सोमवार, 28 अगस्त 2023

Housing Society के Redevelopment एग्रीमेंट से पहले ये चूक भारी पड़ेगी! II Redevelopment Of The Cooperative Housing Societies II CHS II Mumbai II TDR II FSI II

>सहकारी आवास समितियों का पुनर्वकास II Redevelopment Of The Cooperative Housing Societies II  

Housing Society Building को Redevelopment के लिए देने से पहले ये काम कर लें  

रीडेवलपमेंट एग्रीमेंट से पहले बिल्डर या डेवलपर पर दया दिखाना महंगा पड़ेगा! 

 क्या आप जिस कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी यानी सहकारी आवास समिति या कोऑपरेटिव हाउसिंग फेडरेशन में रहते हैं, उसकी बिल्डिंग के पुनर्विकास यानी रीडेवलपमेंट के बारे में सोच रहे हैं? आमतौर पर कुछ स्थिति में हाउसिंग सोसायटी या हाउसिंग फेडरेशन  की बिल्डिंग को पुनर्विकास कराना होता है, चाहे सोसायटी वाले खुद से करें या फिर किसी बिल्डर से कराएं। अगर पुनर्विकास किसी बिल्डर या डेवलपर से कराने जा रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें। सबसे पहले ये बात जान लीजिए कि रीडेवलपमेंट के काम को पूरा कराने का मैनेजमेंट आपकी हाउसिंग सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी, चेयरमैन, सेक्रेटरी, ट्रेजरार के हाथों में रहती है। 

किसी भी हाउसिंग सोसायटी की सरकार होती है उसकी मैनेजिंग कमिटी

>सहकारी आवास समितियों की बिल्डिंग के रीडेवलपमेंट की जरूरत क्यों पड़ती है? 

1- महाराष्ट्र के मौजूदा कानून के मुताबिक, बिल्डिंग अगर 30 साल या उससे अधिक पुरानी हो गई है, तो आप रीडेवलपमेंट कर सकते हैं। किसी बिल्डर या डेवलपर के जरिये या फिर खुद भी। 

2- अगर स्थानीय प्रशासन जैसे नालासोपारा ने वसई विरार शहर महानगरपालिका या मुंबई में बीएमसी ने बिल्डिंग को धोखादायक घोषित कर दिया हो, तब। किसी बिल्डिंग को धोखादायक उसके 30 साल या उससे पहले भी घोषित किया जा सकता है। अगर नगरपालिका को को ये लगे कि बिल्डिंग का कॉलम, बीम, सरिया यानी छड़ की हालत इतनी खराब हो गई हो कि उसे मरम्मत नहीं किया जा सकता है और बिल्डिंग के घराशायी होने की आशंका है, तो बिल्डिंग को रीडेवलपमेंट के लिए दिया जा सकता है।  

रीडेवलपमेंट के काम में कोताही मतलब आपका व्यक्तिगत नुकसान, कैसे?

मैं मुंबई से सटे उपनगर नालासोपारा में रहता हूं। एक कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में मेरा फ्लैट है। मेरे आसपास बहुत सारी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी हैं। एक तरह से आपकी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी आपका घर ही होता है। बहुत मेहनत से कमाए पैसों से, पेट काटकाट करके एक एक पैसा जमाकर आप किसी कोऑपरेटिव हाउसिंग में कोई घर लेते हैं। इसलिए घर की ही तरह अपनी हाउसिंग सोसायटी की बिल्डिंग को भी संभालकर रखना चाहिए। 


नालासोपारा में मेरे आसपास कई सारी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की बिल्डिंग है। उनमें से कई बिल्डिंग को रीडेवलपमेंट के लिए भी किसी बिल्डर या डेवलपर को दिया गया है। रीडेवलपमेंट के लिए दी गई कई बिल्डिंगों के फ्लैटमालिकों ने मुझे जो बताया, वो काफी परेशान करने वाली बात है। उनलोगों ने अपनी जो परेशानी बताई, उसका सारांश मैं बता रहा हूं- 

1- बिल्डिंग के रीडेवलपमेंट में एग्रीमेंट में दिए गए समय से काफी अधिक वक्त लगाना। कई बिल्डिंगों को तो रीडेवलपमेंट के लिए दिए हुए 15-15 साल या उससे अधिक हो गए हैं, लेकिन अभी तक कंप्लीट नहीं हुआ है। इससे उस बिल्डिंग के फ्लैट मालिकों को काफी परेशानी हो रही है। 

2- एक से अधिक डेवलपर्स या बिल्डर्स के मामले में आपसी विवाद की वजह से रीडेवपलमेंट का काम कुछ समय तक चलना फिर रोक देना। 

3-रीडेवलपमेंट का मामला कोर्ट में ले जाना, काफी लंबी कानूनी प्रक्रिया चलनी।  

4-रीडेवलपमेंट में लगे डेवलपर्स या बिल्डर्स की मालिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से काम बीच में अटकर जाना और फ्लैट मालिकों को किराए का पैसा भी नहीं देना, किराए का पैसा रोक देना। (कानून के मुताबिक, रीडेवलपमेंट की अवधि के दौरान यानी रीडेवलपमेंट के लिए काम शुरू होते समय फ्लैट मालिक द्वारा फ्लैट खाली करने से लेकर रीडेवलपमेंट के बाद वापस अपने फ्लैट में शिफ्ट होने तक की अवधि के दौरान का किराया देना होता है। ) किराए का पैसा रोक देने की वजह से फ्लैट मालिकों को काफी पीड़ा होती है।  

जाहिर है, बिल्डिंग को जब रीडेवलपमेंट के लिए दिया जाए, तो आप में से कोई भी ऐसा नहीं चाहेगा। इसलिए बिल्डिंग को रीडेवलपमेंट के लिए देने से पहले बहुत सारी बातों को ध्यान में रखना चाहिए। एक बार जब रीडेवलपमेंट के लिए किसी बिल्डर या डेवलपर के साथ एग्रीमेंट कर लेंगे और काम शुरू हो जाएगा, तो फिर बिल्डर या डेवलपर की कृपा पर रहना होगा। इसलिए सारी बातें एग्रीमेंट करने से पहले ही सोच लेना होगा।

यहां मैं आपको उन बातों के बारे में विस्तार से बता रहा हूं जिसे रीडेवलपमेंट करने से पहले सोच लेना चाहिए। साथ ही सोसायटी की बिल्डिंग के पुनर्विकास से संबंधित महाराष्ट्र का मौजूदा कानून क्या कहता है वह भी बताऊंगा। 


1- अपनी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी का डीम्ड कन्वेयंस या कन्वेयंस करा लें। डीम्ड कन्वेयंस या कन्वेयंस कराने का मतलब है कि जिस जमीन पर आपका फ्लैट है, वह जमीन भी आपकी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के नाम पर हो जाएगा। हालांकि, इसके लिए आपको लैंड टैक्स देना होगा। जब तक आपको सोसायटी का कन्वेयंस या डीम्ड कन्वेयंस नहीं मिलता, तब तक फ्लैट के मालिक तो आप रहेंगे लेकिन फ्लैट वाली जमीन का मालिक आपका बिल्डर या डेवलपर रहेगा। और जब तक उस जमीन का मालिकाना हक आपकी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के पास नहीं रहेगी, तबतक उस पर निर्माण कार्य करने के लिए आप स्वतंत्र नहीं होगा, ये काम बिल्डर या डेवलपर की मंजूरी के बाद ही कराना होगा। इसलिए सबसे पहले अपनी सोसायटी का डीम्ड कन्वेयंस या कन्वेयंस कराना जरूरी है। 

2- आप बिल्डर या डेवलपर से जो चाहते हैं, वह लिखित में अपनी मैनेजिंग कमिटी को दें और उसकी रिसीट लें। सोसायटी की मैनेजिंग कमिटी के मेंबर्स, चेयरमैन, सेक्रेटरी या ट्रेजरार पर रीडेवलपमेंट करने वाले डेवलपर या बिल्डर्स से पैसा खाकर बहुत सारी खामियों वाला एग्रीमेंट करने के आरोप लगते हैं। इसलिए सोसायटी के मेंबर के नाते आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप कुछ गलत मत होने दें। क्योंकि आपकी मेहनत की कमाई का घर भी इस सोसायटी में है। कई बार मैनेजिंग कमिटी या दलाल किस्म के आपकी सोसायटी के मंबर  एग्रीमेंट को मनमानी तरीके से जल्द से जल्द कराने पर जोर दे सकते हैं, लेकिन अपने फायदे की बात जबतक ना देखें या पाएं तब तक बिल्डर या डेवलपर के साथ एग्रीमेंट करने के लिए मत तैयार हों।  आप अपनी शर्तों के हिसाब से एग्रीमेंट कीजिए और उसका रजिस्ट्रेशन करवाइये। जब भी कभी विवाद होगा तो यही एग्रीमेंट मान्य होगा। हाउसिंग सोसायटी और बिल्डर या डेवलपर के बीच एग्रीमेंट से पहले मौखिक क्या बात हुई, ये मायने नहीं रखेगी। 

3- बिल्डर या डेवलपर की आर्थिक स्थिति देख लें। उसका पिछले कम से कम तीन चार साल की बैलेंस सीट देख लें। उसका टर्नओवर, उसका रिजर्व फंड, उसकी इनकम, हर साल उसके द्वारा भरे जाने वाले आईटीआर की वित्तीय स्थिति देख लें। अगर आर्थिक स्थिति संतोषजनक लगे, तभी उस बिल्डर या डेवलपर के साथ एग्रीमेंट करने पर जोर दीजिए। मान लीजिए अगर बिल्डर या डेवलपर की आर्थिक स्थिति ही खराब है तो फिर आपकी बिल्डिंग रीडेवलप करके आपको वह समय पर कैसे देगा, ये सोचने वाली बात है।   

4- आप बिल्डिंग को रीडेवलपमेंट के लिए इसलिए देते हैं ताकि आपको और बेहतर बिल्डिंग और फ्लैट मिले। मान लीजिए कि आपको समय पर आपके हिसाब से आपकी बिल्डिंग और फ्लैट बेहतर स्थिति में ना मिले तो एग्रीमेंट से पहले क्या करें। इसके लिए बिल्डर या डेवलपर से से प्रति फ्लैट के हिसाब से उसकी कीमत के पैसे सुरक्षित पैसे के रूप में एक अलग खाते में रखने के लिए कहें। आखिर सुरक्षा के लिए कुछ तो कवर रखना होगा। उस खाते से पैसे निकालने की शर्त भी रख दीजिए कि जब तक सभी फ्लैट मालिक का हस्ताक्षर ना हो. तब तक बिल्डर या डेवलपर उस खाते से पैसा नहीं निकाल सकता है। बिल्डर या डेवलपर पर थोड़ा से भी एग्रीमेंट से पहले दया करेंगे, तो बाद में हो सकता है आपको पछताना पड़ेगा। बिल्डर या डेवलपर का जो व्यवहार सोसायटी के लोगों के साथ एग्रीमेंट से पहले होता है, वह एग्रीमेंट के बाद अक्सर नहीं रहता है। एग्रीमेंट से पहले वह सोसायटी की हर बात में हां में हां मिलाएंगे, ताकि रीडेवलपमेंट का कॉन्ट्रैक्ट मिल जाए, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद मनमानी पर उतर सकते हैं। कई हाउसिंग सोसायटी के लोगों ने मुझे ये बात बताई है। इसलिए, सतर्कता बरतें। आखिर, हाउसिंग सोसायटी आपकी है, हाउसिंग सोसायटी का घर आपका है, इसलिए नुकसान आपको होगा। 


5- बिल्डर या डेवलपर के पुराने कामों को भी देख लें। उनके कामों को उनकी गैरमौजूदगी में देखें तो अच्छा रहेगा। उसके पुराने इतिहास और मौजूदा क्रेडिट का भी पता कर लें। 

6- अपनी हाउसिंग सोसायटी की ताजा बैंक बैलेंस देख लें। चाहे तो उसका जेरॉक्स रख लें। मैनेजिंग कमिटी से अपनी सोसायटी का एक डेडिकेटेड व्हाट्स ग्रुप, डेडिकेटेड ईमेल आईडी बनाने को कहें।  ताकि हमेशा एक दूसरे से जुड़े रहें और संवाद स्थापित रहे। ये भी देख लें कि रीडेवलपमेंट होने के बाद सोसायटी में आने वाले नए फ्लैट मालिक को किस तरह से मेनटेनेंस देना होगा, और पहले से जमा पैसे का क्या करना होगा, इन सब मुद्दों पर चर्चा कर लें और लिखिक में रख लें। सोसायटी के सारे डॉक्यूमेंट को डिजिटल करवा लें और सभी मेंबर अपने पास एक एक कॉपी रख लें। रीडेवलपमेंट एग्रीमेंट, रीडेवलपमेंट करने वाले डेवलपर या बिल्डर की संपर्क डीटेल्स भी सोसायटी के सभी सदस्यों के पास होना चाहिए। 

