्‍तसूचीबद्ध इ‍क्विटी शेयरोंयूनिट्स आदि पर दीर्घावधिक पूंजी अभिलाभों पर 15 प्रतिशत का अधिकतम अधिभार देय होता हैजबकि अन्‍य दीर्घावधिक पूंजी अभिलाभों पर श्रेणीबद्ध अधिभार लगता हैजो 37 प्रतिशत तक हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने किसी प्रकार की परिसंपत्तियों के हस्‍तांतरण से उत्‍पन्‍न दीर्घावधिक पूंजी अभिलाभों पर अधिभार को 15 प्रतिशत की उच्‍चतम सीमा तक निर्धारित करने का प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने कहा कि इस कदम से स्‍टार्ट-अप्‍स को कर लाभ देने के साथ सरकार का यह प्रस्‍ताव आत्‍मनिर्भर भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुन:पुष्टि करता है।  

कारोबारी व्‍यय के रूप में स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा उपकर’ के संबंध में स्‍पष्‍टीकरण

    वित्‍त मंत्री ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा उपकर’ विनिर्दिष्‍ट शासकीय कल्‍याणकारी कार्यक्रमों के निधियन के लिए करदाता पर एक अतिरिक्‍त अधिभार के रूप में अधिरोपित किया जाता है। परंतुकुछ न्‍यायालयों ने स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा उपकर’ को कारोबारी व्‍यय के रूप में स्‍वीकृत किया हैजो विधायी अभिप्राय के विरूद्ध है। उन्‍होंने कहा कि विधायी अभिप्राय दोहराने के लिए मैं यह स्‍पष्‍ट करने का प्रस्‍ताव करती हूं कि आय और मुनाफे पर किसी भी अधिभार या उपकर को कारोबारी व्‍यय के रूप में स्‍वीकृत नहीं किया जा सकता है।

कर-वंचन की रोकथाम

    श्रीमती सीतारमण ने घोषणा की कि वर्तमान मेंतलाशी कार्रवाइयों में पता लगे अप्रकट आय के संबंध में हानि को आगे ले जाकर समंजित करने के संबंध में अस्‍पष्‍टता है। यह पाया गया है कि अनेक मामलों मेंजिनमें अप्रकट आमदनी या बिक्री को छिपाने आदि का पता लगता है तो हानि के प्रति समंजन करके कर के भुगतान से बचा जाता है। उन्‍होंने कहा कि निश्चितता लाने और कर-वंचकों में निवारक भयबढ़ाने के लिए मैं यह उपबंध करने का प्रस्‍ताव करती हूं कि तलाशी एवं सर्वेक्षपण कार्रवाइयों के दौरान पता लगे अप्रकट आय के संबंध में किसी भी प्रकार की हानि के प्रति समंजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।     

(साभार- पीआईबी)

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB ) 


 

हाउसिंग सोसायटी के हर मेंबर्स को AGM में ये 15 सवाल जरूर पूछने चाहिए

हाउसिंग सोसायटी और उसकी कमिटी के लोगों का 'Confusing Character'!

किसी भी हाउसिंग सोसायटी की सरकार होती है उसकी मैनेजिंग कमिटी

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सोमवार, 24 जनवरी 2022

हाउसिंग सोसायटी की AGM में "Time Pass" करने वाले मैनेजिंग कमिटी मेंबर्स से बचके !

 

एक हाउसिंग सोसायटी की एजीएम नोटिस का नमूना 

हाउसिंग सोसायटी की AGM को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी उस सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी की होती है। मैनेजिंग कमिटी के हर सदस्य को AGM एजेंडे को लेकर तैयार रहना रहना चाहिए। 

सोसायटी के सदस्य को एजेंडे के अलावा सोसायटी से जुड़े किसी भी सवाल का मैनेजिंग कमिटी से संतोषजनक जवाब जानने का हक होता है और मैनेजिंग कमिटी के हर सदस्य की जिम्मेदारी होती है सदस्यों के सवालों का संतोषजनक जवाब देना। लेकिन, जब AGM में मैनेजिंग कमिटी के ही सदस्य एजेंडे को लेकर स्पष्ट नहीं हों, सदस्यों के सवालों का जवाब देने के बदले खुद ही सवाल पूछने लग जाएं और आपस में ही उलझ जाएं, तो फिर उपाय क्या है। 