7- बिल्डर या डेवलपर अपने पैसों से बिल्डिंग का रीडेवलपमेंट करते हैं। 

8- बिल्डर या डेवलपर को बिल्डिंग के रीडेवलप लागत का 20 प्रतिशत बैंक गारंटी के तौर पर रखना होता है। 

9- बिल्डर या डेवलपर को 2-3 साल के भीतर बिल्डिंग वापस सोसायटी को सौंपनी होती है। 

10- रीडेवलपमेंट के दौरान सोसायटी के लोगों को वैकल्पिक जगहों पर रहने का खर्च बिल्डर या डेवलपर को करना होता है। 

11- कई बार बिल्डर या डेवलपर बिल्डिंग का गलत नक्शा घूस खिलाकर नगरपालिका या नगरनिगम से पास करा लेते हैं और गलत नक्शे के हिसाब से बिल्डिंग को रीडेवलप भी करते हैं, जिससे बाद में सासोयटी के लोगों को दिक्कत हो सकती है और मुकदमेबाजी में फंसना पड़ सकता है। इसलिए पास कराने से पहले नक्शा और रीडेवलप्ड बिल्डिंग को अपने कब्जे में लेने से पहले नक्शे को देख लेना चाहिए। नगरपालिका या नगरनिगम से कंफर्म कर लेना चाहिए कि नक्शा सही है या नहीं। 

आपको इन सबके बारे में जानना इसलिए जरूरी है कि आप अपने आसपास देखते होंगे कि बहुत सारी बिल्डिंगों के पुनर्विकास का काम कुछ समय तक चलने के बाद ठप पड़ जाता है, पुनर्विकास से जुड़े बहुत सारे मामलों को कोर्ट में ले जाना पड़ जाता है और कई बार पुनर्विकास में 15 साल या 20 साल का समय लग जाता है। जाहिर है कोई भी व्यक्ति नहीं चाहेगा कि उसकी हाउसिंग सोसायटी या फेडरेशन की बिल्डिंग के पुनर्विकास में इतना लंबा वक्त लगे या फिर ऐसी समस्या आए। इसलिए पुनर्विकास से संबंधित नियम कानून पता होना चाहिए। साथ ही आपको किसी बिल्डर को पुनर्विकास के लिए देने से पहले क्या क्या ध्यान रखना है, वह भी जानना चाहिए। 

चलिये, अब कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी या फेडरेशन के रीडेवलपमेंट से जुड़े मौजूदा नियम-कानून और प्रक्रिया की बात कर लेते हैं: 

पुनर्विकास रीडेवलपमेंट  की प्रक्रिया उतनी आसान नहीं होती है जितनी लगती है। यह नियमों, प्रक्रियाओं और निहितार्थों के साथ आता है, जिसे आपको समझने की आवश्यकता है।  हाउसिंग सोसाइटियों का पुनर्विकास आमतौर पर प्रबंध समिति के खिलाफ कड़वाहट और मनमानी और भ्रष्टाचार की शिकायतों से भरा होता है। इसलिए, पुनर्विकास परियोजनाओं को शुरू करने की इच्छुक समितियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दृष्टि से, महाराष्ट्र के राज्य सहकारी विभाग ने, महाराष्ट्र सहकारी अधिनियम, 1960 की धारा 79 (ए) के तहत पालन करने के लिए समितियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए। सहकारी आयुक्त और सिडको अध्यक्ष की समिति द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश हाउसिंग सोसाइटी के सदस्यों द्वारा उनकी संपत्ति के पुनर्विकास की शिकायतों के गहन अध्ययन के आधार पर जारी किए गए हैं।

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि किसी भी पुनर्विकास योजना को सोसायटी की आम सभा यानी जनरल मीटिंग में सोसायटी के तीन-चौथाई सदस्यों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए। पुनर्विकास का विषय बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।  ऐसा इसलिये कि मुंबई और उसके आसपास के उपनगरों में, सहकारी आवास समितियों के स्वामित्व वाली अधिकांश इमारतें  काफी पुरानी और जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। पुरानी इमारतों के पुनर्विकास के मामले में, जो 30 साल पूरे कर चुकी हैं या सरकार द्वारा प्रमाणित मरम्मत से परे हैं, उनका पुनर्विकास कराना अनिवार्य है।

पुनर्विकास के लिए जाने से पहले, पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम इमारत का संरचनात्मक ऑडिट ("स्ट्रक्चरल ऑडिट") कराना है। संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट तय करेगी कि इमारत को पुनर्विकास के लिए जाना चाहिए या बड़ी मरम्मत के लिए। तकनीकी रिपोर्ट के अभाव में आम सभा की बैठक में प्रस्ताव पारित करना कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा। हालांकि, यह भी सच्चाई है कि कई सहकारी समितियां अचानक आम सभा की बैठक बुलाती हैं और संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट के अभाव में पुनर्विकास के लिए जाने का निर्णय लेती हैं। 

विज्ञापन सहकारी आवास समितियों के उपनियम संख्या 77 के विज्ञापन निर्दिष्ट करते हैं कि प्रत्येक सोसायटी को सोसायटी के भवनों का "संरचनात्मक ऑडिट" निम्नानुसार कराना होगा: (1) 15 से 30 वर्ष पुराने भवनों के लिए... ….हर 5 साल में एक बार. (2) 30 वर्ष से अधिक पुरानी इमारत के लिए.......3 वर्ष में एक बार। 

रेजिडेंट/डेवलपर व्यवस्था में दो महत्वपूर्ण बातें हैं। एक व्यावसायिक दृष्टिकोण से और दूसरा तकनीकी दृष्टिकोण से। एक डेवलपर आमतौर पर हाउसिंग सोसायटी को कॉर्पस यानी फंड और अतिरिक्त क्षेत्र या दोनों के मिश्रण के माध्यम से निश्चित मात्रा में नकदी का आश्वासन देता है। वह आपके अस्थायी प्रवास के लिए वैकल्पिक आवास दे सकता है, आपके किराये का भुगतान कर सकता है या आपको मासिक मुआवजा दे सकता है जिसके भीतर आपको अपना अस्थायी आवास ढूंढना होगा। किसी डेवलपर के साथ बातचीत करने से पहले, आपको पुनर्विकास के पूरा होने पर आपको प्राप्त होने वाली संपत्ति का बाजार मूल्य स्थापित करना होगा। यह बिल्डर को एक यादृच्छिक आंकड़ा बताने से बेहतर तरीका है, जिससे उन्हें कम बदलाव का एहसास होगा या अधिक राशि के कारण बिल्डर नए प्रोजेक्ट से कतराएगा। तकनीकी दृष्टिकोण का तात्पर्य तैयार माल से है। 

क्या यह बिल्डर द्वारा सुनिश्चित गुणवत्ता और नियम एवं शर्तों से मेल खाता है? वास्तव में, समझौते के चरण में ही, सोसायटी निवासियों को समझौते का मसौदा तैयार करने और उसे अंतिम रूप देने के लिए एक वकील नियुक्त करना चाहिए। किसी बिल्डर को सोसायटी के सदस्यों को समझाने और सैद्धांतिक  मंजूरी लेने में आमतौर पर एक साल लग जाता है। सोसायटी के सदस्यों को परियोजना के समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करना चाहिए जो कि समझौते में उल्लिखित सबसे महत्वपूर्ण विवरण है। किसी भी पुनर्विकास परियोजना में शामिल मुख्य पक्ष सोसायटी और डेवलपर होते हैं। सहकारी आवास सोसायटी की ओर से काम करने वाली समिति के सदस्य ज्यादातर गैर-तकनीकी और आम आदमी होते हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि निविदा/समझौते का मसौदा सावधानीपूर्वक तैयार किया जाए ताकि दोनों पक्षों के बीच विवाद या/या मतभेद की कोई संभावना न हो। 

ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज का मसौदा तैयार करने के लिए उत्कृष्ट कौशल और विशाल कानूनी एवं तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। किसी पेशेवर की सेवाओं का लाभ उठाना बहुत महत्वपूर्ण है, जो कानूनी और तकनीकी रूप से योग्य हो और जिसके पास भविष्य की समस्याओं और आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने की दृष्टि हो। पुनर्विकास की किसी भी योजना में, प्राथमिक उद्देश्य प्रदर्शन की गारंटी सुनिश्चित करना है। प्रदर्शन मुख्यतः समय पर निर्माण, गुणवत्ता नियंत्रण और नियमों और विनियमों के पालन के क्षेत्र में है। 

बिल्डर का चयन करने का सबसे अच्छा तरीका सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से सीलबंद निविदाएं आमंत्रित करना है और ऐसी निविदाओं में बुनियादी पात्रता मानदंड का उल्लेख होना चाहिए। इससे डेवलपर के चयन में अधिक पारदर्शिता आएगी। निविदा प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण और लाभ नीचे दिए गए हैं। 

1-निविदा का संक्षिप्त विवरण तकनीकी, वाणिज्यिक और कानूनी शर्तों, विस्तृत विशिष्टताओं और प्रस्ताव आदि सहित निविदा दस्तावेज तैयार करना 

2-तीन स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन

3- निविदा दस्तावेजों को बेचना 

4- डेवलपर की पहचान और प्रस्तावों का मूल्यांकन और अनुशंसा 

टेंडरिंग के लाभ: चूंकि विज्ञापन 3 प्रमुख समाचार पत्रों में दिया जाता है, इसलिए हाउसिंग सोसायटी को प्रतिष्ठित डेवलपर्स से अच्छे प्रस्ताव मिलेंगे।  चूँकि प्रस्ताव सीलबंद निविदा प्रपत्र में आमंत्रित किए जाते हैं, इसलिए बोली लगाने वालों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है। चूँकि सभी बोलीदाताओं के लिए सभी विशिष्टताएँ और नियम एवं शर्तें समान होती हैं, इसलिए तुलना और मूल्यांकन करना आसान हो जाता है। प्रत्येक बोली लगाने वाले से सोसायटी को देय वेतन आदेश के रूप में बयाना राशि जमा ली जाती है ताकि अवांछित या गैर-इच्छुक पक्ष काम के लिए बोली न लगाएं।

संपूर्ण पुनर्विकास प्रस्ताव सोसायटी के नाम पर किया जाएगा, जिससे डेवलपर के सामने आने वाली किसी भी समस्या की स्थिति में यह सोसायटी के लिए सुरक्षित हो जाएगा। डेवलपर को बदलने या हटाने का अधिकारसोसायटी के पास रहता है। चूँकि वाणिज्यिक शर्तों जैसे बैंक गारंटी,  अस्थायी आवास, अतिरिक्त क्षेत्र की लागत आदि से संबंधित सभी विवरण स्पष्ट रूप से परिभाषित रहती हैं, इसलिए अस्पष्टता और विवादों की संभावना लगभग नगण्य होती है। कार्य की  विस्तृत तकनीकी कार्यप्रणाली तकनीकी विशिष्टता शीर्षक के अंतर्गत निविदा दस्तावेज में रहती है। निविदा दस्तावेज में बुनियादी दरों का उल्लेख किया जाता है, जो सदस्यों को उनके व्यक्तिगत उपयोग के लिए किसी भी विनिर्देश को बदलने में सक्षम बनाता है। 

कार्य की प्रगति के दौरान योजनाओं में संशोधन की जांच करने का अधिकार सोसायटी के पास रहता है।  किसी भीभ्रम से बचने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री को ब्रांड नाम के साथ लिखा जाता है। चूँकि सभी वस्तुएँ स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं इसलिए यथार्थवादी प्रस्ताव मिलने की संभावना उत्कृष्ट है। v विलंब के परिणाम निविदा दस्तावेज में परिभाषित होती हैं। निविदा कानूनी रूप से बाध्यकारी दस्तावेज होते हैं।  उपविधि क्रमांक 158 भवन निर्माण के लिए निविदा दस्तावेज की आवश्यकता की अनुशंसा करता है। एक उचित व्यवहार्यता रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद, किसी भी हाउसिंग सोसायटी के पुनर्विकास की प्रक्रिया में अगला कदम सबसे महत्वपूर्ण है, अर्थात: सही डेवलपर का चयन, जो समाज की सभी जरूरतों को पूरा करेगा, और साथ ही आर्थिक रूप से भी सक्षम होगा। स्थिर और पुनर्विकास का बहुत अनुभव होता है, क्योंकि अवास्तविक प्रस्तावों के कारण अक्सर पुनर्विकास परियोजनाएं रुक सकती हैं और निवासियों को परेशानी में डाल सकती हैं। 

यह निविदा की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है, जिसमें परियोजना प्रबंधन सलाहकार सभी कानूनी, तकनीकी और वाणिज्यिक और अन्य महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों वाला एक ऐसा निविदा दस्तावेज जारी करता है, जिससे सोसायटी के सदस्यों की अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, क्योंकि वे कुछ समय के लिए अलग हो रहे हैं। उनके जीवन की सबसे मूल्यवान संपत्ति... उनका घर, किसी पूर्ण अजनबी के हाथों में जा रहा है। इससे पहले कि हम पुनर्विकास योजना पर सहमत हों, कृपया ध्यान से पढ़ें, सरकार के अनुसार प्रक्रियात्मक पहलुओं का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। 

सोसायटी की बैठकों पर दिशानिर्देश: महाराष्ट्र सरकार ने एक परिपत्र संख्या सीएचएस 2007/सीआर554/14-सी, सहकारिता, विपणन और कपड़ा विभाग दिनांक: 3 जनवरी 2009 जारी किया है जिसमें महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 79 (ए) के तहत एक निर्देश शामिल है। सहकारी आवास समितियों के भवनों के पुनर्विकास के संबंध में महाराष्ट्र राज्य की सभी सहकारी आवास समितियों के लिए 1960 में कहा गया है कि जहां भी, महाराष्ट्र राज्य में सहकारी आवास समितियों के भवनों का बड़े पैमाने पर पुनर्विकास किया जा रहा है: 

A- जिन सहकारी समितियों का पुनर्विकास हो रहा है, उनके प्रबंधन के खिलाफ सदस्यों से कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं। अधिकांश सहकारी आवास समितियों के संबंध में, पुनर्विकास से संबंधित शिकायतों की प्रकृति इस प्रकार है:- 

1. पुनर्विकास की प्रक्रिया में सदस्यों को विश्वास में न लेना। 

2. टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है. 