क्या ऐसे सदस्यों को सोसायटी के काम को लेकर, सोसायटी के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर गंभीर माना जाए या ऐसे सदस्यों को Time Pass करने वाला माना जाए। मेरे हिसाब से तो ऐसे सदस्यों को तो Time Pass सदस्य माना जाना चाहिए,  मैनेजिंग कमिटी ऐसा सदस्य भले ही 5 साल से या 10 साल से या 15 साल से फिर सोसायटी बनने के बाद से ही मैनेजिंग कमिटी का सदस्य क्यों ना रहा हो।  मेरा मानना है कि अगर किसी काम की जिम्मदारी आप लेते हैं उसमें आप खुद को पूरी तरह से झोंक दें, अगर ऐसा नहीं कर सकते तो जिम्मेदारी ही मत लें। Time Pass करके आप अपना नुकसान तो करते ही हैं, जिसकी जिम्मेदारी लेते हैं, उसका भी नुकसान करते हैं। 

आप कभी भी अपनी सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी के सदस्यों पर नजर डालें, तो उनमें से ज्यादातर सदस्य Time Pass करने वाले ही मिलेंगे। इनको पिछली एजीएम या एसजीएम में पास रिजोल्यूशन की जानकारी नहीं होती है, अगर जानकारी होती भी है तो रिजोल्युशन पर क्या एक्शन लेना इसकी जानकारी नहीं होती है, अगर क्या एक्शन लेना है, इसकी जानकारी हो भी जाए, तो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं और जो भी कमिटी के एक-दो सदस्य काम करना चाहें, उनके काम में अडंगा लगाते रहते हैं।  

एक हाउसिंग सोसायटी की AGM की बात बताता हूं। AGM के एजेंडे में सोसायटी की बेहतरी के लिए कुछ नई योजना का जिक्र था। सोसायटी में सोलर एनर्जी के लिए व्यवस्था करना और कचरे को सोसायटी के ही जरिये सोसायटी परिसर में खाद में बदलकर उससे कमाई करने के बारे में सोसायटी के लोगों से राय लेनी थी, उनकी मंजूरी लेनी थी। 

सदस्यों की तरफ से इन एजेंडे पर सुझाव या इनकार किए जाने की उम्मीद रहती है, लेकिन मैनेजिंग कमिटी के कुछ सदस्यों ने AGM में उन दोनों एजेंडों को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। इसका मतलब साफ है कि मैनेजिंग कमिटी के जो सदस्य AGM के एजेंडे पर सवाल उठा रहे थे, उनको अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं है, वो केवल Time Pass करने के लिए मैनेजिंग कमिटी में रहते हैं और इसका दूसरा मतलब निकलता है कि मैनेजिंग कमिटी की मीटिंग से भी वो नदारद रहते होंगे, जिससे कि उन्हें AGM जैसे महत्वपूर्ण मौकों पर क्या बोलना है, क्या जवाब देना है, इसकी जानकारी नहीं रहती होगी। 

अगर सचमुच में वो लोग अपने काम को लेकर गंभीर रहते तो मैनेजिंग कमिटी की बैठक में सारी उलझन दूर करने की कोशिश करते, सारे सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते, ना कि AGM में तमाशा करने का इंतजार करते। पता नहीं, ऐसे लोगों की आत्मा कैसे उनकी जिम्मेदारी को लेकर लापरवाह रहने की अनुमति देती है। 

एक बात और मैं आपको बता दूं कि किसी भी AGM या SGM में कोई भी एजेंडा रखने से पहले मैनेजिंग कमिटी की बैठक में चर्चा होती है और पहले कमिटी के सभी सदस्यों को एजेंडे को लेकर विश्वास में लिया जाता है। मैनेजिंग कमिटी के मेंबर्स के बीच एजेंडे को लेकर सहमति होनी चाहिए, समन्वय होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर  AGM या SGM को सुचारू रूप से चलाना मुश्किल हो जाता है।   

उसी सोसायटी की उसी AGM की एक और बात आपको बताता हूं। AGM में हाउसिंग सोसायटी परिसर में चारपहिया गाड़ी खासकर कार की पार्किंग का सवाल भी उठाया गया। हालांकि, AGM के एजेंडे में यह शामिल नहीं था। लेकिन, एक सदस्य द्वारा अपनी कार को सोसायटी परिसर में पार्किंग पर अड़े रहने को लेकर कुछ सदस्यों की नजर में इस मुद्दे को AGM में उठाया जरूरी लग रहा था, तो ये मुद्दा उठाया गया। मामला था कि सोसायटी परिसर में जगह की कमी की वजह से कार पार्किंग की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। सोसायटी का एक सदस्य काफी लंबे समय से सोसायटी परिसर में कारपार्किंग कर रहा है। हालांकि, इसके लिए वह हर महीने सोसायटी द्वारा तय पार्किंग शुल्क भी देता है। 

इस मुद्दे को जिसने उठाया वो मैनेजिंग कमिटी का सदस्य, जिसकी कार पार्किंग होती है वो भी मैनेजिंग कमिटी का सदस्य और कार पार्किंग वाले का साथ दे रहा था और जो कार पार्किंग का विरोध कर रहा था, वो भी मैनेजिंग कमिटी का सदस्य। इससे पहले भी AGM में हाउसिंग सोसायटी परिसर में कार पार्किंग को लेकर चर्चा हो चुकी है और उसमें साफ साफ सोसायटी परिसर में कार पार्किंग की मनाही की गई है। इसका कारण भी बताया गया - सोसायटी परिसर में कार पार्किंग के लिए जगह नहीं होना। 

जब मैनेजिंग कमिटी के सदस्य कार पार्किंग को लेकर गरमा-गरमी कर रहे थे तो कारपार्किंग करने वाले का समर्थक मैनेजिंग कमिटी का सदस्य कारपार्किंग का विरोध करने वाले मैनेजिंग कमिटी के सदस्य से पूछने लगा कि किस AGM में हाउसिंग सोसायटी के परिसर में कार नहीं लगाने की बात पास हुई है। कारपार्किंग का विरोध करनेवाले ने झट से उस AGM का मिनट्स कारपार्किंग समर्थक दिखा को दिया (जिसकी उम्मीद उसने नहीं की थी), जिसमें साफ साफ लिखा गया था कि हाउसिंग सोसायटी परिसर में कार पार्किंग की मंजूरी नहीं दी जाएगी। हालांकि, जिस AGM में ये रिजोल्युशन पास हुआ था, कारपार्किंग समर्थक मैनेजिंग कमिटी का मेंबर उस समय की मैनेजिंग कमिटी का भी मेंबर था। लेकिन उसे ये बात याद नहीं थी। यानी कह सकते हैं कि कारपार्किंग समर्थक पूरी तरह से Time Pass करने वाला है, उसे सोसायटी की बेहतरी से कुछ लेना देना नहीं है। अगर सोसायटी की बेहतरी से लेना-देना होता, तो उसके समय AGM में सोसायटी परिसर में कारपार्किंग की अनुमति नहीं देने की बात लागू करवाता और सदस्यों के बीच फालतू का विवाद होने से बचाता। तो, हर हाउसिंग सोसायटी को ऐसे सदस्यों की पहचान कर उससे बच कर रहना चाहिए और साथ ही ऐसे मेंबर्स से सोसायटी को भी बचाकर रखना चाहिए। 

(नोट- हाउसिंग सोसायटी को लेकर को समस्या हो तो हमें लिखें। हम समाधान बताएंगे।)  

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हाउसिंग सोसायटी के हर मेंबर्स को AGM में ये 15 सवाल जरूर पूछने चाहिए

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बुधवार, 12 जनवरी 2022

हाउसिंग सोसायटी के हर मेंबर्स को AGM में ये 16 सवाल जरूर पूछने चाहिए

हाउसिंग सोसायटी की AGM में भाग लेना कितना जरूरी है, आप शायद नहीं जानते!

एक हाउसिंग सोसायटी की एजीएम नोटिस का नमूना 

हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले बहुत सारे सदस्य अपनी सोसायटी की सालाना आम बैठक (एजीएम, Annual General Meeting-AGM)को हमेशा नजरअंदाज करते हैं। बैठक को कोई महत्व नहीं देते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो आप अपने आपको, अपने परिवार को खतरे में, मुश्किलों में डाल रहे हैं। 

हाउसिंग सोसायटी की एजीएम ठीक संसद की बैठक या विधान सभा की बैठक जितनी महत्वपूर्ण होती है। संसद या विधान सभा की बैठक में विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है और सरकार अपनी बात रखती है, उसी तरह से हाउसिंग सोसायटी की एजीएम में मैनेजिंग कमिटी से सोसायटी के मेंबर्स, जो कमिटी के सदस्य नहीं होते, वो अपनी हाउसिंग सोसायटी से जुड़े समस्याओं, मुद्दों पर सवाल पूछते हैं। मैनेजिंग कमिटी को अपने मेंबर्स के हर सवालों का जवाब उनको संतुष्ट होने तक देना होता है। 