3. मनमाने ढंग से ठेकेदारों की नियुक्ति करना। 

4. सहकारी अधिनियम, नियम एवं उपविधि के प्रावधानों का उल्लंघन कर कार्य करना। 

5. आर्किटेक्ट और प्रोजेक्ट कंसल्टेंट के काम में सुव्यवस्था नहीं. 

6. पुनर्विकास परियोजना रिपोर्ट की योजना न बनाना। 

7. निविदाओं को अंतिम रूप देने में उचित प्रक्रिया न अपनाना। 

शिकायत के उपरोक्त सभी बिंदुओं के संबंध में कोई ठोस नीति नहीं है और इसलिए सहकारिता आयुक्त और रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र राज्य, पुणे ने संयुक्त रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां  (सिडको) की अध्यक्षता में एक अध्ययन समूह नियुक्त किया था। ) 

इस समूह का गठन विभिन्न स्तरों पर प्राप्त शिकायतों का अध्ययन करने और संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले सभी घटकों के साथ परामर्श करने के लिए किया गया था । उक्त अध्ययन समूह ने राय व्यक्त की कि सहकारी आवास के क्षेत्र में सभी घटकों के साथ परामर्श के बाद सहकारी आवास समितियों के भवनों के पुनर्विकास के लिए नियम बनाना आवश्यक है। 

सहकारी आवास सोसायटी के भवन के पुनर्विकास के लिए निर्देश:

1. सोसायटी के भवन के पुनर्विकास के लिए विशेष आम सभा की बैठक बुलाने की मांग:- जिस सोसायटी के भवन का पुनर्विकास किया जाना है, उसके कम से कम ¼ सदस्यों को सचिव को एक मांग प्रस्तुत करनी होगी।प्रबंध समिति यानी मैनेजिंग कमिटी को उप-नियमों के प्रावधानों के अनुसार चुना गया और भवन के पुनर्विकास पर नीति को अंतिम रूप देने के लिए विशेष आम सभा की बैठक बुलाने के लिए सोसायटी के भवन के पुनर्विकास के लिए उनकी योजना और सुझावों के साथ विधिपूर्वक गठित किया जाए। 

2. विशेष आम सभा की बैठक बुलाना: उपरोक्त निर्देश संख्या 1 के अनुसार एक आवेदन प्राप्त होने पर, प्रबंध समिति को 8 दिनों के भीतर उस पर ध्यान देना चाहिए और सोसायटी के सचिव को समाज के सभी सदस्यों की आम सभा की बैठक बुलानी चाहिए। बैठक का एजेंडा प्रत्येक सदस्य को बैठक के दिन से 14 दिन पहले प्रस्तुत किया जाना चाहिए और उसकी पावती सोसायटी के रिकॉर्ड में रखी जानी चाहिए। उक्त बैठक बुलाने से पहले, सोसायटी को सरकार/स्थानीय प्राधिकरण के पैनल पर आर्किटेक्ट्स/प्रोजेक्ट प्रबंधन सलाहकारों की सूची प्राप्त करनी चाहिए और भवन के पुनर्विकास कार्य के लिए परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए न्यूनतम 5 अनुभवी और विशेषज्ञ व्यक्तियों और उनमें से एक विशेषज्ञ व्यक्ति से कोटेशन प्राप्त करना चाहिए। इनका चयन विशेष आम सभा की बैठक में किया जायेगा. उक्त विशेष आम सभा की बैठक में निम्नलिखित कार्य किए जाएंगे:- 

1. सोसायटी के भवन के पुनर्विकास के लिए सदस्यों की मांग और उसके संबंध में प्राप्त सुझावों पर विचार करके प्रारंभिक निर्णय लेना। 

2. भवन के पुनर्विकास के कार्य के लिए सरकार/स्थानीय प्राधिकरण के पैनल पर विशेषज्ञ और अनुभवी वास्तुकार/परियोजना प्रबंधन सलाहकार का चयन करना और उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य की वस्तुओं और कार्य की शर्तों को अंतिम रूप देना। 

3. भवन के पुनर्विकास हेतु कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करना।

3. भवन के पुनर्विकास के संबंध में सदस्यों से लिखित सुझाव स्वीकार करना:- सोसायटी के सदस्य बैठक से आठ दिन पहले समिति को भवन के पुनर्विकास के लिए अपनी यथार्थवादी योजना, सुझाव और सिफारिशें लिखित रूप में प्रस्तुत करने के हकदार होंगे। अनुभवी और विशेषज्ञ वास्तुकार/परियोजना प्रबंधन सलाहकार का नाम ज्ञात हो। हालांकि, उस आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट को एक पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह पुनर्विकास का कार्य करने का इच्छुक है। 

4. विशेष आम सभा की बैठक में लिए जाने वाले निर्णय:- सहकारी आवास समिति के भवन के पुनर्विकास के लिए बुलाई गई विशेष आम सभा की बैठक का कोरम समिति के कुल सदस्यों का ¾ होगा। यदि कोरम पूरा नहीं हुआ तो बैठक आठ दिनों के लिए स्थगित कर दी जाएगी और यदि स्थगित बैठक के लिए कोरम पूरा नहीं हुआ तो यह माना जाएगा कि सदस्य भवन के पुनर्विकास में रुचि नहीं रखते हैं और बैठक रद्द कर दी जाएगी। बैठक के लिए कोरम के गठन पर, सोसायटी के भवन के पुनर्विकास के संबंध में सभी सदस्यों के सुझावों, सिफारिशों और आपत्तियों पर विचार किया जाएगा और सभी सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई राय संबंधित सदस्यों के नाम के साथ मिनट बुक में दर्ज की जाएगी। इसलिए सोसायटी के भवन का पुनर्विकास किया जाए या नहीं, इस पर प्रारंभिक निर्णय लिया जाएगा। ऐसा निर्णय ¾ से अधिक सदस्यों के बहुमत से लिया जाना चाहिए। पुनर्विकास का कार्य करने के संबंध में प्रारंभिक प्रस्ताव पारित होने पर बैठक में निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जायेंगे। 

क) भवन के पुनर्विकास के कार्य के लिए सरकार/स्थानीय प्राधिकरण के पैनल से चयनित विशेषज्ञ और अनुभवी वास्तुकार/परियोजना प्रबंधन सलाहकार को और उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य की वस्तुओं और उसके लिए नियम और शर्तों को अंतिम रूप देना।

ख) भवन के पुनर्विकास के लिए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करना। 

5. सभी सदस्यों को बैठक के कार्यवृत्त प्रदान करना:- सोसायटी के सचिव को उपरोक्तानुसार दस दिनों के भीतर विशेष आम सभा की बैठक का कार्यवृत्त तैयार करना चाहिए और उसकी एक प्रति सभी सदस्यों को देनी चाहिए और पावती को सोसायटी के  रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए। साथ ही एक प्रति रजिस्ट्रार कार्यालय को भी भेजनी होगी। 

6. आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट को नियुक्ति पत्र जारी करना:- सोसायटी के सचिव बैठक के 15 दिनों के भीतर विशेष आम सभा की बैठक में चुने गए आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट को नियुक्ति पत्र जारी करेंगे और सोसायटी आर्किटेक्ट के साथ एक समझौता करेगी। / परियोजना प्रबंधन सलाहकार विशेष आम सभा की बैठक में अनुमोदित नियमों और शर्तों को शामिल करते हुए। 

7. प्रारंभिक चरण में आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट प्रबंधन सलाहकार द्वारा किया जाने वाला कार्य:- क) सोसायटी के भवन और भूमि का सर्वेक्षण करना। 

ख) सोसायटी को भूमि के हस्तांतरण के बारे में जानकारी प्राप्त करना।

ग) सरकार की प्रचलित नीति और भूमि के स्वामित्व (म्हाडा/एसआरए/नगर निगम) के आधार पर समय-समय पर लागू होने वाले नियमों को ध्यान में रखना और एफएसआई और टीडीआर के बारे में जानकारी प्राप्त करना, जो भवन के संबंध में उपलब्ध होगी। 

घ) भवन के पुनर्विकास के साथ-साथ सदस्यों को उपलब्ध कराए जाने वाले आवासीय क्षेत्र, वाणिज्यिक क्षेत्र, खाली क्षेत्र, उद्यान, पार्किंग, भवन विनिर्देशों आदि के लिए सदस्यों के सुझावों और सिफारिशों पर विचार करना और एक यथार्थवादी परियोजना तैयार करना। 

ई) आर्किटेक्ट/परियोजना प्रबंधन सलाहकार को अपनी नियुक्ति की तारीख से दो महीने के भीतर परियोजना  रिपोर्ट तैयार करनी होगी और उसे सोसायटी की समिति को प्रस्तुत करनी होगी। 

8. पुनर्विकास परियोजना रिपोर्ट प्राप्त होने पर की जाने वाली कार्रवाई:- 

ए) उपरोक्त पुनर्विकास परियोजना रिपोर्ट प्राप्त होने पर, समिति से प्राप्त सुझावों पर विचार करके बहुमत मत के साथ परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी देने के लिए सोसायटी के सचिव एक संयुक्त बैठक बुलाएंगे। सदस्य और वास्तुकार/परियोजना प्रबंधन सलाहकार। इस संबंध में नोटिस सोसायटी के नोटिस बोर्ड पर बैठक के समय स्थान आदि का उल्लेख करते हुए प्रकाशित किया जाएगा। 

बी) नोटिस में यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि परियोजना रिपोर्ट की एक प्रति सदस्यों के देखने के लिए सोसायटी के कार्यालय में उपलब्ध है और सभी सदस्यों को नोटिस दिया जाना चाहिए कि वे अगली समिति की बैठक से आठ दिन पहले अपने सुझाव प्रस्तुत करें। और ऐसे नोटिस की पावती सोसायटी के रिकॉर्ड में रखी जानी चाहिए। 

ग) संयुक्त बैठक से सात दिन पहले, सदस्यों से प्राप्त सुझावों को सोसायटी  के सचिव द्वारा आर्किटेक्ट/परियोजना प्रबंधन सलाहकार को उनकी जानकारी के लिए भेजा जाएगा। 

घ) संयुक्त बैठक में सदस्यों के सुझावों/सिफारिशों पर विस्तृत चर्चा होगी और उस पर आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट की राय होगी और आवश्यक बदलावों के साथ प्रोजेक्ट रिपोर्ट को मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद निविदा  का प्रारूप तैयार किया जाएगा और निविदा प्रपत्र के प्रारूप पर चर्चा और उसे अंतिम रूप देने के लिए अगली संयुक्त बैठक की तारीख तय की जाएगी।

ई) ड्राफ्ट टेंडर फॉर्म तैयार करते समय, प्रसिद्ध विशेषज्ञों और अनुभवी डेवलपर से प्रतिस्पर्धी कोटेशन प्राप्त करने के लिए, या तो कारपेट एरिया या कॉर्पस फंड तय किया जाएगा (बदला नहीं जाएगा) और अन्य तकनीकी मामलों को अंतिम रूप देकर, आर्किटेक्ट / प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट निविदाएं आमंत्रित करेंगे। सोसायटी के सदस्य अपने परिचित प्रतिष्ठित और अनुभवी डेवलपर को इसके बारे में जानकारी प्रस्तुत करने के हकदार होंगे।

9. प्राप्त बोलियों की सूची तैयार करना:- 

क) कोटेशन प्राप्त करने के अंतिम दिन, सोसायटी के सचिव प्राप्त प्रस्तावों की एक सूची तैयार करेंगे और उसे सोसायटी के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करेंगे। कोटेशन प्राप्त करने के अंतिम दिन के 15 दिन बाद सोसायटी के सचिव सोसायटी की प्रबंध समिति की विशेष बैठक बुलाएंगे। बैठक में उपस्थित रहने के इच्छुक बोलीदाताओं के अधिकृत प्रतिनिधि एवं सोसायटी के सदस्य पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित रह सकते हैं। प्राप्त निविदाएं सभी की उपस्थिति में खोली जाएंगी और आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट प्रबंधन सलाहकार सभी निविदाओं की जांच करेंगे और एक तुलनात्मक चार्ट तैयार करेंगे और योग्यता, प्रतिष्ठा, अनुभव और तुलनात्मक दर आदि की जांच करने के बाद न्यूनतम 5 बोलियों का चयन करेंगे और यदि कम बोलियां प्राप्त होंगी तो 5 से कम।  विशेष आम बैठक से पहले रखी जाने वाली सभी बोलियाँ और संबंधित बोलीदाताओं को तुरंत इसके बारे में सूचित किया जाएगा। 


10. विकासकर्ता यानी डेवलपर का चयन:- 

क) सामान्य निकाय की बैठक में भाग लेने के लिए प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति के लिए रजिस्ट्रार का कार्यालय:- विशेष आम बैठक में भाग लेने के लिए प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति के लिए सदस्यों की सूची के साथ एक आवेदन रजिस्ट्रार को आठ दिनों के भीतर भेजा जाना चाहिए। सोसायटी की समिति द्वारा सलाहकार की मदद से उसके अनुभव, योग्यता, वित्तीय क्षमता, तकनीकी क्षमता और प्रतिस्पर्धी दर आदि को ध्यान में रखते हुए चयनित लोगों में से एक डेवलपर का चयन करने के लिए सोसायटी की बैठक। 

ख) विशेष आम सभा की बैठक आयोजित करना निविदा को अंतिम रूप देने के लिए:- प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति के बाद, उसकी पूर्व अनुमति से सोसायटी के सचिव डेवलपर की नियुक्ति के लिए विशेष आम सभा की बैठक बुलाने का समय और स्थान तय करेंगे और इस बैठक का एजेंडा सभी सदस्यों को 14 दिन पहले भेजा जाएगा। बैठक हाथ से और पंजीकृत डाक द्वारा की जाएगी और इसकी पावती सोसायटी के रिकॉर्ड पर रखी जाएगी। साथ ही रजिस्ट्रार कार्यालय अपने अधिकृत प्रतिनिधि को बैठक में उपस्थित रखने की व्यवस्था करेगा। साथ ही सोसायटी के खर्च पर बैठक की वीडियो शूटिंग की भी व्यवस्था की जाएगी। औपचारिक सदस्यों के अलावा कोई भी व्यक्ति इस बैठक में भाग लेने का हकदार नहीं होगा। इसलिए सदस्यों को अपने पहचान पत्र के साथ बैठक स्थल पर उपस्थित होना होगा। पुनर्विकास प्रस्ताव को मंजूरी के लिए संबंधित प्राधिकारी को प्रस्तुत करते समय, डेवलपर का चयन और अन्य कार्य रजिस्ट्रार कार्यालय से अधिकृत अधिकारी की उपस्थिति में किया जाना चाहिए था। 

ग) यदि विशेष सामान्य सभा की बैठक के लिए कोरम पूरा नहीं होता है:- यदि विशेष सामान्य सभा  की बैठक के लिए कुल सदस्यों में से ¾ सदस्यों का कोरम पूरा नहीं होता है, तो बैठक आठ दिनों के लिए स्थगित कर दी जाएगी। यदि स्थगित बैठक के लिए कोरम नहीं बनता है, तो यह माना जाएगा कि सदस्यों को भवन के पुनर्विकास में कोई रुचि नहीं है और बैठक रद्द कर दी जाएगी और उसके बाद उक्त विषय को अनुमोदन के लिए विशेष सामान्य सभा (एसजीएम) की बैठक के समक्ष नहीं रखा जाएगा। 

घ) डेवलपर के चयन के लिए बुलाई जाने वाली विशेष आम सभा की बैठक में, रजिस्ट्रार के कार्यालय से अधिकृत प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे और बैठक की कार्यवाही का निरीक्षण करेंगे। साथ ही संबंधित प्रतिनिधियों एवं प्राधिकृत अधिकारी के आयोजन स्थल एवं बैठक के समय उपस्थित रहने एवं ¾ सदस्यों की कोरम गठित होने पर बैठक में निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जायेंगे।

i) प्रस्तुति (पुनर्विकास कार्य के लिए) के लिए चयनित निविदाओं के संबंध में तुलनात्मक जानकारी प्रदान करना।

ii) बोलीदाताओं द्वारा एक-एक करके प्रस्तुतिकरण। 

iii) भवन के पुनर्विकास के लिए डेवलपर का चयन करना,  नियम और शर्तों को अंतिम रूप देना और निविदा को अंतिम रूप देना। 

iv) चयनित डेवलपर से सहमति प्राप्त करना। 

v) आगे के कार्य के बारे में जानकारी दें। डेवलपर के चयन हेतु बैठक में उपस्थित सदस्यों के ¾ बहुमत से लिखित अनुमोदन लेना आवश्यक होगा। यदि चयनित विकासकर्ता अपने प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित नहीं रहते हैं तो यह मानकर आगे की कार्यवाही की जायेगी कि उन्होंने परियोजना हेतु अपनी सहमति दे दी है। 

11. डेवलपर के साथ किया जाने वाला समझौता:- सोसायटी की आम सभा की बैठक द्वारा अनुमोदित नियमों और शर्तों के अधीन, आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट प्रबंधन सलाहकार के मार्गदर्शन में एक महीने के भीतर डेवलपर के साथ एक समझौता किया जाना चाहिए। सोसायटी द्वारा नियुक्त आर्किटेक्ट/प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट द्वारा सुझाये गये बिन्दुओं के साथ-साथ निम्नलिखित बिन्दुओं को भी समझौते में शामिल किया जायेगा। 

(1) सोसायटी की पुनर्विकास परियोजना को पूरा करने की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होगी और असाधारण मामलों में, यह तीन वर्ष से अधिक नहीं होगी। 

(2) डेवलपर परियोजना लागत के 20% के बराबर राशि की बैंक गारंटी देगा। 

(3) पुनर्विकास की अवधि के दौरान, डेवलपर जहां तक संभव हो सदस्यों को उसी क्षेत्र में वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराएगा या सदस्यों को स्वीकार्य मासिक किराया और जमा राशि का भुगतान करने की व्यवस्था करेगा  या ट्रांजिट कैंप आवास उपलब्ध कराएगा।

(4) उक्त समझौते को पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत किया जाएगा।

(5) पुनर्विकास परियोजना के पूरा होने पर, नए सदस्यों को सोसायटी की सामान्य सभा  बैठक की मंजूरी के बाद ही सोसायटी में प्रवेश दिया जाएगा। 

(6) आवंटित किये जाने वाले कारपेट एरिया का अनुबंध में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। 

(7) डेवलपर में निहित विकास अधिकार गैर-हस्तांतरणीय होगा। 

(8) भवन के पुनर्विकास के लिए सभी कानूनी मंजूरी मिलने के बाद ही सदस्य अपना संबंधित परिसर खाली करेंगे। 

(9) जिन लोगों का फ्लैट पर कब्जा है उनके अधिकार अप्रभावित रहेंगे। 

(10) यदि पुनर्विकास के कार्य में कोई विवाद उत्पन्न होता है तो अधिनियम की  धारा 91 के प्रावधानों के अनुसार उसके समाधान हेतु समझौते में प्रावधान किया जाना चाहिए। 

(11) अधिभोग प्रमाण पत्र (Occupation Certificate)प्राप्त होने के बाद, पुनर्विकसित भवन में फ्लैटों को जहां तक संभव हो वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार फर्श के अनुसार आवंटित किया जाना चाहिए और यदि निर्माण पूरा होने पर लॉटरी निकालकर फ्लैट आवंटित करना आवश्यक हो जाता है, तो डेवलपर को व्यवस्था ड्राइंग बनानी चाहिए। लॉट, और उस समय रजिस्ट्रार के प्रतिनिधि की उपस्थिति में फ्लैट आवंटित किए जाने चाहिए और इस प्रक्रिया को वीडियो शूटिंग द्वारा रिकॉर्ड किया जाना चाहिए। 

(12) सोसायटी का कोई भी समिति सदस्य या पदाधिकारी डेवलपर या डेवलपर का रिश्तेदार नहीं होना चाहिए। 

(13) नगर निगम/सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत भवन योजनाओं को सामान्य निकाय की बैठक के समक्ष जानकारी के लिए रखा जाना चाहिए और यदि कोई सदस्य अनुमोदित दस्तावेजों की प्रतियां चाहता है, तो उसे सोसायटी को इसके लिए आवेदन प्रस्तुत करना होगा और यह बाध्यकारी होगा। समिति को आवश्यक शुल्क लेकर जानकारी उपलब्ध करानी होगी। 

पुनर्विकास के विषय पर चर्चा होने पर सोसायटी की बैठकों के दौरान सोसायटी के कम से कम 70% सदस्यों की लिखित सहमति प्राप्त की जानी चाहिए। हालाँकि, सहकारी आवास समिति के अल्पसंख्यक सदस्य पुनर्विकास परियोजना में बाधा नहीं डाल सकते। 28 जून, 2010 को, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक बार फिर फैसला सुनाया कि एक सहकारी आवास सोसायटी के सदस्य, जो अल्पसंख्यक हैं, पुनर्विकास परियोजना में बाधा नहीं डाल सकते हैं और उन्हें सोसायटी के बहुमत के फैसले का पालन करना होगा, जब तक कि वे यह न दिखाएं कि यहां उनके साथ कुछ पक्षपात हुआ है या कोई धोखाधड़ी हुई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक और फैसले में कहा है कि किरायेदारों की अल्पसंख्यकता का मुद्दा किसी संपत्ति के पुनर्विकास में बाधा नहीं बन सकता है, अगर कम से कम 70% किरायेदार इसके लिए तैयार हों। यह फैसला दादर में पुनर्विकास के एक मामले के खिलाफ आया था जहां 17 सदस्य एक पुरानी पारसी चॉल के पुनर्विकास का विरोध कर रहे थे। असहमत सदस्यों के समूह द्वारा दायर रिट याचिका के आधार पर, न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले ने बीएमसी को पुनर्विकास के खिलाफ दूसरों के किसी भी विरोध की स्थिति में पुलिस की मदद से परिवारों को जबरन बेदखल करने की अनुमति दी। 

अदालत ने माना है कि एक बार 70% या अधिक रहने वाले/किरायेदार एक सहकारी निकाय बनाकर पुनर्विकास के लिए अपनी सहमति दे देते हैं और यदि योजना निगम द्वारा अनुमोदित हो जाती है, तो यह अन्य सभी कब्जाधारियों के लिए बाध्यकारी है। दिशानिर्देशों के अनुसार, अलग स्टैंड वाले किरायेदारों/कब्जाधारियों के पास मानदंडों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अल्पसंख्यक (लगभग 30% या उससे कम) होने के कारण उनके लिए एकमात्र विकल्प अपने किरायेदारी के अधिकार को छोड़ना और योजना से बाहर निकलना है।

एक अन्य मामले में, मुंबई उच्च न्यायालय ने सहकारी आवास समितियों की संपत्तियों के पुनर्विकास के दौरान दांव पर लगे कानूनी मुद्दों का गहराई से विश्लेषण किया है, जब सोसायटी के कुछ सदस्यों ने असहमति जताई थी। यह कानून की एक स्थापित स्थिति है कि एक विकास समझौता अपने आप में किसी संपत्ति में डेवलपर के पक्ष में अधिकार नहीं बनाता है। इस प्रकार, डेवलपर के पास सोसायटी के ऐसे असहमत सदस्यों को बेदखल करने का कोई अधिकार नहीं है और उस पर विचार नहीं किया जा सकता है। 

इस मामले में एक और सवाल उठता है कि कानून के प्रावधानों के तहत किसी इमारत को कब गिराया जा सकता है? 