मैनेजिंग कमिटी ही हाउसिंग सोसायटी को चलाने के लिए कानूनी तौर पर जिम्मेदार होता है, ये अलग बात है कि बहुत सारे मैनेजिंग कमिटी के मेंबर्स अपनी इस जिम्मेदारी को नहीं समझते हैं। उनके हिसाब से सोसायटी में जश्न मनाना, स्वीपर, वॉचमैन को सैलरी देना, बिजली बिल और पानी का बिल चुकाना ही, मैनेजिंग कमिटी की जिम्मेदारी होती है, लेकिन मैनेजिंग कमिटी की जिम्मेदारी और ताकत कहीं इन सबसे ज्यादा होती है। दरअसल, हाउसिंग सोसायटी से जुड़ी जानकारी नहीं होने की वजह से उनमें इस तरह की सोच विकसित हो जाती है। 

>अपनी हाउसिंग सोसायटी की AGM में आपको कौन कौन से सवाल पूछने चाहिए:

तो, चलिये जानते हैं कि अगर आप अपनी हाउसिंग सोसायटी की एजीएम में भाग लेने जा रहे हैं तो कौन कौन से सवाल अपनी मैनेजिंग कमिटी से पूछनी चाहिए।

1-AGM के एजेंडे को एजीएम में भाग लेने से पहले पूरी तरह से जरूर पढ़ें। एजीएम की तारीख से 14 दिन पहले मेबर्स को एजेंडा भेजना कानूनी तौर पर अनिवार्य है। तो, एजेंडा पढ़ने के बाद आपको दीमाग में जो जो सवाल उठ रहे हैं, वो सब नोट कर लीजिए। कई बार लोग एजीएम से पहले बहुत सारे सवाल सोचते हैं, लेकिन एजीएम में पूछना भूल जाते हैं। कुछ लोग तो एजेंडा पढ़ते ही नहीं है। 

2- एजेंडा के साथ जिस वित्त वर्ष के लिए एजीएम हो रही है, उस वर्ष के लिए सोसायटी की बैलेंस शीट भी लगी रहती है। बैलेंस शीट को हर मेंबर्स को ध्यान से पढ़ना चाहिए। बैलेंस शीट से आप पैसों से जुड़ी गड़बड़ी का पता लगा सकते हैं। बैलेंस शीट में संबंधित वित्त वर्ष के दौरान सोसायटी को हुई इनकम, सोसायटी के हुए खर्च, सोसायटी को निवेश से मिले ब्याज और रिटर्न, सोसायटी की बिल्डिंग या दूसरी प्रोपर्टी के मूल्यह्रास (Depreciation) बगैरह की अपडेटेड  जानकारी के साथ साथ पिछले साल की बैलेंस शीट से तुलना दी हुई रहती है। 

बैलेंसशीट में आपको देखना है कि वह अपडेटेड है या नहीं। अगर थोड़ा भी इसको लेकर कोई शक हो, कोई संदेह हो, तो मैनेजिंग कमिटी से जरूर सवाल पूछें। आप नहीं पूछेंगे और बाद में आपको किसी फैक्ट को लेकर कोई संदेह होगा, और तब मैनेजिंग कमिटी से पूछेंगे तो वो आपको ही  जिम्मेदार ठहरा देंगे कि आपने एजीएम में क्यों नहीं पूछा। 

3- बैलेंस शीट में दी गई इनकम के बारे में विस्तार से पूछें 

4- बैलेंस शीट में दिए गए खर्च के बारे में विस्तार से पूछें 

5-हाउसिंग सोसायटी के सारे बैंक खाते के बारे में अपडेटेड जानकारी लें 

6-बैलेंस शीट में दिए गए निवेश क बारे में, एसेट्स और लायबिलिटी के बारे में सवाल पूछें 

7-अगर आपको लग रहा है कि किसी बैंक में आपकी सोसायटी का खाता है, और वो बैंक मुश्किल में फंसने वाला है या बंद होने वाला है, तो मैनेजिंग कमिटी को आगाह करके उस बैंक से खाता दूसरे बैंक स्थानांतरण करने के बारे में कह सकते हैं। आजकल कई बैंक खासकर को-ऑपरेटिव बैंक बंद हो रहे हैं। 

8-पिछली एजीएम में पास किए गए रिजोल्यूशन, मिनट्स को लेकर कोई सवाल हो तो जरूर पूछें।  


9-बैलेंस शीट में कई हेडिंग और सब-हेडिंग के तहत पैसों की जानकारी दी हुई रहती है। जैसे-शेयर कैपिटल अथॉराइज्ड, रिजर्व एवं सरप्लस, करंट लायबिलिटी एवं प्रोविजन, एडवांस फ्रॉम मेंबर्स, इनकम एवं एक्सपेंडीचर खाता, कैश एवं बैंक बैलेंस, इन्वेस्टमेंट, लोन एवं एडवांसस मेंबर्स का बकाया, जेनरल रिजर्व, सिंकिंग फंड, रिपेयर एवं मेनटेनेंस फंड, कलर फंड, ट्रांसफर प्रीमियम, ट्रांसफर फीस, एंट्रेस फीस, एजुकेशन एवं ट्रेनिंग फंड, सेलेब्रेशन फंड बगैरह से जुड़े कोई सवाल हो तो जरूर एजीएम में पूछें। 

10- जिस काम के लिए मेनटेनेंस लिया जा रहा है, कमिटी जरूरत पड़ने पर भी वह काम करवा रही है या नहीं, इस पर भी नजर रखें। अगर नहीं करवा रही है, तो उसका कारण मैनेजिंग कमिटी से पूछिए। जैसे-कलर फंड के नाम पर मेनटेनेंस लिया जा रहा है, लेकिन बिल्डिंग को कलर की जरूरत होने के बाद भी अगर कलर नहीं करवाया जा रहा है, तो मैनेजिंग कमिटी से सवाल कीजिए। 

12- अगर एजुकेशन एवं ट्रेनिंग फंड के नाम पर आपसे मेनटेनेंस वसूला जा रहा है, लेकिन इस काम में एक भी पैसा खर्च नहीं हो रहा है, तो मैनेजिंग कमिटी से सवाल कीजिए कि एजुकेशन एवं ट्रेनिंग के लिए क्या किया जा रहा है। 

13- अगर सेलेब्रेशन के नाम पर मेनटेनेंस के जरिये फंड वसूला जा रहा है तो फंड से ज्यादा खर्च करने पर कमिटी से सवाल कीजिए। कई बार कमिटी सेलेब्रेशन पर फंड से ज्यादा खर्च करती है, ऐसा इसलिए कि मेंबर्स सोसायटी के लिए उससे जरूरी काम के बारे में सवाल करना बंद कर दें। कई बार तो सेलेब्रेशन के नाम पर बिना एजीएम या एसजीएम की अनुमति के कानूनी सीमा से ज्यादा खर्च कर देते हैं। जैसे कानूनी प्रावधान है कि मैनेजिंग कमिटी एक लाख तक का खर्च बिना एजीएम या एसजीएम की मंजूरी के कर सकती है, लेकिन कई कमिटी सवा लाख, डेढ़ लाख या उससे भी ज्यादा सेलेब्रेशव पर खर्च कर देती है और वो भी बिना एजीएम या एसजीएम की मंजूरी के। तो, इस संबंध में कोई सवाल हो तो जरूर पूछें। 

14-पिछली एजीएम में पास किए गए कामों को कमिटी ने किया या नहीं किया या फिर उन कामों को लेकर क्या अपडेट है, इस बारे में जरूर सवाल कीजिए। कई हाउसिंग सोसायटी में कई कई एजीएम में पास किए गए कामों को कमिटी यूं ही छोड़ देती है। दरअसल, हाउसिंग सोसायटी के मेंबर्स का काम है मैनेजिंग कमिटी पर काम को लेकर दबाव बनाए रखना और इसका सबसे बढ़िया जरिया है कमिटी से सवाल करते रहना, जब तक वो काम ना हो जाए। 

15- मैनेजिंग कमिटी की जिम्मेदारी है हाउसिंग सोसायटी परिसर को साफ-सुथरा रखना, बेहतर लाइट व्यवस्था करना, सुरक्षा का मुकम्मल इंतजाम करना, पानी आपूर्ति और पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त रखना। अगर कमिटी इन सब कामों में सुस्त दिख रही है, तो सवाल पूछकर उनसे काम करवाइये। सोसायटी में सीसीटीवी, कैमरे लगवाना, बिल्डिंग का इंश्योरेंस लेना ये सब अब अनिवार्य काम हो गया है। कई सोसायटी में सीसीटीवी कैमरे होते हैं, लेकिन कमिटी ये देखने की जहमत नहीं उठाती कि कैमरा काम कर रहा है या नहीं। कई बार तो कमिटी के लोगों को मालूम भी होता है कि कैमरा खराब है लेकिन उसको ठीक नहीं करवाते हैं। ऐसे में हाउसिंग सोसायटी के मेंबर्स को सीसीटीवी के बारे में सवाल पूछना चाहिए। 