किसी भी इमारत को बिना प्रारंभिक प्रमाण पत्र (सीसी) के ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। कई लोगों द्वारा कानून की गलत व्याख्या की जाती है कि किसी इमारत को आईओडी (अस्वीकृति की सूचना) के आधार पर ध्वस्त किया जा सकता है। शाब्दिक कानून एवं तर्क यह है कि सीसी प्राप्त होने पर ही किसी भवन को गिराया जा सकता है।विशेष आम सभा को रजिस्ट्रार की उपस्थिति वाली बैठक में सफल बोलीदाता की बोली को मंजूरी देनी होती है। पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग की जानी होती है। 

एक बार क्षेत्र और कॉर्पस फंड के संदर्भ में समझौता स्वीकार हो जाने के बाद, इसे संशोधित नहीं किया जा सकता है। सफल बोली लगाने वाले को अपनी वित्तीय ताकत दिखाने के लिए कुल परियोजना लागत के 20% के बराबर बैंक गारंटी देनी होगी और यह सबूत देना होगा कि वह परियोजना को बीच में नहीं छोड़ेगा।

डेवलपर ऐसी सोसायटी को महत्व देता है जिनके पास या तो जमीन का कुछ खुला प्लॉट है या जो नई इमारतों के पुनर्निर्माण के लिए पुरानी संरचनाओं को ध्वस्त करने के इच्छुक हैं। जहां इस तरह का पुनर्विकास संभव है, डेवलपर आमतौर पर सदस्यों को अपने मौजूदा फ्लैटों में अधिक क्षेत्र सहित कॉर्पस फंड के माध्यम से कुछ भुगतान करने के लिए सहमत होते हैं और भूमि के खुले भूखंड पर एक इमारत बनाने या उपयोग करके एक नई, बड़ी इमारत  बनाने की अनुमति मांगते हैं। मौजूदा संरचना को ध्वस्त करने के बाद हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर), फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई)। डेवलपर की पेशकश और उसके बाद की बातचीत के आधार पर, वह या तो सोसायटी के सदस्यों को वैकल्पिक आवासीय फ्लैट प्रदान करता है या वैकल्पिक सुरक्षित करने के लिए पोस्ट डेटेड चेक के माध्यम से अग्रिम किराया, ब्रोकरेज और परिवहन शुल्क आदि के रूप में एक महीने का किराया देता है। 

हाउसिंग सोसाइटी में पुनर्विकास के सफल निष्पादन के लिए सभी मांगों और बातचीत को 'विकास समझौते' में सावधानीपूर्वक दर्ज किया जाना चाहिए और पदाधिकारियों और प्रबंध समिति के सदस्यों की एक मजबूत भूमिका होती है। पुनर्विकास की किसी भी प्रक्रिया में, किसी को आवश्यक विभिन्न दस्तावेजों के बारे में पता होना चाहिए और अचल संपत्ति के पुनर्विकास पर कर के निहितार्थ को भी समझना चाहिए। मुख्य दस्तावेज़ 'विकास समझौता' और 'पावर ऑफ अटॉर्नी' हैं जिन्हें उचित स्टांप शुल्क का भुगतान करके पंजीकृत किया जाना है।

सोसायटी के साथ विकास समझौते को निष्पादित करके, डेवलपर को भूमि विकसित करने के लिए आवश्यक अनुमति मिलती है और संबंधित नागरिक अधिकारियों को कागजात जमा करता है। विभिन्न स्वीकृतियां उपलब्ध होने पर, डेवलपर अपनी लागत पर इमारतों का निर्माण करता है, खुले बाजार में बेचने और लाभ कमाने के लिए कुछ फ्लैट अपने पास रखता है। 

किसी सोसायटी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उसके पक्ष में भूमि और भवन का वैध हस्तांतरण हो ताकि बाद की तारीख में इसका पुनर्विकास किया जा सके और इसमें विपणन योग्य स्वामित्व प्राप्त करना, पुनर्निर्माण की अनुमति और टीडीआर और एफएसआई के उपयोग से अतिरिक्त मंजिलों का निर्माण शामिल है, या अन्यथा, सोसायटी को नगर निगम से योजना की कोई मंजूरी नहीं मिल सकेगी। लेकिन हमारी अज्ञानता के कारण, अधिकांश बिल्डर्स भूमि के एक भूखंड पर शुरू में बनाए गए फ्लैटों के बाद स्वामित्व  सोसायटी को स्वामित्व देने में विफल रहते हैं। वास्तव में, पिछले बीस वर्षों में मुंबई में गठित अधिकांश सहकारी आवास समितियों के पास जमीन उनके पक्ष में नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप डेवलपर या पहले का मालिक संपत्ति का मालिक बना रहता है। इसका परिणाम ऐसी स्थिति में होता है जहां इन सोसायटियों के पास केवल स्वामित्व अधिकार होते हैं, न कि भूमि पर स्वामित्व अधिकार, जिससे वे अतिरिक्त टीडीआर, एफएसआई से वंचित हो जाते हैं जो बाद की तारीख में आवश्यकता पड़ने पर ऐसे पुनर्विकास समझौतों में प्रवेश करने के लिए मुख्य प्रेरक शक्ति है। फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) का मतलब इन विनियमों के तहत विशेष रूप से छूट वाले क्षेत्रों को छोड़कर सभी मंजिलों के संयुक्त सकल फर्श क्षेत्र और भूखंड के कुल क्षेत्रफल के अनुपात का भागफल है।

 टीडीआर क्या है? टीडीआर का मतलब विकास अधिकारों का हस्तांतरण है। यह नगर निगम से प्राप्त एक प्रमाण पत्र है जो संपत्ति के मालिक को मिलता है जहां उसकी संपत्ति (या तो आंशिक या संपूर्ण) सार्वजनिक उपयोगिताओं जैसे सड़क, उद्यान, स्कूल आदि के लिए आरक्षित है। अधिकार/प्रमाण पत्र, जो हैं आरक्षित हिस्से के बराबर राशि मालिक को अपनी संपत्ति नगर निगम को सौंपने पर प्राप्त होती है। फिर ये अधिकार/प्रमाणपत्र उन बिल्डरों को बेचे जा सकते हैं जो इसका उपयोग अपनी संपत्ति पर अतिरिक्त निर्माण के लिए करते हैं। ग्रेटर बॉम्बे के लिए विकास नियंत्रण विनियम, 1991 का नियम 34 टीडीआर को परिभाषित करता है जो हस्तांतरणीय विकास अधिकारों के लिए है: 'कुछ परिस्थितियों में, भूमि के एक भूखंड की विकास क्षमता को भूमि से अलग किया जा सकता है और उसे उपलब्ध कराया जा सकता है। 

मालिकों/डेवलपर्स को हस्तांतरणीय विकास अधिकार प्रदान करने के लिए नियम और ऐसे अधिकार प्रदान करने की शर्तें बताता है:

1. भूमि के एक भूखंड का मालिक (या पट्टेदार) जो विकास योजना में सार्वजनिक उद्देश्य के लिए आरक्षित है और कुछ शर्तों को छोड़कर इन विनियमों के अनुसार प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त सुविधाओं के लिए आरक्षण फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) के रूप में सीमा तक और नीचे निर्धारित शर्तों पर टीडीआर के पुरस्कार के लिए पात्र होगा।  इस तरह का पुरस्कार भूमि के मालिक को विकास अधिकार प्रमाणपत्र (डीआरसी) के रूप में एफएसआई का अधिकार देगा, जिसका वह स्वयं उपयोग कर सकता है या किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित कर सकता है। 

-भूमि का एक भूखंड धारा में निर्दिष्ट किसी भी उद्देश्य के लिए आरक्षित है। महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम, 1966 के 22, मालिक उक्त भूमि को नि:शुल्क सौंपने या विकास पूरा होने के बाद इस परिशिष्ट में नियम 5 और 6 में निर्धारित सीमा तक  डीआर के लिए पात्र होगा। 

3. टीडीआर संभावित विकास के लिए उपलब्ध होगा। 

4. आयुक्त द्वारा स्वयं एफएसआई क्रेडिट का विवरण देते हुए डीआरसी जारी की जाएगी। 

5. एफएसआई के प्रयोजन के लिए निर्मित क्षेत्र सरेंडर किए जाने वाले आरक्षित भूखंड के सकल क्षेत्र के बराबर होगा। 

6. जब मालिक या पट्टेदार अपनी लागत पर समर्पित भूखंड पर सुविधा विकसित या निर्माण करता है, तो उसे उसके द्वारा किए गए निर्माण/विकास के क्षेत्र के बराबर एफएसआई के रूप में अतिरिक्त डीआर प्रदान किया जा सकता है। 

संक्षेप में, विकास अधिकारों के हस्तांतरण (टीडीआर-ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स) का अर्थ है भूमि के मालिक द्वारा छोड़े गए या आत्मसमर्पण किए गए क्षेत्र के बदले में अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र की एक निश्चित मात्रा उपलब्ध कराना, ताकि वह अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र का उपयोग स्वयं कर सके या इसे स्थानांतरित कर सके। किसी अन्य को सहमत धनराशि के लिए अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र की आवश्यकता होती है। इसे विकास को गति देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, न कि विकास को सीमित करने या रोकने के लिए। 

कालीन क्षेत्र (कारपेट एरिया): यह अपार्टमेंट/इमारत का वह क्षेत्र है जिसमें दीवारों का क्षेत्र शामिल नहीं है।

निर्मित क्षेत्र (बिल्टअप एरिया): यह दीवारों के क्षेत्र सहित अपार्टमेंट/इमारत का क्षेत्र होता है। 

सुपर बिल्ट-अप एरिया: इसमें बिल्ट-अप एरिया के साथ-साथ सामान्य स्थानों जैसे लॉबी, लिफ्ट, सीढ़ियाँ आदि के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र भी शामिल है। इसलिए यह शब्द केवल बहु-निवास इकाइयों के लिए लागू होता है। डेवलपर को पुनर्विकास परियोजना को दो साल या अधिकतम तीन साल में पूरा करना होगा। विकास समझौते पर कारपेट-एरिया के आधार पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, यदि किसी कारण से सफल डेवलपर प्रोजेक्ट पूरा करने में असमर्थ है, तो वह अपना अनुबंध किसी अन्य डेवलपर को नहीं बेच सकता है। 

तथ्य यह है कि अधिकांश सोसायटी के आर्किटेक्ट, संरचनात्मक इंजीनियरों और सक्षम अधिवक्ताओं जैसे पेशेवरों को नियुक्त नहीं करते हैं, यही कारण है कि उचित बातचीत नहीं हो पाती है। एक सक्षम वकील की नियुक्ति भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे लोकपाल के रूप में कार्य करना होगा और अनावश्यक मुकदमों को रोकना होगा। 

यह भी एक तथ्य है कि सदस्यों की अज्ञानता का लाभ निहित स्वार्थों वाले समिति सदस्यों द्वारा उठाया जाता है, जो एक छोटे वर्ग की वास्तविक आपत्तियों को नजरअंदाज कर जल्दबाजी में निर्णय लेते हैं। यह अक्सर देखा गया है कि पुनर्विकास की प्रक्रिया के दौरान, विकास समझौतों की शर्तों पर सहमति के अनुसार, बाद में डेवलपर्स द्वारा तोड़-मरोड़ कर उनका घोर उल्लंघन किया जाता है और गैरकानूनी योजना बनाकर अतिरिक्त/अनधिकृत क्षेत्रों का निर्माण करके एमआरटीपी और डीसीआर के बुनियादी नियमों का उल्लंघन किया जाता है। 

अपने छिपे हुए वित्तीय  लाभ के लिए पात्रता से परे होकर (अर्थात प्लॉट एफएसआई और टीडीआर/एफएसआई लोड से परे)। ऐसे गैरकानूनी फ्लैटों/संपत्तियों के खरीदार खुद ही ऐसे सौदे कर लेते हैं जिसके कारण बाद की तारीख में मुकदमेबाजी की नौबत आ जाती है। कभी-कभी, परियोजना के पूरा होने पर, आवासीय क्षेत्र और वाणिज्यिक क्षेत्र के निर्माण के संबंध में अनुमोदित योजनाओं बनाम वास्तविक लेआउट, माप और अन्य पहलुओं में प्रमुख विसंगतियां और भेदभावपूर्ण विशेषताएं देखी जाती हैं जो अनुरूप नहीं हो सकती हैं।

यह भी देखा गया है कि एमआरटीपी/एमसीजीएम/डीसीआर के महत्वपूर्ण नियमों और दिशानिर्देशों के विचलन को कुछ भ्रष्ट और बेईमान लेकिन नगरपालिका या नगरनिगम के "सहानुभूतिपूर्ण अधिकारियों" द्वारा आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है और उक्त डेवलपर द्वारा प्रस्तुत कई विसंगतियों के साथ अंतिम योजनाओं को मंजूरी दे दी जाती है। सोसायटी के साथ निष्पादित विकास समझौते की औचित्यता या इसकी अनुरूपता की पुष्टि किए बिना।

यह भी पता चला है कि कई सोसायटियों में, प्रबंध समितियां, जो डेवलपर्स के साथ दस्तावेजों को निष्पादित करती हैं, उनके पास कोई कानूनी हिस्सेदारी नहीं है क्योंकि उन्होंने कभी भी फॉर्म एम -20 में क्षतिपूर्ति बांड को आवश्यक स्टांप पर दाखिल नहीं किया है या दाखिल करने के बारे में नहीं जानते हैं। 

महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 73(1एबी) और नियम 58ए के अनुसार, जो सदस्य विशिष्ट अवधि के भीतर ऐसे बांड निष्पादित करने में विफल रहते हैं, उन्हें समिति के सदस्य के रूप में अपना कार्यालय खाली कर दिया गया माना जाता है और उन पर कोई कानूनी प्रभाव नहीं डाला जा सकता है। 

महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 73(1एबी) नीचे दी गई है: “समिति के सदस्य समिति के कार्यकाल के दौरान समिति के व्यवसाय से संबंधित सभी निर्णयों के लिए संयुक्त रूप से और अलग-अलग जिम्मेदार होंगे। समिति के सदस्य समाज के हित के लिए हानिकारक सभी कार्यों और चूक के लिए संयुक्त रूप से और अलग-अलग जिम्मेदार होंगे। 

ऐसे प्रत्येक सदस्य को पद  ग्रहण करने के पंद्रह दिनों के भीतर राज्य सरकार द्वारा सामान्य या विशेष आदेश द्वारा निर्दिष्ट प्रपत्र में इस आशय का एक बांड निष्पादित करना होगा। जो सदस्य निर्दिष्ट अवधि के भीतर यानी प्रबंध समिति के सदस्य में शामिल होने के पंद्रह दिनों के भीतर इस तरह के बांड को निष्पादित करने में विफल रहता है, उसे समिति के सदस्य के रूप में अपना कार्यालय खाली कर दिया गया माना जाएगा। इसके अलावा यह तय करने की शक्ति कि सोसायटी को होने वाला नुकसान समिति के सदस्यों के कार्य या चूक के कारण है, रजिस्ट्रार को दिया गया है, "बशर्ते, ऊपर उल्लिखित किसी भी जिम्मेदारी को तय करने से पहले, रजिस्ट्रार सोसायटी के रिकॉर्ड का निरीक्षण करेगा और निर्णय लेगा।"

क्या सोसायटी को होने वाला नुकसान समिति के सदस्यों के कार्यों या चूक के कारण है या किसी प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना या ऐसे सदस्यों के नियंत्रण से परे किसी परिस्थिति के कारण है। महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी नियम 1961 के नियम 58-ए को नीचे पुन: प्रस्तुत किया गया है: “प्रबंध समिति के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य को पद संभालने के पंद्रह दिनों के भीतर फॉर्म एम -20 में एक बांड निष्पादित करना होगा। इस तरह के बांड को बॉम्बे स्टाम्प अधिनियम 1958 के तहत स्टाम्प पेपर पर निष्पादित किया जाएगा। 

स्टाम्प पेपर पर होने वाला खर्च सोसायटी द्वारा वहन किया जाएगा। सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी/सचिव ऐसे बांड प्राप्त करेंगे और उन्हें सोसायटी के रिकॉर्ड पर रखेंगे और तदनुसार समिति के गठन से पंद्रह दिनों के भीतर रजिस्ट्रार को सूचित करेंगे। उपरोक्त से स्पष्ट है कि प्रबंध समिति के प्रत्येक सदस्य द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के पन्द्रह दिन के अन्दर प्रपत्र एम-20 में स्टाम्प पेपर पर बांड निष्पादित किया जाना चाहिए। विफलता पर दंडात्मक परिणाम भुगतने पड़ेंगे। समझौते के निष्पादन पर या उससे पहले, सोसायटी को डेवलपर को सोसायटी की संपत्ति के संबंध में संपत्ति रजिस्टर कार्ड, इंडेक्स II, नवीनतम बिजली बिल, पानी बिल की प्रमाणित प्रतियों के साथ कन्वेयंस डीड की प्रति सौंपनी चाहिए। नगरपालिका कर बिल, सोसायटी की संपत्ति के संबंध में एन.ए. कर बिल और साथ ही, महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 के तहत सोसायटी के पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रति।

यदि निम्नलिखित बातों पर विचार नहीं किया जाता है तो पुनर्विकास के मामले में कई बार सोसायटी में जटिलताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। वे बैठकों के दौरान सोसायटी के सभी सदस्यों को एक ही समय पर इकट्ठा करने में विफल रहते हैं। कभी-कभी शीर्षक दस्तावेज़ स्पष्ट नहीं होते हैं। अपने पुराने फ्लैट खाली करने के बाद सदस्यों के मन में परियोजना के पूरा होने में संभावित देरी को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है। सदस्यों के पुराने दस्तावेजों का पता नहीं चल रहा है. कुछ सदस्य नए भवन में वापस नहीं आना चाहते हैं और पुराने फ्लैटों की बिक्री के लिए बहुत अधिक कीमत मांगते हैं या नए भवन में रियायती दर पर नए फ्लैट खरीदने में अधिक रुचि रखते हैं। 

विकास समझौते का मसौदा तैयार करते समय, विकास समझौते के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं और खंडों का ध्यान रखा जाना चाहिए। सहकारी समिति, डेवलपर और अधिमानतः सभी सदस्यों को इस समझौते में पक्षकार होना चाहिए। सोसायटी को कन्वेयंस डीड कैसे दी गई, इसका संक्षिप्त इतिहास होना चाहिए। समझौते में महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 के तहत सहकारी समिति की पंजीकरण संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए।

इमारतों के प्रत्येक सदस्य के कब्जे वाले फ्लैटों के कारपेट एरिया के साथ मौजूदा फ्लैटों का विवरण होना चाहिए। 'संपत्ति रजिस्टर कार्ड' के अनुसार भूखंड का क्षेत्रफल अंकित किया जाना चाहिए। प्लॉट पर टीडीआर का उपयोग करके निर्माण किए जा सकने वाले कुल अनुमानित एफएसआई क्षेत्र का उल्लेख किया जाना चाहिए। फर्श क्षेत्र में पारदर्शिता का अभाव, (कालीन, बिल्ट-अप, सुपर बिल्ट-अप, हाइपर बिल्ट-अप), परियोजना की स्थिति (देरी का कारण, अनुमानित पूरा होने का समय आदि), उपयोग किए गए उत्पादों की गुणवत्ता, अपनाया गया डिजाइन दर्शन, गुणवत्ता मानक निर्माण आदि में अपनाया गया।

समझौते में कारपेट क्षेत्र का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए, जिसमें अतिरिक्त क्षेत्र भी शामिल है जो नए भवन में सदस्यों को उपलब्ध कराया जाएगा। कुल प्रतिफल के भुगतान की अनुसूची विकास अनुबंध में निर्दिष्ट की जानी चाहिए। पुराने भवन में सदस्यों द्वारा फ्लैट खाली करने की संभावित तारीख का उल्लेख होना चाहिए जो संबंधित प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित की जा रही योजनाओं से जुड़ा होगा। नए भवन में सदस्यों को दी जाने वाली खुली कार पार्किंग, स्टिल्ट कार पार्किंग और बंद पार्किंग की संख्या का उल्लेख विकास समझौते में किया जाना चाहिए।

विकास अनुबंध में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि न तो सोसायटी और न ही सदस्यों से इस प्रकार के खर्चों का भुगतान करने की अपेक्षा की जाएगी। विकास समझौते में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि नई इमारत में फ्लैट के प्रत्येक खरीदार जो सोसायटी का सदस्य बनने का इरादा रखता है, उसे सोसायटी को प्रवेश शुल्क और शेयर आवंटन राशि के साथ-साथ अनुमोदित राशि का भुगतान करना होगा। 

सोसायटी के स्वामित्व वाले भूखंड पर नए भवन के पूरा होने की समय अवधि विकास समझौते में परिभाषित की जाएगी। यदि डेवलपर निर्धारित अवधि के भीतर पूरा काम पूरा करने में विफल रहता है, तो समझौते में जुर्माना प्रावधान का उल्लेख किया जा सकता है। विकास अनुबंध में यह निर्दिष्ट किया जाना चाहिए कि मौजूदा संरचना का पूर्ण रूप से खाली कब्ज़ा लेने की तारीख से लेकर नए भवन के संबंध में कब्ज़ा प्रमाण पत्र प्राप्त होने की तारीख तक और ऐसे समय तक जब डेवलपर सदस्यों को उनका कब्ज़ा लेने के लिए सूचित करता है। 

संबंधित फ्लैटों के लिए, डेवलपर संबंधित अधिकारियों को भुगतान की जाने वाली सभी नगरपालिका दरों, करों और अन्य भुगतानों को वहन करेगा और भुगतान करेगा। विकास समझौते में यह भी स्पष्ट होना चाहिए  कि सोसायटी केवल नगरपालिका दरों और अन्य आउटगोइंग करों का भुगतान तब तक करेगी जब तक कि पूरी संपत्ति (प्लॉट और मौजूदा संरचना) पर पूर्ण कब्जा प्रमाण पत्र प्राप्त होने के बाद डेवलपर को खाली न कर दिया जाए। नई इमारत. विकास समझौते में सोसायटी के स्वामित्व वाले भूखंड पर नए भवन में फ्लैटों के लिए प्रदान की जाने वाली व्यापक विशिष्टताओं और सुविधाओं की सूची होनी चाहिए। विकास समझौते में समझौते के अंत में संपत्ति का एक उचित शेड्यूल होना चाहिए जिसमें उपनगर का नाम, अंतिम प्लॉट नंबर, सीटीएस नंबर, प्लॉट का क्षेत्र और नगरपालिका वार्ड नंबर के साथ संपत्ति का स्थान निर्दिष्ट होना चाहिए। किसी भी परियोजना का पूरा होना आम तौर पर बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव और संबंधित अधिकारियों के बदलते नीतिगत निर्णयों द्वारा नियंत्रित होता है और इसलिए यह कारक समाज के नियंत्रण से परे है। डेवलपर्स द्वारा इस तथ्य का लाभ उठाया जाता है। 

सहकारी समितियों द्वारा पुराने भवनों के पुनर्विकास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु ऊपर दिए गए हैं। चूंकि पुनर्विकास के विषय पर कानून अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं, इसलिए इस मामले में कोई भी निर्णय बहुत सावधानी से लिया जाना चाहिए अन्यथा इससे संभावित विवाद या मुकदमेबाजी हो सकती है। किसी भी कागजात पर हस्ताक्षर करने से पहले प्रक्रिया को ठीक से समझना बहुत जरूरी है। पुनर्विकास प्रक्रिया से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के मसौदे सभी सदस्यों को पहले से ही प्रसारित किए जाने चाहिए और आपत्तियों, सुझावों और संशोधनों, यदि कोई हों, पर विशेष आम सभा की बैठकों में चर्चा की जानी चाहिए, जिसमें प्रत्येक बैठक के उचित मिनटों को रिकॉर्ड करना भी शामिल है।

 -'हाउसिंग सोसायटी में सियासत; जान पर आफत!'

-डेढ़ साल बेमिसाल 

पारदर्शिता- यह सलाह दी जाती है कि आम सभा की बैठक में दस्तावेजों पर विस्तार से चर्चा की जाए ताकि बाद में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए नियमों और शर्तों के बारे में आम सहमति बनाई जा सके। किसी भी संपत्ति सौदे की तरह, जब पुनर्विकास अनुबंध की बात आती है, तो यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि डेवलपर की अच्छी प्रतिष्ठा हो। यदि संभव हो तो, प्रबंध समिति के सदस्यों को उसकी कुछ पिछली परियोजनाओं की साइट पर अवश्य जाना चाहिए ताकि उन्हें डेवलपर के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मिल सके। यह देखते हुए कि इतने सारे निवासियों की संपत्ति दांव पर है, सोसाइटी जिस सौदे में प्रवेश कर रही है उसके बारे में स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए पेशेवरों की मदद लेना उचित है। बिंदीदार रेखा पर हस्ताक्षर करने से पहले वकीलों, वास्तुकारों, इंजीनियरों जैसे पेशेवरों की ठोस सलाह निश्चित रूप से सोसायटी को एक जिम्मेदार निर्णय लेने में मदद करेगी। एक तकनीकी पर्यवेक्षक की सेवाएं लेना उचित है जो डेवलपर द्वारा किए गए काम पर नजर रख सके। 

पुनर्विकास के चरण: 

1. सोसायटी को प्रस्ताव पत्र 

2. सोसायटी के साथ नियम और शर्तें 

3. सोसायटी के साथ समझौता

 4. सोसायटी के पक्ष में एमसीजीएम से मंजूरी 

5. सोसायटी के नाम पर टीडीआर लोड करना 

6. आईओडी प्राप्त करना 

7. सदस्यों का स्थानांतरण 

8. भवन का विध्वंस 

9. सीसी प्राप्त करना 

10. नये भवन का निर्माण

11. ओसी प्राप्त करना 

12. पुराने सदस्यों का स्थानांतरण

सोसायटी को प्रस्ताव पत्र: हाउसिंग सोसायटी को डेवलपर्स से मुहरबंद निविदाएं आमंत्रित करने के लिए 2 प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन देना आवश्यक है और योग्यता के आधार पर कम से कम 3 डेवलपर्स को शॉर्टलिस्ट करने के लिए एक पुनर्विकास समिति का गठन किया जाता है और तुलनात्मक डेटा एसपीजीएम के समक्ष रखा जाता है। अंतिम चयन. चयनित डेवलपर को तदनुसार सूचित किया जाता है और उसकी शर्तों को सोसायटी के प्रस्ताव पत्र के रूप में लिखित रूप में आमंत्रित किया जाता है। सोसायटी के साथ नियम और शर्तें: पुनर्विकास की दिशा में पहला कदम सदस्यों और डेवलपर के बीच बुनियादी नियमों और शर्तों पर सहमति है। व्यापक नियम और शर्तों में अतिरिक्त क्षेत्र, कॉर्पस मनी, स्थानांतरण शुल्क, वैकल्पिक आवास, पुन: विकास का समय, नई इमारत में सुविधाएं आदि शामिल होंगी। 