16-सोसायटी के जितने भी बैंक खाता है, उसको भी जरूर देखिये। इसके अलावा, वाउचर, लेजर, ऑडिटर रेक्टीफिकेशन रिपोर्ट और उस रिपोर्ट पर मैनेजिंग कमिटी द्वारा लिया गया एक्शन को भी देखिये।    

> अपनी हाउसिंग सोसायटी को लेकर कोई सवाल हो तो जरूर पूछें:
इसके अलावा भी आपके मन में सोसायटी से जुड़ा कोई सवाल हो तो बिंदास होकर पूछिये, ये आपका हक है। आप बेहतर जिंदगी के लिए, बेहतर सुविधा के लिए मेनटेनेंस देते हैं, और मैनेजिंग कमिटी की ये जिम्मेदारी है कि वह अपनी सोसायटी के लोगों को ऐसी सुविधा बिना किसी देरी के, बिना किसी बहाने के मुहैया कराए। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB


 

हाउसिंग सोसायटी के हर मेंबर्स को AGM में ये 15 सवाल जरूर पूछने चाहिए

हाउसिंग सोसायटी और उसकी कमिटी के लोगों का 'Confusing Character'!

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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

हाउसिंग सोसायटी के सेप्टिक टैंक की सफाई कब करवानी चाहिए

हाउसिंग सोसायटी के सेप्टिक टैंक की रेगुलर सफाई जरूरी है 
आपके भी घर या हाउसिंग सोसायटी में सेप्टिक टैंक होगा। आपको याद है कि आपने सेप्टिक टैंक की आखिरी बार सफाई कब करवाई थी। साथ ही क्या तब आपनें सेप्टिक टैंक की सफाई करने वालों की सेफ्टी के बारे में सोचा था। 
#SepticTank #HousingSocietySolution #RangaRangIndia 





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हाउसिंग सोसायटी और उसकी कमिटी के लोगों का 'Confusing Character'!

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गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी:AGM की डेडलाइन बढ़ाने के संबंध में अध्यादेश जारी

 


अगर आप महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं और उसकी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए होने वाली सालाना आम बैठक यानी AGM की डेडलाइन को लेकर किसी उलझन में थे तो अब आपकी उलझन सुलझ गई है। दरअसल, मौजूदा कानून के मुताबिक, हर हाउसिंग सोसायटी को यह एजीएम 30 सितंबर 2021 तक आयोजित करना अनिवार्य था, लेकिन अब 31 मार्च 2022 तक आयोजित करवा सकते हैं।  साथ ही इसके लिए ऑडिट पूरे करने की डेडलाइन भी बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दी गई है। महाराष्ट्र कैबिनेट में 22 सितंबर 2021 को इस बारे में फैसला लिया गया।  


कुछ लोग इस बढ़ी हुई डेडलाइन को लेकर सरकार के अध्यादेश का इंतजार कर रहे थे। तो, आपको बता दूं कि सरकार ने इस संबंध में  1 अक्टूबर 2021 को अध्यादेश भी जारी कर दिया है। 


हालांकि, हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी को एजीएम आयोजित करने के लिए आजोन तारीख से 14 दिन पहले नोटिस देनी होती है। इस हिसाब से 30 सितंबर को आखिरी तारीख के मद्देनजर 16 सितंबर तक AGM आयोजित कराने वाली सभी मैनेजिंग कमिटी अपने सोसायटी मेंबर्स को नोटिस भेज चुकी होगी, लेकिन AGM की डेडलाइन बढ़ाने का फैसला 22 सितंबर को किया गया। ये बड़ा अजीबोगरीब है। सरकार को समय से पहले फैसला लेना चाहिए। 


लॉकडाउन, सख्त कोरोना गाइलाइंस बगैरह को देखते हुए बहुत सारे हाउसिंग सोसायटी मेंबर्स और उसके अकाउंटेंट एजीएम डेडलाइन बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जिसे सरकार ने मान लिया है। लेकिन, इस बड़ी डेडलाइन को तभी कानूनी माना जाएगा, जब सरकार इस बारे में अध्यादेश लाएगी या कानून बनाएगी। तो, अध्यादेश का इंतजार करना चाहिए। 