सदस्यों के साथ योजनाओं को अंतिम रूप देना: सभी सदस्यों के साथ उचित परामर्श के बाद, योजना तैयार की जाएगी। मौजूदा सदस्यों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा और सोसायटी के साथ एमसीजीएम समझौते से मंजूरी के लिए आवेदन करने से पहले उनके द्वारा अनुमोदित किया जाएगा: विकास समझौते का निष्पादन दोनों पक्षों द्वारा उपरोक्त दो बिंदुओं को मंजूरी मिलने के बाद किया जाएगा। समझौते की मसौदा प्रति को दोनों पक्षों के सॉलिसिटरों द्वारा अनुमोदित किया गया है। एक सामान्य वकील को नियुक्त करना संभव है ताकि दस्तावेज़ के निष्पादन में लगने वाले समय को कम किया जा सके। 

सोसायटी के पक्ष में स्थानीय नगरपालिका या नगरनिगम से मंजूरी: विकास समझौते के निष्पादन के बाद, पूरे लेआउट के संबंध में योजनाओं को नगरपालिका या नगरनिगम से  मंजूरी के लिए रखा जाता है। साथ ही दो एफएसआई (यानी खुले बाजार से खरीदा गया  प्लॉट क्षेत्र + टीडीआर) के पक्ष में रियायती योजनाएं। यह कदम सोसायटी को सोसायटी के पक्ष में टीडीआर की लोडिंग विकसित करने के प्रति सुरक्षित और आश्वस्त महसूस कराता है: 

नगरपालिका या नगरनिगम से टीडीआर लोडिंग को मंजूरी देने वाली योजना प्राप्त होने पर, डेवलपर सोसायटी के नाम पर खुले बाजार से टीडीआर खरीदेगा। और उसे नगरपालिका या नगरनिगम से कटवाकर लोड करा लें। यह कदम समाज को संपूर्ण विकास प्रक्रिया के बारे में सुरक्षित महसूस कराने के इरादे से उठाया गया है। 

आईओडी प्राप्त करना: टीडीआर लोड होने के बाद, नगरपालिका या नगरनिगम से आईओडी प्राप्त किया जाता है, फिर डेवलपर पहले आईओडी में उल्लिखित सभी शर्तों को पूरा करना शुरू कर देता है।

सदस्यों का प्रारंभ प्रमाणपत्र स्थानांतरण प्राप्त करना: दो एफएसआई के संपूर्ण विकास के लिए नगरपालिका या नगरनिगम से आईओडी प्राप्त होने के बाद सदस्य बहुत अधिक आत्मविश्वास महसूस करेंगे। सदस्य अब इमारत को गिराने से पहले एक पूर्व शर्त के रूप में अपने वैकल्पिक आवास में स्थानांतरित हो जाएंगे, जो कि नगरपालिका या नगरनिगम से सीसी प्राप्त करने से पहले जरूरी है। 

इमारत को ध्वस्त करना: एक बार जब सदस्य अपने वैकल्पिक आवास में स्थानांतरित हो जाते हैं, तो इमारत को ध्वस्त कर दिया जाएगा। पुनर्विकास की योजना के आधार पर या तो सभी विंगों को एक साथ या चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जाएगा। आमतौर पर सदस्यों को वैकल्पिक आवास में स्थानांतरित होने के लिए कहने से पहले विकास समझौते के निष्पादन की तारीख से लगभग तीन महीने का समय दिया जाता है। 

सीसी प्राप्त करना: आईओडी अनुमोदन और भवन के विध्वंस के बाद सीसी (प्लिंथ) जारी किया जाएगा। नगरपालिका या नगरनिगम द्वारा जो डेवलपर को निर्माण कार्य शुरू करने में सक्षम बनाएगा और एमसीजीएम अधिकारियों द्वारा प्लिंथ लाइनों को सत्यापित करने के बाद, पूरी इमारत के लिए अतिरिक्त सीसी प्रदान की जाएगी।

भवन का निर्माण: निर्माण कार्य के दौरान विचार किए जाने वाले विभिन्न सुरक्षा कारकों को ध्यान में रखते हुए नगरपालिका या नगरनिगम द्वारा अनुमोदित योजनाओं के अनुसार भवन निर्माण कार्य पूरी गंभीरता से शुरू किया जाएगा। गुणवत्ता और सुविधाएं सहमत नियमों और शर्तों के अनुसार प्रदान की जाएंगी ओसी प्राप्त करना: निर्माण कार्य को पूरा मानने से पहले अंतिम चरण व्यवसाय प्रमाणपत्र प्राप्त करना है जो डेवलपर को पुराने और नए सदस्यों को व्यवसाय आवंटित करने में सक्षम बनाता है। 


पुराने सदस्यों को स्थानांतरित करना: ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट प्राप्त होने पर डेवलपर कानूनी तौर पर फ्लैटों का कब्जा उनके मालिकों को दे सकता है। 

डेवलपर के कर्तव्य और कार्य मुख्य रूप से 1. डेवलपर प्लॉट में मौजूद इमारत को ध्वस्त कर देगा और नगरपालिका या नगरनिगम के निर्देशानुसार भूकंप प्रतिरोधी कारकों को ध्यान में रखते हुए नई बहुमंजिला इमारतों का निर्माण करें। अनुमोदित योजना के अनुसार नई इमारत में कार पार्किंग के लिए स्टिल्ट होना  चाहिए और इसमें _____ मंजिलें होनी चाहिए। 

अंतिम योजनाएँ प्रबंध समिति के साथ उचित परामर्श और उनकी आवश्यकताओं को समझने के बाद तैयार की जानी हैं। 

2. डेवलपर नगरपालिका या नगरनिगम और अन्य सभी वैधानिक और सरकारी कार्यालयों और विभागों से सभी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार होगा जिसमें शामिल होंगे: 

1. विकास योजना टिप्पणी या टाउन प्लानिंग टिप्पणी: नगरपालिका या नगरनिगम (विकास विभाग)

2. प्लॉट के क्षेत्रफल और स्थलाकृति, मौजूदा प्लॉट की सीमा और मौजूदा संरचनाओं के संबंध में पूरे प्लॉट का सर्वेक्षण (डेवलपर आर्किटेक्ट)

3. अस्वीकृति की सूचना (आईओडी):नगरपालिका या नगरनिगम

4. संपत्ति कर मूल्यांकन एनओसी: नगरपालिका या नगरनिगम  (मूल्यांकन विभाग) 

5. हाइड्रोलिक इंजीनियर अनापत्ति प्रमाणपत्र: नगरपालिका या नगरनिगम (हाइड्रोलिक विभाग) 

6. तूफान जल निकासी अनापत्ति प्रमाणपत्र: नगरपालिका या नगरनिगम 

7. सीवरेज अनापत्ति प्रमाणपत्र: नगरपालिका या नगरनिगम

 8. यातायात विभाग। नगरपालिका या नगरनिगम का अनापत्ति प्रमाण पत्र:

9. शहरी भूमि सीलिंग एनओसी: कलेक्टर कार्यालय में सक्षम प्राधिकारी 

10. वृक्ष अनापत्ति प्रमाण पत्र: नगरपालिका या नगरनिगम (वृक्ष प्राधिकरण) 

11. गैर-कृषि अनुमति: कलेक्टर कार्यालय 

12. नागरिक उड्डयन अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रमाणपत्र: भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण

 13. कीट नियंत्रण अनापत्ति प्रमाणपत्र: नगरपालिका या नगरनिगम (पीसीओ) 

14. एमटीएनएल अनापत्ति प्रमाणपत्र: एमटीएनएल 

15. मुख्य अग्निशमन अधिकारी का अनापत्ति प्रमाणपत्र: अग्निशमन विभाग कार्यालय 

16. प्रारंभ प्रमाणपत्र: नगरपालिका या नगरनिगम 

17. लिफ्ट निरीक्षण अनापत्ति प्रमाणपत्र: लिफ्ट निरीक्षक, पीडब्लू 

18. व्यवसाय प्रमाणपत्र (ओसी): नगरपालिका या नगरनिगम 

19. धारा 270ए के तहत जल कनेक्शन प्रमाणपत्र: नगरपालिका या नगरनिगम 

20. जल निकासी पूर्णता प्रमाणपत्र: नगरपालिका या नगरनिगम (जल विभाग)

 21. भवन समापन प्रमाणपत्र (बीसीसी): नगरपालिका या नगरनिगम 

22. टीडीआर लोड : नगरपालिका या नगरनिगम 

23. भवन विध्वंस कार्य: विध्वंस कार्य के लिए ठेकेदार नियुक्त 

24. मृदा परीक्षण रिपोर्ट: संबंधित प्रयोगशाला कृपया डेवलपर/डेवलपर से सभी सूचीबद्ध प्रमाणपत्र एकत्र करना सुनिश्चित करें क्योंकि एक बार यह हाउसिंग सोसाइटी की रखवाली (custody) में होना चाहिए। यदि संपत्ति का पुनर्विकास पूरा हो गया है और सदस्यों को फिर से घर देने के लिए नगरपालिका या नगरनिगम द्वारा अधिभोग प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।

3. डेवलपर को पुनर्विकास कार्य पूरा होने के बाद निम्नलिखित बुनियादी ढांचा प्रदान करना चाहिए: 

a. भवन के चारों ओर उपयुक्त सामग्री से पूरा तैयार फर्श। 

बी. तूफानी जल निकास 

सी. सीवरेज लाइनें 

डी. सुरक्षा व्यवस्था 

ई. उद्यान और भूदृश्य (जहाँ भी संभव हो) 

च. पाइप गैस लाइन (उपलब्धता के अनुसार) 

जी. इंटरनेट सुविधा (उपलब्धता के अनुसार) 

ज. सोसायटी परिसर में पर्याप्त कार पार्किंग स्थान 

डेवलपर को नवनिर्मित भवन में सभी सदस्यों को मौजूदा कारपेट क्षेत्र के अलावा अतिरिक्त क्षेत्र निःशुल्क प्रदान करना होगा। खुले बालकनी क्षेत्र के रूप में फूलों का बिस्तर नगरपालिका या नगरनिगम द्वारा अनुमति के अनुसार प्रदान किया जाना चाहिए। (क्षेत्र लगभग वर्ग फुट होगा) 

4. डेवलपर को विकास अधिकार प्रदान करने के लिए सोसायटी/व्यक्तिगत सदस्य को …….. रुपये का एक कॉर्पस फंड का भुगतान करना होगा। उपरोक्त राशि नवनिर्मित फ्लैटों में मौजूदा सदस्यों के सभी खर्चों का भुगतान करने में सहायक है। मौजूदा कारपेट क्षेत्र पर प्रति वर्ग फुट रुपये के आधार पर कॉर्पस राशि की गणना की जाती है। 

5. डेवलपर को मौजूदा कारपेट क्षेत्र पर निर्माण कार्य के दौरान प्रभावित सदस्यों को अस्थायी वैकल्पिक आवास के लिए रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से विस्थापन मुआवजा प्रदान करना चाहिए। मुआवजे का भुगतान सदस्यों द्वारा विध्वंस के लिए खाली कब्जा दिए जाने से लेकर नए भवन/भवनों का निर्माण पूरा होने और डेवलपर द्वारा दिए गए नए फ्लैटों का शांतिपूर्ण कब्जा होने तक किया जाना है। 

6. सोसायटी नवनिर्मित भवन/भवनों के संभावित/अतिरिक्त फ्लैट मालिकों को सोसायटी के सदस्यों के रूप में स्वीकार करेगी और उनके साथ मौजूदा सदस्यों के समान व्यवहार करेगी। 

7. डेवलपर को नई इमारत का एक अस्थायी लेआउट तैयार करना चाहिए  जिसे आवश्यकता पड़ने पर सदस्यों को दिखाया जाना चाहिए। 

8. डेवलपर अग्रणी वित्तीय संस्थानों और बैंकों के साथ गठजोड़ कर सकता है और मौजूदा सदस्यों और संभावित ग्राहकों के लिए आवास ऋण के लिए आवश्यक अनुमोदन की व्यवस्था कर सकता है। 

9. डेवलपर को संपूर्ण पुनर्विकास कार्य ___ महीने की अवधि के भीतर या सभी कानूनी औपचारिकताओं और नगर निगम की मंजूरी प्राप्त होने के बाद सोसायटी के साथ सहमति के अनुसार पूरा करना चाहिए। पुनर्विकास कार्य को नियंत्रित करने वाले मौजूदा नियमों और विनियमों के आधार पर प्रारंभिक नगर निगम की मंजूरी में लगभग तीन महीने लगेंगे। 

सुविधाओं की मानक सूची संरचना: संरचना को पृथ्वी भूकंप प्रतिरोध सुविधाओं के प्रावधानों के साथ आरआरसी की मल्टी फ्रेम संरचना के रूप में डिजाइन किया जाएगा। 

ऊंचाई और योजना: प्रत्येक कमरे में भरपूर रोशनी और वेंटिलेशन और सभी कमरों के उचित समन्वय के साथ न्यूनतम अपव्यय स्थान के साथ सावधानीपूर्वक और विस्तृत योजना के साथ उत्कृष्ट रूप से डिजाइन की गई ऊंचाई सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। भवन के बाहरी हिस्से पर रेतयुक्त प्लास्टर लगाया जा सकता है, आवश्यकतानुसार वाटर प्रूफिंग प्लास्टर और चिकन जाल का उपयोग किया जाना चाहिए।

प्रवेश लॉबी: प्रवेश लॉबी को ग्रेनाइट टाइल और पीओपी फॉल्स सीलिंग के साथ सुंदर ढंग से डिजाइन किया जा सकता है। 

दरवाजे: सभी दरवाजों पर मरीन फ्लश दरवाजे और कवर मोल्डिंग के साथ सीपी फ्रेम उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

मुख्य द्वार पर अच्छी गुणवत्ता वाली नाइट लैच, सुरक्षा चेन, टावर ब्लॉट और आकर्षक हैंडल की व्यवस्था होनी चाहिए। आंतरिक दरवाजे बेलनाकार मोर्टिज़ प्रकार के ताले द्वारा प्रदान किए जा सकते हैं। 

खिड़कियाँ: कमरों और शौचालयों की सभी खिड़कियाँ डिज़ाइन की गई ढलाई के साथ संगमरमर के फ्रेम से सुसज्जित होनी चाहिए। 5 मिमी टिंटेड ग्लास के साथ भारी अनुभाग संचालित एल्यूमीनियम स्लाइडिंग खिड़कियां आयातित बीयरिंग और फिटिंग के साथ प्रदान की जा सकती हैं।

प्लास्टर ऑफ पेरिस: लिविंग रूम में सुंदर डिजाइन वाली कॉर्निस लगानी होगी। सभी कमरों की दीवारों को पीओपी पैनिंग से तैयार किया जाएगा और स्कर्टिंग के ऊपर खांचे लगाए जाएंगे। 

इलेक्ट्रिक कार्य: सभी इलेक्ट्रिक वायरिंग का काम नगरपालिका या नगरनिगम के मानदंडों के अनुसार 1/18, 3/20 और 7 का उपयोग करके किया जाना चाहिए। /फ्लैट मालिकों की सुरक्षा के लिए एमसीबी और ईएलसीबी के उपयोग के साथ 20 लचीले तार। प्रतिष्ठित कंपनी के नवीनतम उपलब्ध स्विच उपलब्ध कराए जाने चाहिए। 

व्यापक इलेक्ट्रिक लेआउट जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हों: स्पॉट लाइट्स (लिविंग रूम और बेड रूम) ट्यूब लाइट पंखे ए.सी. (लिविंग रूम और बेड रूम) गीजर एग्जॉस्ट पंखे एक्वा  गार्ड मिक्सर वॉशिंग मशीन रेफ्रिजरेटर टीवी केबल गैस पाइप लाइन (यदि उपलब्ध हो) रेफ्रिजरेटर टी.वी. केबल गैस पाइप लाइन  (यदि उपलब्ध हो)

प्लंबिंग: सभी प्लंबिंग पाइप, फिक्स्चर और फिटिंग पूरी तरह से आईएस मानदंडों के अनुसार होने चाहिए। सभी शौचालयों में प्रतिष्ठित कंपनी के सेनेटरी वेयर के साथ सीपी प्लंबिंग फिक्स्चर (ईएसएस ईएसएस या जगुआर) उपलब्ध कराया जाना चाहिए। नलसाजी बिंदुओं में दीवार मिश्रण, शॉवर, नल, वॉशिंग मशीन और एक्वा गार्ड शामिल होने चाहिए। 

फर्श और टाइलिंग: संगमरमर या ग्रेनाइट या ग्रेनाइट फर्श को 3 इंच की मैचिंग स्कर्टिंग के साथ प्रदान किया जाना चाहिए। शौचालयों में डिज़ाइनर बॉर्डर और रूपांकनों के साथ भारतीय या आयातित निर्मित प्रतिष्ठित कंपनी के रंगीन ग्लेज़ टाइल्स की पूरी डेडो ऊंचाई होनी चाहिए। 

रसोई: ग्रेनाइट रसोई मंच जिसमें खाना पकाने और परोसने के मंच शामिल हैं, ढाले हुए फेशिया पट्टी और ऊर्ध्वाधर किनारों के साथ प्रदान किया जा सकता है। स्टेनलेस स्टील सिंक उपलब्ध कराना होगा. 

रंग: दरवाजे और छत सहित पूरे फ्लैट को सिंथेटिक इनेमल पेंट से रंगा जाना चाहिए। भवनों की बाहरी दीवारों को अच्छी गुणवत्ता वाले सीमेंट पेंट से रंगा जाना चाहिए। 

लिफ्ट: ओटीआईएस/जॉनसन मेक की लिफ्ट सभी सुरक्षा सुविधाओंके साथ प्रदान की जा सकती है। 

छत: छत को चीनी मिट्टी के चिप्स और ऊंची पैरापेट दीवार के साथ कोने की रोशनी और पानी के बिंदुओं से सुसज्जित किया जाना चाहिए। 

परिसर की दीवार और द्वार: नई परिसर की दीवार का निर्माण उचित डिजाइन और पर्याप्त विद्युत बिंदुओं के साथ किया जाना चाहिए। एमएस। सुरक्षा की दृष्टि से मुख्य द्वार की व्यवस्था की जानी चाहिए। 

फर्श: संपूर्ण परिसर की दीवार को कंक्रीट से पक्का किया जाना चाहिए और हेवी ड्यूटी चेकर्ड टाइल्स से तैयार किया जाना चाहिए। 

किसी भी हाउसिंग सोसायटी के पुनर्विकास को संतोषजनक ढंग से पूरा करने और उसके सदस्यों को उनके सपनों के घर वापस दिलाने का काम मुश्किल नहीं है, बशर्ते पदाधिकारी और समिति के सदस्य ईमानदार हों और सदस्यों के कल्याण और खुशहाली के लिए अपने-अपने पदों के हिसाब से काम करते हों। 

  > अपनी हाउसिंग सोसायटी को लेकर कोई सवाल हो तो जरूर पूछें:

आपके मन में सोसायटी से जुड़ा कोई सवाल हो तो बिंदास होकर पूछिये, ये आपका हक है। आप बेहतर जिंदगी के लिए, बेहतर सुविधा के लिए मेनटेनेंस देते हैं, और मैनेजिंग कमिटी की ये जिम्मेदारी है कि वह अपनी सोसायटी के लोगों को ऐसी सुविधा बिना किसी देरी के, बिना किसी बहाने के मुहैया कराए। 

(को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में कुछ सदस्यों की राजनीति और मैनेजिंग कमिटी की लापरवाही किस तरह से वहां रहने वाले और उनकी फैमिली को खतरे में डालती है, इस किताब में आप पढ़ सकते हैं। किताब का नाम है- हाउसिंग सोसायटी में सियासत;    जान पर आफत!  - https://www.amazon.in/dp/B08X2RS7MB ) 

 

(तमाम विरोधों के बावजूद मैनेजिंग कमिटी में रहकर अपनी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी को ठीक से रखना चाहते हैं, तो, कैसे काम करना है, उसके लिए 'डेढ़ साल बेमिसाल' किताब को जरूर पढ़ें।)  


>Housing Society के Redevelopment एग्रीमेंट से पहले ये चूक भारी पड़ेगी! II Redevelopment Of The Cooperative Housing Societies II CHS II Mumbai II TDR II FSI II

>Housing Society में Leakage पर लड़ाई, मैंने बहुत सारे Leakage कैसे ठीक कराई

> अपनी Housing Society को बारिश में 'बीमार' होने से कैसे बचाएं! Housing Society Solutions II Waterlogging II

-Housing Society Solutions: आपकी लापरवाही बिल्डिंग को आग के हवाले कर सकती है!

-रिपेयर के लिए कोटेशन 9 लाख 37 हजार, AGM में बजट पास कराया 11 लाख, करप्शन का 'बेशर्म खेल' Housing Society में!


-Housing Society: अपनी हाउसिंग सोसायटी को जानें; Know Your Housing Society

-Housing Society: Leakage, Seepage पर लापरवाही, बिल्डिंग में मचाएगी तबाही

-Housing Society के काम को लेकर कमिटी भी Confused, कॉन्ट्रैक्टर भी  Confused!

-Housing Society का Underground Drainage Pipe और Tiles बदलने से पहले सोचें   

-HousingSocietyGyan: सोसायटी का सेप्टिक टैंक OverFlow होने लगे, तो ये बेवकूफी मत करें 

-Dirty Water: जिस पानी को हाथ नहीं लगा सकते हैं, वो हम पीते हैं! ये रहा सबूत 

-अपनी हाउसिंग सोसायटी की AGM की तैयारी कैसे करें, ताकि अपमानित ना होना पड़े

-अपनी हाउसिंग सोसायटी की AGM की तैयारी आसानी से तीन स्टेप में करें, हर स्टेप की जानकारी 

-SwacchHousingSociety:अपनी ही हाउसिंग सोसायटी के गेट पर कचरा फेंकना यानी नुकसान अपना 

- हाउसिंग सोसायटी में खुलेआम "Communal खेल" और चेयरमैन और सेक्रेटरी की चुप्पी !

-हाउसिंग सोसायटी की AGM में Time Pass करने वाले मैनेजिंग कमिटी के मेंबर्स से बचके !

-हाउसिंग सोसायटी के हर मेंबर्स को AGM में ये 16 सवाल जरूर पूछने चाहिए

-हाउसिंग सोसायटी की AGM में भाग लेना कितना जरूरी है, आप शायद नहीं जानते!

-हाउसिंग सोसायटी के सेप्टिक टैंक की सफाई कब करवानी चाहिए

-हाउसिंग सोसायटी की जमीन अगर सरकारी गटर से नीचे हो जाए तो जलजमाव से कैसे बचें

-हाउसिंग सोसायटी में पानी की टंकी रहने पर भी पानी की समस्या और उसके समाधान 

-शेड के लिए छत पर कैसे चढ़ाते हैं सीमेंट शीट

-बिल्डिंग पर शेड लगाने से पहले आयरन मैटेरियल पर प्राइमर और कलर

-बिल्डिंग पर शेड लगाने के लिए आयरन मैटेरियल कैसे ले जाया जाता है

-बिल्डिंग की छत का समय समय पर जरूर मरम्मत कराएं, जानें कैसे और क्यों

-आपकी बिल्डिंग तंदुरुस्त रहेगी, तभी आपका फ्लैट, आपका परिवार भी सुरक्षित रहेगा 

-अंडरग्राउंड वॉटर टंकी की हालत देखिये, नियमित सफाई नहीं कराने पर ऐसी हुई हालत

-हाउसिंग सोसायटी को ज्यादा पानी स्टोरेज के लिए क्या करना चाहिए

-पानी की टंकी को लेकर लापरवाही सोसायटी और मकानमालिक के लिए खतरनाक है, जानें कैसे 

-आग से खुदको,फैमिली को, फ्लैट और बिल्डिंग को कैसे बचाएं

-बिल्डिंग को कलर करने से पहले कैसे होती है दीवारों की सफाई

-कैसे होता है बिल्डिंग रिपेयर का काम

-बिल्डिंग रिपेयर, क्रैक फिलिंग, कलर की पूरी प्रक्रिया जानें

-हाउसिंग सोसायटी की छत डिश एंटेना लगाने का सही तरीका, गलत तरीके से लगाएंगे तो बिल्डिंग को नुकसान पहुंचेगा  

कहीं आप हाउसिंग सोसायटी की छत पर डिश एंटेना लगाकर बिल्डिंग को तो नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं!

-फ्लैट की बालकनी में आपकी गार्डेनिंग कहीं बिल्डिंग तो खराब नहीं कर रही है!

- हाउसिंग सोसायटी की नाली को साफ-सुथरा, सुरक्षित और खूबसूरत कैसे बनाएं 

-हाउसिंग सोसायटी के फ्लैट के अंदर लीकेज की समस्या और उसका समाधान 

-अपनी हाउसिंग सोसायटी के पड़ोसी की आप से हो रही परेशानी समझें और उसे दूर करें 

-महाराष्ट्र की हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले AGM की ताकत को नजरअंदाज मत करें 

-बड़े अजीब होते हैं...को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लोग 

- हाउसिंग सोसायटी और उसकी कमिटी के लोगों का 'Confusing Character'!

-किसी भी हाउसिंग सोसायटी की सरकार होती है उसकी मैनेजिंग कमिटी

-'हाउसिंग सोसायटी के हित में काम करना ही मैनेजिंग कमिटी की जिम्मेदारी होती है'

- अपनी हाउसिंग सोसायटी की समस्या सुलझाकर हंसिये, बेवजह विवाद बढ़ाने से बचिये

- हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले-क्या आप कानून जानते हैं?

-हाउसिंग सोसायटी के कानून जानने के हैं बहुत सारे फायदे

- हाउसिंग सोसायटी में कैसे होता है करप्शन का खेल!



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Housing Society की AGM में 16 सवाल जरूर पूछें II Housing Society Solutio...

Must ask these 16 questions in your Housing Society AGM. हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले बहुत सारे सदस्य अपनी सोसायटी की सालाना आम बैठक (एजीएम...