>जिन सोसायटी ने 30 सितंबर तक AGM की तारीख तय की है उन्हें क्या करना चाहिए :
जानकारों का कहना है कि जिन हाउसिंग सोसायटी ने 30 सितंबर तक AGM की तारीख तय की है, उन्हें एजीएम रद्द नहीं करना चाहिए, तय तारीख पर करवा लेना चाहिए। 

आपको बता दूं कि महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की सालाना आम बैठक (AGM: Annual General Meeting) किसी भी वित्त वर्ष के लिए उसके अगले वित्त वर्ष के 30 सितंबर तक कराना जरूरी है। महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी एक्ट 1960 (  MCS Act 1960) इसे हर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए हर साल कानूनन अनिवार्य बनाता है। 

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एजीएम आयोजन की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2020 थी, लेकिन कोरोना लॉकडाउन गाइडलाइंस की सख्ती की वजह से (जिसमें उचित दूरी, पांच से ज्यादा लोगों के एक साथ सशरीर उपस्थित होने पर रोक, पैदल या निजी सवारी या सार्वजनिक सवारी से यात्रा पर सख्ती, मास्क जरूरी) एजीएम की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक की गई थी। यानी 31 मार्च 2020 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एजीएम आयोजित करने के लिए 31 मार्च 2021 तक का समय मिला था। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB ) 


 


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रविवार, 3 अक्टूबर 2021

महाराष्ट्र की करीब 30 हजार को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए जरूरी खबर, नई कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ, जानें चुनाव की पूरी प्रक्रिया


महाराष्ट्र में करीब एक लाख को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी हैं, उनमें से करीब 30 हजार ऐसी हाउसिंग सोसायटी है जहां सदस्यों की संख्या 250 या उससे कम है। महाराष्ट्र सरकार ने  250 या उससे कम सदस्यों वाली को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लिए नई मैनेजिंग कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है। जो लोग को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं, उनको पता है कि सोसायटी को चलाने के लिए मैनेजिंग कमिटी होती है। यह कमिटी सोसायटी की एजीएम या एसजीएम में पास किये गए कामों और रिजोल्युशन के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी कानून में दी गई जिम्मेदारी और अधिकार के आधार पर साथ ही सोसायटी और उसके सदस्यों की जरूरत के हिसाब सारे फैसले लेती है, सारा काम करवाती है, वॉचमैन-स्वीपर या दूसरे स्टाफ को सैलरी देती है। आपको बता दूं कि 250 या उससे कम सदस्यों वाली हाउसिंग सोसायटी को ई-क्लास हाउसिंग सोसायटी कहा जाता है। 



महाराष्ट्र में कोरोना महामारी को देखते हुए को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी कानून 1960 में किए गए संशोधन की वजह से पिछले साल मार्च (18 मार्च 2020 ) से लेकर इस साल 31 अगस्त (31 अगस्त 2021) तक मैनेजिंग कमिटी के चुनाव पर रोक लगी हुई थी। ऐसे में जिन हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी का संपूर्ण कार्यकाल समाप्त हो गया था और नई कमिटी का चुनाव किया जाना था, नई कमिटी के चुनाव पर ही रोक लग गई। इस कारण ऐसी हाउसिंग सोसायटी में सामान्य नियमित काम होते रहे, लेकिन जहां बड़े और जरूरी काम जैसे कि बिल्डिंग के रिडेवलपमेंट, बिल्डिंग का कलर, क्रैक फिलिंग, रि-प्लास्टर कराने से जैसे महत्वपूर्ण काम कराने थे, वो समय पर नहीं हो पा रहे थे। इससे बिल्डिंग और बिल्डिंग में रहने वाले सदस्यों को परेशानी हो रही थी। 

अब महाराष्ट्र ने 250 या उससे कम सदस्यों वाली को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में नई मैनेजिंग कमिटी के चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है तो ऐसी सोसायटी में जरूरी और महत्वपूर्ण काम निपट सकेंगे। अब सवाल है कि नई कमिटी का चुनाव कैसे होगा। अप्रैल 2021 में सरकार चुनावी नियमों को अधिसूचित किया था। इसके अनुसार सितंबर 2021 से चुनावी प्रक्रिया शुरू कर देना है। 

>नई कमिटी के चुनाव की प्रक्रिया:

हाउसिंग सोसायटी की नई कमिटी की चुनावी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति करना जरूरी है।  यानी  रिटर्निंग ऑफिसर के जरिये ही पूरी चुनावी प्रक्रिया को अंजाम देना है।  अब सवाल है कि रिटर्निंग ऑफिसर कौन होगा। चुनाव कराने वाली हाउसिंग सोसायटी की मौजूदा कमिटी  दो तरीके से रिटर्निंग ऑफिसर का चुनाव कर सकती है। पहला, हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों में से ही किसी को चुन सकती है। लेकिन, ध्यान रहे चुना हुआ सदस्य ना तो मौजूदा मैनेजिंग कमिटी का सदस्य हो और ना ही नई कमिटी में सदस्य बनने के लिए उसने आवेदन दिया हो। रिटर्निंग ऑफिसर बनाए गए सदस्य को को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचित संस्थान या हाउसिंग फेडरेशन में एक या दो दिनों की ट्रेनिंग लेनी होगी। 

रिटर्निंग ऑफिसर चुनने का दूसरा तरीका भी है। इसके अनुसार चुनाव वाली हाउसिंग सोसायटी की मौजूदा मैनेजिंग कमिटी को को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचित किए गए पैनल में से किसी को चुनना होगा। 

 https://drive.google.com/file/d/1buecMWoCBahrMnKFLR5wH2ueSRSYiZ8U/view?usp=drivesdk

https://drive.google.com/file/d/1CJOIYDuo-fOhbUGCIFDQOv_tNuMeRbNz/view?usp=drivesdk

https://drive.google.com/file/d/1E-93uPpkskwvwJAcwt9WVpHEyp2evyQ3/view?usp=drivesdk

https://sahakarayukta.maharashtra.gov.in/site/upload/documents/Section%2073_English.pdf


अधिसूचना के मुताबिक, हाउसिंग सोसायटी को इस अधिसूचना के जारी किए जाने के 6 माह के भीतर नई कमिटी चुनने का काम पूरा करना होगा। एक बात और ध्यान रखें कि पूरी चुनावी प्रक्रिया को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट की देखरेख में की जाएगी। 

रिटर्न ऑफिसर के चयन के अलावा, निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) भी तैयार करना होगा। नई कमिटी के लिए चुनाव लड़ने वालों की भी लिस्ट बनानी होगी। इतना सबकुछ करने के बाद हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों सलाह और आपत्ति भी मंगवानी होगी और उसके प्रकाशित करना होगा। 

आपको बता दूं कि महाराष्ट्र में हाउसिंग सोसायटी के अलावा कई दूसरी तरह की भी को-ऑपरेटिव सोसायटी हैं जैसे कि डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, प्राइमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटीज, सुगर फैक्ट्रीज, स्पिनिंग मिल्स, मार्केट कमीटी, मिल्क फेडरेशंस, क्रेडिट सोसायटीज, एम्प्लॉयी क्रेडिट सोसायटीज, कंज्युमर सोसायटीज और लेबर एसोसिएशन। सारे को-ऑपरेटिव्स में पिछले साल मार्च से लेकर इस साल 31 अगस्त तक नई कमिटी के चुनाव पर रोक लगी हुई थी। महाराष्ट्र सरकार ने सबसे पहले 18 मार्च 2020 की घोषणा द्वारा 17 जून 2020 तक नई कमिटी के चुनाव पर रोक लगाई थी, उसके बाद इस तिथि में कई बारे संशोधन की गई। नई कमिटी के चुनाव पर रोक 17 जून 2020 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 की गई फिर 16 जनवरी 2021 की गई, फिर 31 मार्च 2021 की गई और फिर 31 अगस्त 2021 तक चुनाव पर रोक लगाई गई। लेकिन अब चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। 

तो. अगर आपकी भी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की नई कमिटी का चुनाव करना है तो जल्दी से ये प्रक्रिया पूरी कर दें, और अपनी हाउसिंग सोसायटी की सभी पेंडिंग जरूरी कामों को पूरा करवाएं। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!   

 



सोसायटी और उसकी कमिटी के लोगों का 'Confusing Character'!

किसी भी हाउसिंग सोसायटी की सरकार होती है उसकी मैनेजिंग कमिटी

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 -हाउसिंग सोसायटी में कैसे होता है करप्शन का खेल!

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-पढ़ें बंदी में कैसे रहें बिंदास!

 


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